शनिवार, 26 नवंबर 2022

मौर्य की शैक्षणिक योग्यता को चुनौती, याचिका खारिज 

मौर्य की शैक्षणिक योग्यता को चुनौती, याचिका खारिज 

संदीप मिश्र/बृजेश केसरवानी 
लखनऊ/प्रयागराज। उत्तर-प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शनिवार को बड़ी राहत दी है। केशव प्रसाद मौर्य की शैक्षणिक योग्यता को चुनौती देने वाली याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की शैक्षिक योग्यता को लेकर प्रयागराज में दिवाकर नाथ त्रिपाठी के दाखिल परिवाद को एसीजेएम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ तिवारी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाई कोर्ट ने आज दिवाकर नाथ तिवारी की याचिका को खारिज कर केशव प्रसाद मौर्य को बड़ी राहत दी है।
केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ दिवाकर नाथ त्रिपाठी शैक्षणिक प्रमाणपत्रों में हेराफेरी की शिकायत अगस्त 2021 में की थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इसके बाद मौर्य के शैक्षणिक प्रमाणपत्र और ग्रेड शीट की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए एक जांच का आदेश दिया था। इसके बाद एसीजीएम प्रयागराज की कोर्ट में इस मामले की सुनवाई की गई।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के विरुद्ध दाखिल उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज किए जाने संबंधी प्रार्थनापत्र को निरस्त करने संबंधी निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी।
यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने इलाहाबाद के सामाजिक कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी की याचिका पर अधिवक्ता कमल कृष्ण राय व अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी व एजीए (प्रथम) ए के संड को सुन कर दिया है। न्यायालय ने सुनवाई के पश्चात याची द्वारा मुकदमा वापस लेने के आधार पर यह निर्णय लिया है। याची ने उपमुख्यमंत्री के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के लिए निचली अदालत में 19 जुलाई, 2021 को धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। आरोप लगाया कि केशव मौर्य ने 2012 विधानसभा चुनाव व 2007 इलाहाबाद शहर पश्चिमी के विधानसभा चुनाव के समय निर्वाचन आयोग के समक्ष अपने शैक्षिक प्रमाणपत्र के बारे में झूठा शपथपत्र दिया था। इसी प्रकार इंडियन आयल कारपोरेशन से सदोष लाभ प्राप्त करने के लिए कूटरचित शैक्षणिक दस्तावेज प्रस्तुत कर फिलिंग स्टेशन प्राप्त किया है।
निचली अदालत ने चार सितंबर, 2021 को याची के प्रार्थनापत्र को इस आधार पर खारिज किया था कि कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया। जिला स्तरीय भाजपा (BJP) पदाधिकारी और सूचना अधिकार कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने कोर्ट में कहा कि जब केशव प्रसाद मौर्य ने 2007 में इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा चुनावों के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की, तो उन्होंने हिंदी साहित्य सम्मेलन के दो अंक पत्र और एक इंटरमीडिएट प्रमाणपत्र प्रदान किया था। जिसे किसी भी शैक्षिक बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं है। केशव प्रसाद मौर्य ने इसे खारिज कर विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति से प्रेरित मामला बताया था।
केशव प्रसाद मौर्य भाजपा में आने से पहले आरएसएस, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद में थे। केशव प्रसाद मौर्य ने 2002, 2007 और 2012 में विधानसभा चुनाव लड़ा। 2012 में सिराथू से विधायक बने। इसके बाद वर्ष 2014 में फूलपुर से लोकसभा के सदस्य बने। फूलपुर में केशव प्रसाद मौर्य की जीत से पहली बार कमल खिला था। केशव प्रसाद मौर्य को आठ अप्रैल 2016 को भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष घोषित किया गया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 उनको सिराथू से समाजवादी पार्टी की पल्लवी पटेल से सात हजार से अधिक वोट से हार झेलनी पड़ी। इसके बाद भी भाजपा ने उनको विधान परिषद सदस्य बनाया और लगातार दूसरी बार प्रदेश के उप मुख्यमंत्री हैं।

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