मंगलवार, 14 जून 2022

मूल मुकदमें की विचारणीयता पर फैसला नहीं सुनाएं

मूल मुकदमें की विचारणीयता पर फैसला नहीं सुनाएं

इकबाल अंसारी
बेंगलुरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बेंगलुरु की एक अदालत को निर्देश दिया है कि वह एक स्थानीय मस्जिद का सर्वेक्षण करने के अनुरोध को लेकर दायर मूल मुकदमें की विचारणीयता पर अपना फैसला नहीं सुनाएं। बेंगलुरु में तृतीय अतिरिक्त सिविल अदालत टी. ए. धनंजय और बी. ए. मनोज कुमार की याचिका की सुनवाई कर रही है, जिसमें दावा किया गया है कि बेंगलुरु के निकट थेंका उलीपाडी गांव, मलाली में असैद अब्दुल्लाही मदनी मस्जिद के नवीनीकरण के दौरान ‘मंदिर जैसी संरचना’ का पता चला था।
उन्होंने इस दावे की पुष्टि के लिए मस्जिद का सर्वे कराने का अनुरोध किया है। उच्च न्यायालय में उन्हीं याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक रेड्डी ने दलील दी कि अदालत द्वारा नियुक्त आयुक्त द्वारा एक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए और उसके आधार पर एक रिपोर्ट सौंपी जानी चाहिए, लेकिन निचली अदालत को इससे पहले इस तरह के मामले की विचारणीयता पर निर्णय लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
उन्होंने दलील दी कि यदि निचली अदालत में याचिका को विचारणीयता के मुद्दे पर खारिज कर दिया जाता है, तो मस्जिद के अंदर की संरचनाओं को हटाए जाने या नष्ट किए जाने की आशंका है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सचिन शंकर मगदुम की एकल पीठ ने सोमवार को मस्जिद के अधिकारियों को नोटिस जारी किया और निचली अदालत को मुकदमे की विचारणीयता पर अपना फैसला नहीं सुनाने का निर्देश दिया। मामले में अगली सुनवाई 17 जून को होगी। इससे पहले, निचली अदालत ने मस्जिद के अधिकारियों को विवादित ढांचे को नहीं हटाने का निर्देश दिया था।

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