शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2022

पूजा: सिंह को केक खिलाकर जन्मदिन की बधाई दी

पूजा: सिंह को केक खिलाकर जन्मदिन की बधाई दी


महादेव घाट छठ महापर्व नहाय खाय के साथ प्रारंभ

दुष्यंत टीकम 

रायपुर। चार दिवसीय छठ पूजा शुक्रवार को नहाय खाय विधि के साथ कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, अक्टूबर 28, शुक्रवार से प्रारम्भ हो गई है। छठ व्रती नहाए-खाय के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया और साफ-सुथरे कपड़े पहनकर शाकाहारी भोजन किया। लोहंडा एवं खरना कल शनिवार संध्या  29 अक्टूबर को होगा। शनिवार को लोहंडा एवं खरना विधान के बाद छठ व्रती का 36 घंटे के निर्जला उपवास प्रारम्भ हो जायेगा। संध्या अर्घ्य रविवार 30 अक्टूबर को होगा और उषा अर्घ्य सोमवार 31 अक्टूबर को होगा। 

महादेव घाट छठ महापर्व आयोजन समिति रायपुर के  प्रमुख राजेश कुमार सिंह ने बताया कि चार दिवसीय छठ महापर्व शुक्रवार को नहाय-खाय से प्रारंभ हुआ। इस वर्ष अक्टूबर 28 से 31 तक पूरे भारत सहित विश्व में छठ महापर्व हर्षोल्लास एवं परम्परा के साथ मनाया जा रहा है।  इस वर्ष भी महादेव घाट पर समिति के द्वारा 30 अक्टूबर को सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित की जाएगी। छत्तीसगढ़ के स्थानीय एवं भोजपुरी कलाकार के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की जाएगी। छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार दिलीप षड़ंगी, भोजपुरी कलाकार एवं सुर संग्राम विजेता मोहन राठौर,भोजपुरी कलाकार प्रियंका पांडेय,अंतर्राष्ट्रीय नृत्य नाटिका प्रसिद्ध सोनाली और तरुण चोपड़ा ग्रुप के कलाकार नृत्य नाटिका प्रस्तुत करेंगे। समिति के द्वारा 30 अक्टूबर को खारुन नदी के महादेव घाट पर भव्य संध्या आरती आयोजित की जाएगी। समिति के द्वारा विशाल भंडारे का आयोजन 31 अक्टूबर की सुबह महादेव घाट पर किया जायेगा।

छठ महापर्व आयोजन समिति महादेव घाट रायपुर के सदस्यों ने आयोजन प्रमुख राजेश कुमार सिंह के नेतृत्व में लगातार तीसरे  दिन भी दिनांक 28 अक्टूबर शुक्रवार सुबह को खारुन नदी एवं महादेव घाट की सफाई की।  समिति के सदस्य आज सुबह ६ बजे महादेव घाट पहुंचे और अपना श्रम दान कर खारुन नदी के किनारे घाट की सफाई की।  बड़ी मात्रा में खारुन नदी से कचड़े निकाले और घाट की सफाई की। इस सफाई अभियान में रायपुर नगर निगम के सफाईकर्मी भी महादेव घाट कि सफाई कर रहे हैं। 

शुक्रवार को महादेव घाट छठ महापर्व आयोजन समिति के संचालक साथी आर पी सिंह जो कि कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता है। उनका जन्मदिन भी समिति के साथियों महादेव घाट पर धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर महादेव घाट आयोजन समिति के संचालक साथी भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने आर पी सिंह को केक खिलाकर जन्मदिन की बधाई दी। समिति के प्रमुख राजेश कुमार सिंह, समिति के सदस्य रविन्द्र सिंह, परमानन्द सिंह, अजय शर्मा, जयंत सिंह,  सुनील सिंह, रामकुमार सिंह, सत्येंद्र सिंह गौतम, शशि सिंह, बृजेश सिंह, रामविलास सिंह,  कन्हैया सिंह, अमरजीत सिंह, संतोष सिंह,  जयप्रकाश सिंह, मुकुल श्रीवास्तव, चंद्रशेखर सिंह, सरोज सिंह, संजय सिंह, वेद नारायण, अनिल सिंह, मदन विश्वकर्मा, संजय तिवारी, संजीव सिंह, राकेश सिंह, एवं अन्य सदस्यों ने अपना श्रम दान दिया और घाट की सफाई की।   

राजेश कुमार सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन और रायपुर नगर निगम के सहयोग से महादेव घाट की सफाई की जा रही है और महादेव घाट को सजाया जा रहा है। रायपुर शहर में 50 से अधिक तालाबों के किनारे छठ मनाया जा रहा है।पार्किंग, लाइटिंग, एवं व्रती के लिए हर तरह की सुविधा की व्यवस्था समिति के द्वारा महादेव घाट पर किया जा रहा है। इस वर्ष एक लाख से अधिक श्रद्धालु महादेव घाट पर जुटेंगे।  

राजेश कुमार सिंह ने आगे बताया कि छठ महापर्व उत्तर भारतीय समाज का एक महत्वपूर्ण पर्व है। छठ पर्व ही दुनिया का मात्र एक पर्व है जिसमें डूबते सूर्य एवं उगते सूर्य की पूजा की जाती है। छठ पर्व को षष्ठी पूजा एवं सूर्य षष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। छठ पूजा सूर्य और उनकी बहन छठी मैया को समर्पित है। त्यौहार और व्रत के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। छठ पर्व सूर्यदेव की उपासना और छठी मैया का पूजा करने का महापर्व है। इस पर्व पर उगते और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। छठ पूजा पर छठी मैया की पूजा और लोकगीत गाया जाता है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार छठ देवी भगवान ब्रह्माजी की मानस पुत्री और सूर्यदेव की बहन हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्माजी ने सृष्टि रचने के लिए स्वयं को दो भागों में बांट दिया, जिसमें दाहिने भाग में पुरुष और बाएं भाग में प्रकृति का रूप सामने आया। सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आपको छह भागों में विभाजित किया। इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है। प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी है, जिसे छठी मैया के नाम से जाना जाता है। शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं की पूजा की जाती है। इनकी उपासना करने से बच्चे को स्वास्थ्य,सफलता और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। बिहार एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग जिस देश एवं राज्यों में जाकर बसे वहां भी अपनी संस्कृति को आज भी बचाये हुऐ हैं। छठ महापर्व नेपाल, फिजी, मॉरिशस, सूरीनाम, गुयाना एवं अन्य देशों में भी मनाया जाता है।

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