रविवार, 25 सितंबर 2022

सीएम के रूप में पायलट, इंतजार खत्म होगा

सीएम के रूप में पायलट, इंतजार खत्म होगा

नरेश राघानी 

जयपुर/जोधपुर। लगभग चार साल के इंतजार के बाद सचिन पायलट के निर्वाचन क्षेत्र टोंक में कांग्रेसियों और अन्य लोगों में उम्मीद जगी है कि उन्हें पायलट को राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में देखने का लंबा इंतजार बहुत जल्द खत्म हो जाएगा। वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृहनगर जोधपुर में कई लोग चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर पदोन्नत होने पर भी वह मुख्यमंत्री पद पर बने रहें। उन्हें विश्वास है कि गहलोत को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा, तो भी वह पार्टी अध्यक्ष के रूप में एक प्रमुख शक्ति केंद्र होंगे।

इस बीच रविवार की शाम जयपुर में होने वाली राजस्थान कांग्रेस विधायक दल की अहम बैठक से पहले जोधपुर में पायलट के समर्थन में ‘नए युग की तैयारी’ लिखे पोस्टर दिखे। राजधानी जयपुर से 100 किमी दूर टोंक में लोगों को उम्मीद है कि पायलट को मौका मिला तो इसका सबसे ज्यादा फायदा टोंक को मिलेगा, क्योंकि टोंक को विकसित करने के रोडमैप पर काम तेज गति से होगा। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य सऊद सैदी ने कहा कि टोंक में लोग पायलट के पक्ष में फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि पायलट के मुख्यमंत्री बनने के बाद टोंक चमकेगा। सैदी ने बताया कि टोंक विधायक के रूप में पायलट अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए काफी सक्रिय रहे हैं और एक बार जब वह मुख्यमंत्री बन जाएंगे, तो काम की गति बढ़ जाएगी। यही कारण है कि आम जनता पायलट को राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में देखने का इंतजार कर रही है।

उन्होंने बताया कि लोग चार साल से इंतजार कर रहे हैं और अब यह 100 प्रतिशत माना जा रहा है कि पायलट मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। टोंक को उद्योगों और रोजगार के अवसरों की जरूरत है और अगर मुख्यमंत्री टोंक से हैं, तो निश्चित रूप से इसका लाभ मिलेगा। पायलट ने वर्ष 2018 में टोंक सीट पर 54159 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की और वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रहे भाजपा के यूनुस खान को हराया। टोंक में एक अन्य कांग्रेस नेता ने कहा कि गहलोत के पद छोड़ने पर इस पद के लिए पायलट के अलावा कोई और नेता नहीं है।

टोंक में एक कांग्रेस नेता लक्ष्मण चौधरी ने बताया कि पायलट के अलावा और कोई नहीं है जिसे अशोक गहलोत के बाद मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। यह लोगों के बीच धारणा है। पायलट न केवल गुर्जरों बल्कि सभी ‘36 कौम’ में स्वीकार्य हैं। नाम न बताने की शर्त पर एक अन्य नेता ने कहा कि पायलट समर्थकों को भरोसा है कि वह राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन वे रणनीतिक रूप से चुप हैं। पायलट के एक वफादार राजेश मेहता का विचार है कि राजस्थान में सरकार के शीर्ष पद पर पायलट को होना चाहिए। हालांकि, गहलोत के गृहनगर जोधपुर शहर में भी पायलट को मुख्यमंत्री के रूप में देखने से जुड़े होर्डिंग्स लगे हैं।

एक अन्य पूर्व पीसीसी सदस्य करण सिंह ने कहा कि राज्य की बागडोर एक युवा और गतिशील नेता के पास जानी चाहिए और वह हैं सचिन पायलट। गौरतलब है कि गहलोत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं और उनके मुख्यमंत्री पद छोड़ने की संभावना है। दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के तुरंत बाद मुख्यमंत्री बनने के लिए गहलोत और पायलट नेतृत्व को लेकर आमने-सामने आ गये थे। लेकिन पार्टी ने गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री बताया और पायलट उपमुख्यमंत्री बने। जुलाई 2020 में सचिन पायलट ने पार्टी के 18 विधायकों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी। एक महीने तक चला राजनीतिक संकट पार्टी नेता राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद समाप्त हुआ था।

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