सोमवार, 18 जुलाई 2022

जल दोहन मुख्य कारण, भूजल का घटता स्तर

जल दोहन मुख्य कारण, भूजल का घटता स्तर

दीपक राणा  
गाजियाबाद। भूजल जन - जागरूकता के उद्देश्य से प्रदेश में दिनांक 16 जुलाई से 22 जुलाई तक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भूजल सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। वही, अनियंत्रित एवं अविवेकपूर्ण दोहन तथा पुनभ्ररण के अभाव में उपलब्धता एंव गुणवत्ता में कमी आ रही है। ऐसी स्थिति में प्रदेश स्तर पर जागरूकता के उद्देश्य से "भूजल सप्ताह" का आयोजन सराहनीय प्रयास है। उत्तर प्रदेश सरकार की 16 से 22 जुलाई 2022 "भूजल सप्ताह" से प्रेरणा लेते हुए, सामाजिक कार्यकर्ता रविंद्र आर्य ने 5 लोगो के खिलाफ पत्र लिख भूजल दोहन की शिकायत किया। यह पत्र गा.बाद मुख्य विकास अधिकारी विक्रमादित्य मलिक और लघु सिचाई खंड के नोडल अधिकारी हरिओम को यह सब जानकारी कर उचित कारवाही करने को पत्र में कहा गया।
बता दे की रविंद्र आर्य ने पत्र में लिखा की गाजियाबाद शहर का माना-जाना वाला 4 सितारा फॉर्च्यून इन ग्राज़िया होटल बिना एन ओ सी के भूजल दोहन कर रहा है। जिसमे की मालिवाड़ा चौक में वाहन धोने का सर्विस स्टेशन एवं लोनी रोड पर 2 अबैध आर ओ प्लांट और 1 कार धुलाई सर्विस स्टेशन के संचालकों के बारे मे लिखा की सालों से बिना एन ओ सी के सुचारु रूप से चला रहे है। और अबैध आर ओ प्लांट पानी के टैंकरो द्वारा गाजियाबाद, लोनी और साहिबाबाद, इंद्रापुरम क्षेत्र में सप्लाई कर भूजल दोहन कर रहे है। जिससे स्थानीय क्षेत्र का जलस्तर कम होता जा रहा है।
अपको बता दे की उत्तर प्रदेश सरकार के अधिनियम 2019 एक्ट अनुसार उत्तर प्रदेश में एन ओ सी और लाइसेंस के बगैर कोई भी कंपनी या व्यक्ति आर ओ प्लांट संचालित नहीं कर सकता है। जिसमे की भूमि से जल दोहन कर व्यवसाय करना भी कानूनी जुर्म है। जिसमे 2 लाख से 5 लाख का जुर्माना और 6 महीने से 1 साल की सजा का भी प्रावधान है।

सूची : 1. फॉर्च्यून इन ग्राज़िया, 4 स्टार होटल, सेक्टर 23, संजय नगर, 2. संचालक : जय प्रकाश चौधरी (चौधरी सर्विस स्टेशन) मालिवाड़ा चौक। 3. वीर सिंह नागर (जे डी एस कार धुलाई सर्विस स्टेशन) लोनी रोड। 4. महिपाल सिंह चौहान (चौहान इंटरप्राइजेज) लोनी रोड। 5. रनजन/बंटी (दीपक डीएम वॉटर सप्लाई स्टोर) लोनी रोड, मोहन नगर।

बिना एन ओ सी के जल दोहन कर व्यवसाय करने वाले अबैध आर ओ प्लांटो और कार और दुपहिया वाहनों को जल दोहन करने वालों की सूची दिया गया। रविंद्र आर्य का कहना है की जल दोहन के कारण ही उत्तर प्रदेश और हमारे जिला गाजियाबाद में भूजल स्तर में कमी आई है। जबकि सिंचाई में 60-65 प्रतिशत भूमिगत जल का प्रयोग किया जाता है। भूजल संरक्षण के लिए हमें इस परम्परा को रोकना होगा। अपनी आमदनी तो बढ़ाना चहाते है, पर भूजल बचा रहे इसके लिए कोई प्रयास नहीं करते हैं। देश में पानी के के परम्परागत स्रोत कम वर्षा व बेतरतीब दोहन के चलते खत्म होते जा रहे हैं इस कारण भूजल स्तर घटता जा रहा है।

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