सोमवार, 26 दिसंबर 2022

निगम ने नाले में गंदे पानी का निर्वहन जारी रखा

निगम ने नाले में गंदे पानी का निर्वहन जारी रखा

अकांशु उपाध्याय/अमित शर्मा 

नई दिल्ली/अमृतसर। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के निर्देशों के बावजूद अमृतसर नगर निगम ने शहर के मध्य से गुजरते तुंग ढाब नाले में गंदे पानी का निर्वहन जारी रखा है। जिसके कारण इसकी परिधी में रहने वाले लोग नरकीय जीवन के लिए मजबूर हैं। एनजीटी द्वारा मई 2021 मे दिए आदेश के बावजूद आज तक नगर निगम द्वारा और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया गया है।

निगम द्वारा 40 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) से अधिक सीवेज अभी भी खुले तौर पर सीधे नाले में छोड़ा जा रहा है। प्रदूषित जल ने भूमिगत जल में भारी धातुओं के अवशोषण के खतरनाक स्तर को प्रभावित किया है और क्षेत्र की वायु गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। पिछले दो दशकों के दौरान नाले के आसपास बड़े पैमाने पर शहरीकरण हुआ है।

पवित्र शहर के रंजीत एवेन्यू, डिफेंस एन्क्लेव और गोबिंद एवेन्यू सहित कई कॉलोनियां इस क्षेत्र में आ गई हैं। हरियावल पंजाब तुंग ढाब नाला पदयात्रा के दूसरे चरण के टीम लीडर और अमृतसर विकास मंच के संरक्षक हरदीप सिंह चहल और अमृतसर विकास मंच के प्रधान इंजीनियर दलजीत सिंह कोहली ने सोमवार को यूनीवार्ता को बताया कि नाले के प्रभाव पर किए गए विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि सल्फर डाइऑक्साइड सल्फ्यूरिक एसिड में बदल जाता है जो एसी, रेफ्रिजरेटर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के सर्किट की तांबे की सतहों को कुछ महीनों के भीतर खराब कर देता है।

नाले से निकलने वाले जहरीले धुएं के कारण सांस लेने, त्वचा और आंखों से संबंधित समस्याएं हो रही हैं। इससे बच्चे और बूढ़े लोग सबसे ज्यादा परेशान हो रहे हैं। गुरु नानक देव विश्वविद्यालय ने एक विस्तृत अध्ययन किया था जिसमें भूमिगत, फसलों, सब्जियों और जलभृतों में भारी धातुओं के खतरनाक स्तर पाए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप नाली के किनारे रहने वालों के डीएनए में परिवर्तन हुआ था। अमृतसर विकास मंच के संरक्षक दलजीत सिंह कोहली ने कहा, यह आश्चर्य की बात है कि एनजीटी के आदेशों और एमपी गुरजीत सिंह औजला की अध्यक्षता वाली टास्कफोर्स की बैठक के बावजूद, इस मुद्दे को आज तक संबोधित नहीं किया गया है।

जून 2021 में बचत भवन में हुई इस बैठक में सांसद गुरजीत सिंह औजला, अमृतसर के जिला उपायुक्त, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चीफ इंजीनियर जी उस मजीठियां, निगमायुक्त सुश्री कोमल मित्तल, एससी ड्रेनेज मंजीत सिंह उपस्थित थे। कोहली ने बताया कि बैठक में यह फैसला हुआ था कि चल रही परियोजनाओं के समाप्त होने के पश्चात तुरंत तुंग ढाब पर काम किया जाएगा लेकिन इतना समय गुजरने पर भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

कोहली ने कहा कि जेआईसीए (जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी) द्वारा स्थापित अंडर ग्राउड सीवरेज परियोजना पर करोड़ों का निवेश करने के बावजूद नागरिक निकाय जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के साथ-साथ राष्ट्रीय हरित का भी उल्लंघन कर रहा है। उन्होने कहा कि ट्रिब्यूनल का आदेश, जिसमें स्पष्ट रूप से सभी प्रकार के सीवेज को तूफानी जल नालों में छोड़ने को तुरंत रोकने का निर्देश दिया गया था। कोहली ने बताया कि नहरी विभाग द्वारा तुंग ढाब नाले का निर्माण केवल बरसाती पानी को शहर से बाहर निकालने के लिए किया गया था लेकिन समय के साथ साथ अब इसमें सीवेज का प्रदूषित पानी भी छोड़ा जा रहा है।

उन्होने नाले में सीवेज के साथ-साथ अन्य प्रदूषकों के बार-बार बहाव के कारण होने वाले वायु और जल प्रदूषण के दुष्प्रभावों को उजागर करते हुए बताया कि सीवर, उद्योग और डेयरी इस खंड में तुंग ढाब नाले को अधिकतम प्रदूषित कर रहे हैं। प्रदूषण पर लगाम लगाने में नियंत्रण एजेंसियां ​​और प्रशासन पूरी तरह विफल रहा है। भयानक और बदबूदार परिवेश के साथ कचरा, ठोस अपशिष्ट और उड़न राख को कई स्थानों पर फेंक दिया जाता है और बिखरा हुआ देखा जाता है। आसपास के इलाकों में रहने वाले लोग दयनीय स्थिति में जी रहे हैं। तुंग ढाब नाले में डाला गया अनुपचारित पानी भूजल, मिट्टी, वायु गुणवत्ता और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।

गुरूनानक देव विश्वविद्यालय के प्रो सुखदेव सिंह (सेवानिवृत) ने बताया कि तुंग ढाब नाला अमृतसर के छावनी क्षेत्र के नजदीक से गुजरता है। इसके प्रदूषण से सेना के जवानों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों में भी बीमारी फैल सकती है। उल्लेखनीय है कि तुंग ढाब नाला बटाला के गांव भारथ से शुरू होकर पाकिस्तान तक जाता है।

पंजाब में इसे गुमटाला और तुंगढाब के नाम से जाना जाता है और पाकिस्तान में प्रवेश करने पर इसे हुडियारा कहा जाता है। हुडियारा में प्रदुषित पानी को लेकर पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओं) में शिकायत कर चुका है। हरियावल पंजाब के सदस्यों ने पंजाब सरकार से मांग की है कि एनजीटी के आदेश का पालन करते हुए नगर निगम द्वारा तुग ढाब नाले में छोड़े जा रहे प्रदूषित पानी को तुरंत रोका जाए।

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