सोमवार, 7 नवंबर 2022

पीएम के अनुरोध पर विचार कर सकते हैं न्यायाधीश

पीएम के अनुरोध पर विचार कर सकते हैं न्यायाधीश 

अखिलेश पांडेय/सुनील श्रीवास्तव

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल, इमरान खान के आरोपों की जांच के वास्ते ‘‘सभी न्यायाधीशों का एक आयोग’’ गठित करने के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के अनुरोध पर सोमवार को विचार कर सकते हैं। मीडिया की एक खबर में यह जानकारी दी गई। खान ने शरीफ और गृह मंत्री के साथ-साथ एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी पर उन पर हमले की साजिश रचने का आरोप लगाया है।

रिपोर्ट के अनुसार, उच्चतम न्यायालस में सोमवार को एक व्यस्त दिन रहेगा, जहां कई बड़े मामलों पर सुनवाई होनी है। प्रधान न्यायाधीश खान के आरोपों पर अपने साथी न्यायाधीशों से भी सलाह-मशविरा करेंगे। पंजाब प्रांत के वजीराबाद इलाके में शहबाज के खिलाफ एक प्रदर्शन मार्च के दौरान गत बृहस्पतिवार को दो बंदूकधारियों ने खान पर गोली चला दी थी।

गोली उनके दाहिने पैर में लगी थी। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के प्रमुख खान (70) ने हमले के एक दिन बाद आरोप लगाया था कि उनकी हत्या की नाकाम कोशिश में प्रधानमंत्री शहबाज, गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह और मेजर जनरल फैसल नसीर में शामिल हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने खान के आरोपों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा ‘‘सभी न्यायाधीशों का एक आयोग’’ गठित करने की शनिवार को मांग की थी।

प्रधानमंत्री शहबाज ने लाहौर में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैं पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश से वरिष्ठ और कनिष्ठ न्यायाधीशों सहित सभी न्यायाधीशों का एक आयोग (फुल कोर्ट कमीशन) गठित करने का अनुरोध करता हूं।’’ खबर के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ‘‘सभी न्यायाधीशों का एक आयोग’’ गठित के संबंध में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के आधिकारिक अनुरोध का इंतजार कर रहा है।

खबर में सूत्रों के हवाले से कहा गया, ‘‘ प्रधान न्यायाधीश इमरान खान की हत्या के प्रयास की जांच के लिए एक आयोग (फुल कोर्ट कमीशन) गठित करने के प्रधानमंत्री मियां मोहम्मद शहबाज शरीफ के अनुरोध पर उच्चतम न्यायालय के अपने साथी न्यायधीशों से आज (सोमवार को) सलाह-मशविरा करेंगे।’’ सूत्रों ने कहा, ‘‘ प्रधान न्यायाधीश को प्रधानमंत्री कार्यालय से आधिकारिक अनुरोध मिलने के बाद, न्यायिक आयोग के गठन की संभावना के सभी पहलुओं पर गौर किया जाएगा।’’

इस बीच विधि क्षेत्र के जुड़े कुछ लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री के पास प्रधान न्यायाधीश से ऐसा कोई अनुरोध करने का अधिकार नहीं है। घटना के बाद से प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर भी गतिरोध बना हुआ है। खान की पार्टी के प्राथमिकी में सेना के जनरल का नाम शामिल करने का आग्रह करने के बाद यह विवाद खड़ा हुआ।

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