रविवार, 9 अक्तूबर 2022

'पत्रकार' पर झूठा आरोप लगाकर जेल भेजा: झारखंड 

'पत्रकार' पर झूठा आरोप लगाकर जेल भेजा: झारखंड 

विवेक चौबे

गढ़वा। झारखंड में अभी भी पत्रकार बंधु सुरक्षित नहीं हैं। पत्रकारों को कभी माफियाओं के चंगुल में तो कभी प्रशासनिक चंगुल में फंसते हुए नजारा देखा जाता है। सवाल यह कि जब पत्रकार सुरक्षित नहीं हैं तो जनता कैसे सुरक्षित रह सकती है ? ऐसा कहा जाता है कि पत्रकारों को संविधान से ही मान्यता प्राप्त है कि वे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं, जो समाज में हो रहे अच्छाइयों व बुराइयों को दिखाने का प्रयास करते हैं। लेकिन वर्तमान समय की ऐसी बदतर स्थिति है कि पत्रकार जब सच्चाई को उजागर करता है तो उसे कहीं न कहीं टारगेट किया जाने लगता है और उसे गलत तरीके से फंसा दिया जाता है। पत्रकारों को कभी माफियाओं द्वारा हत्या कर दी जाती है, तो कभी पुलिस द्वारा बेवजह झूठा आरोप लगाकर जेल भेज दिया जाता है। 

ठीक इसी प्रकार का एक मामला प्रकाश में आया है कि एक सच्चे पत्रकार पर झूठा आरोप लगाकर पुलिस द्वारा जेल भेज दिया गया। विदित हो कि जिले के मेराल थाना क्षेत्र अंर्तगत हसनदाग गांव निवासी नाथन चौधरी की हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद सूचना पाकर मेराल थाना में पदस्थापित तत्कालीन थाना प्रभारी लाल बिहारी प्रसाद अपने दल-बल के साथ घटना स्थल पर पहुंचे थे। उन्होंने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। इसके बाद शव को घर पर लाया गया, जहां परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था। साथ ही पूरे गांव में शोक का लहर दौड़ गया था। हालांकि हसनदाग गांव के ही चार लोगों को शक के आधार पर पुलिस द्वारा गिरफ्तार भी किया गया था। 

वहीं, इस हत्याकांड का उदभेदन करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार मुश्ताक अंसारी नाथन चौधरी के परिजनों व ग्रामीणों से तहकीकात कर लगातार खबर प्रसारित कर रहे थे। इस दौरान तत्कालीन थाना प्रभारी लाल बिहारी प्रसाद द्वारा हत्याकांड के आरोपियों को दूसरे दिन ही छोड़ दिया गया, जिसकी सूचना मिलते ही स्थानीय ग्रामीण आक्रोशित हो गए। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया था कि हत्याकांड में संलिप्त अपराधियों से मोटी रकम लेकर थाना प्रभारी द्वारा आरोपियों को यूं ही रिहा कर दिया गया।

इसके बाद ग्रामीणों ने थाना प्रभारी के विरुद्ध योजना बना कर तकरीबन 400 लोगों ने थाना का घेराव किया, जहां स्थानीय ग्रामीणों द्वारा शांति पूर्ण तरीके से विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा था। विरोध प्रदर्शन होते देख वर्दीधारियों में नया जोश व उमंग आया और मेराल के एक व्यक्ति पर लाठी चार्ज कर दिया गया। वहीं हासनदाग के लोग पुलिस के तो विरोध में थे ही, किन्तु लाठीचार्ज की घटना के बाद मेराल से भी बड़ी संख्या में लोग उक्त विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए। तब तक ग्रामीणों की संख्या 400 से बढ़ कर 10 हजार से अधिक हो गई थी, जिससे मेराल थाना में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। नौबत यहां तक आ गयी कि ग्रामीणों व पुलिस-प्रशासन के बीच जमकर पथराव भी हुआ। पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले भी दागे गए। 

इस वक्त पत्रकार मुश्ताक अंसारी थाना के भीतर ही थाना प्रभारी के साथ मौजूद थे। वे पुलिस के सामने ही खबर कवरेज कर रहे थे। उग्र भीड़ को काबू करने के लिए तकरीबन 10 थाने की पुलिस आई थी। कुछ पुलिसकर्मियों ने ग्रामीणों की वाहनों को लाठी-डंडे से मार कर क्षतिग्रस्त कर डाला। पुलिस द्वारा की जा रही कार्यवाई को भी पत्रकार मुश्ताक अपने मोबाइल से कवर कर रहे थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार एसपी व एसडीपीओ के कहने पर थाना प्रभारी के आदेशानुसार अंचलाधिकारी अंगरनाथ स्वर्णकार ने 21 नामजद व 400 से 500 तक अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज किया, जिसमें पत्रकार मुश्ताक पर भीड़ को उकसाने के मामले में मुख्य आरोपी बना कर प्राथमिकी दर्ज की गयी।

इस मामले में थाना प्रभारी द्वारा न्यायालय से वारेंट लेकर शुक्रवार को पत्रकार मुश्ताक को जेल भेज दिया गया। पूरे प्रकरण को भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ की झारखण्ड इकाई ने गंभीरता से लेते हुए उक्त मामले को पलामू डीआईजी के समक्ष भी उठाया था। गढ़वा परिसदन में पत्रकार मुश्ताक के विरुद्ध झूठा मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने वाले सभी सम्बन्धित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए झारखण्ड जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा पलामू प्रमंडल के सभी पत्रकारों की बैठक बुलाई गई है। इस बावत प्रदेश सचिव सियाराम शरण वर्मा व गढ़वा जिला अध्यक्ष प्रदीप चौबे ने कहा है कि आवयश्कता पड़ने पर मुख्यमंत्री से लेकर न्यायालय तक न्याय दिलाने के लिए संगठन लगातार अपना संघर्ष जारी रखेगा।

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