सोमवार, 7 नवंबर 2022

प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका का विरोध

प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका का विरोध

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय में सरोगेसी कानून के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम, 2021 और सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 को भ्रूण एवं नवजात बच्चों के व्यावसायीकरण को प्रतिबंधित करने के इरादे से उचित प्रक्रिया के बाद अधिनियमित किया गया था।

केंद्र ने एक हलफनामे में कहा है कि सभी हितधारकों से टिप्पणियां प्राप्त करने के बाद संसद द्वारा कानून पारित किया गया था और याचिकाकर्ताओं ने जिन प्रावधानों को चुनौती दी है वे सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (एआरटी) और सरोगेसी की प्रक्रिया को विनियमित करते हैं तथा इनके कमजोर होने से कानून का उद्देश्य निष्फल हो जाएगा।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा दायर जवाबी हलफनामे में कहा गया है कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम, 2021 दोनों को कानून के अनुसार निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने के बाद अधिनियमित किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने रिट याचिका में जिन प्रावधानों को चुनौती दी है वे एआरटी और सरोगेसी की प्रक्रिया को विनियमित करने के लिए हैं।

यदि इन धाराओं को कमजोर किया जाता है, तो दोनों अधिनियमों का पूरा उद्देश्य विफल हो जाएगा। याचिकाकर्ताओं- अविवाहित पुरुष करण बलराज मेहता और एक विवाहित महिला एवं एक बच्चे की मां डॉ. पंखुरी चंद्रा ने सरोगेसी कानून के कई प्रावधानों को चुनौती दी है। उन्होंने तर्क दिया है कि संबंधित प्रावधानों के चलते वे प्रजनन विकल्प के रूप में सरोगेसी का लाभ लेने से वंचित हैं, जो भेदभावपूर्ण है और संविधान के अनुच्छेद 14 तथा 21 का उल्लंघन है।

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