मंगलवार, 7 जून 2022

तालाबों को साफ करने के लिए नौकरी छोड़ी

तालाबों को साफ करने के लिए नौकरी छोड़ी 

अश्वनी उपाध्याय  
गाजियाबाद। किसी आम नौजवान की तरह ही गाजियाबाद के डाढ़ा गांव के रामवीर तंवर भी इंजीनियरिंग करने के बाद अपना करियर बनाना चाहते थे। उनके पिता भी चाहते थे कि बेटा इंजीनियर बन कर अच्छी नौकरी करे। रामवीर तंवर की पढ़ाई के लिए उनके किसान पिता ने अपनी कुछ जमीन भी भेज दी थी। रामवीर तंवर इंजीनियर भी बने और वह नौकरी भी करने लगे। इसी दौरान वे मशहूर पर्यावरणविद अनुपम मिश्र के संपर्क में आए। रामवीर तंवर ने महसूस किया कि शहरों में लोग वॉटर पंप लगाकर पानी खींच रहे हैं और वॉटर लेवल नीचे गिरता जा रहा है। जबकि तालाबों की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है।
अपने गांव और आसपास के इलाकों में तालाबों की बिगड़ती हालत को देखने के बाद रामवीर तंवर के मन में तालाबों के बेहतर बनाने के लिए काम करने की इच्छा जागी। रामवीर तंवर ने 2014 में तालाबों को सुधारने का काम शुरू कर दिया। उस समय रामवीर तंवर कुछ बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे। उन बच्चों के परिवार वालों को साथ लेकर रामवीर तंवर ने अपने गांव के तालाब को साफ सुथरा करने का काम किया। इससे उन्हें अच्छा लगा और उन्होंने तालाबों को साफ करने का काम करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी।

6 राज्यों में साफ कर चुके 42 तालाब...
रामवीर तंवर ने जब तालाबों को साफ करने का काम शुरू किया तो जल्द ही उन्हें इसमें कुछ एनजीओ और कारपोरेट कंपनियों का भी समर्थन मिलने लगा. आज रामवीर तंवर हरियाणा, उत्तराखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे 6 राज्यों में करीब 42 तालाबों की हालत सुधार चुके हैं। इस काम में उनकी मदद 12 लोगों की एक कोर टीम करती है।जिसके साथ 100 के करीब वालंटियर जुड़े हैं। इसके अलावा रामवीर तंवर 150 मजदूरों को भी काम देते हैं। रामवीर तंवर की कोशिश से अब तक डेढ़ लाख वर्ग मीटर इलाके में तालाबों की हालत बेहतर हो चुकी है। जिससे सालाना 20 करोड़ लीटर पानी का संरक्षण होता है।
अपने काम से रामवीर तंवर अब गाजियाबाद के पांडमैन बन चुके हैं। उनको तालाबों का एक्सपर्ट मान लिया गया है। रामवीर तंवर सरकारी संस्थाओं और निजी संस्थाओं को कंसल्टेंसी भी देते हैं।
एक्सपोर्ट कंसल्टेंट के तौर पर रामवीर तंवर तालाबों को सुधारने के लिए काम करते हैं और इसके लिए फीस भी लेते हैं। अपने तालाब संरक्षण के काम को संस्थागत रूप देने के लिए उन्होंने ‘से अर्थ’ नामक एक एनजीओ बनाया है।भविष्य में रामवीर तंवर ने शहरों में अर्बन फॉरेस्ट लगाने का काम आगे बढ़ाने का फैसला किया है। इसके लिए उन्होंने जापान की मियावाकी पद्धति अपनाई है। गाजियाबाद में उन्होंने अर्बन फॉरेस्ट तैयार करने के तीन प्रोजेक्ट हाथ में लिए हैं। अभी तक उन्होंने जितने पौधे लगाए हैं, उनमें 95% सफल हैं।

तालाब हो आर्थिक तौर पर सक्षम...
रामवीर चाहते हैं कि देश में तालाब खुद आर्थिक रूप से समर्थ हों और खुद पर निर्भर हों।इसके लिए वे तालाबों में मछली पालन, सिंघाड़ा और कमल उगाने जैसे काम शुरू करने पर जोर देते हैं। इससे तालाबों से एक नियमित आय हासिल होती है और इस काम में लगे लोग तालाबों को सुरक्षित रखने के लिए तत्पर होते हैं। क्योंकि तालाब के साथ उनकी आमदनी जुड़ जाती है। तालाबों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए रामवीर तंवर ने जल चौपाल नामक कार्यक्रम भी शुरू किया है।  जिससे लोगों के अंदर जागरूकता आए और वे अपने आसपास के तालाबों और वॉटर बॉडी की साफ-सफाई और देखरेख करें। रामवीर तंवर का मानना है कि तालाबों को उन्होंने एक बार साफ तो कर दिया लेकिन उसे सुरक्षित रखना स्थानीय लोगों का काम है। इसके लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने के अनेक कार्यक्रम वे करते रहते हैं।
रामवीर तंवर ने तालाबों के संरक्षण के लिए नौजवानों को अपने साथ जोड़ने की मुहिम में एक अनोखी पहल सेल्फी विद पांड शुरू किया है। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे अपने पसंदीदा तालाब के साथ एक सेल्फी लें और सोशल मीडिया पर उसको पोस्ट करें। अपने तालाबों की पहचान के लिए जगह का नाम भी लिखें। सोशल मीडिया पर अपलोड करने के साथ उनके पास नोटिफिकेशन पहुंच जाता है।
‌इससे वह तालाब के साथ सेल्फी लेने वाले लोगों से संपर्क करके अपने साथ उनको जोड़ने लगते हैं। इससे एक कड़ी से कड़ी जुड़ती जाती है और देश में तालाबों की हालत के बारे में रामवीर तंवर को जानकारी मिल जाती है। रामवीर तंवर को इससे पता चल जाता है कि कहां के तालाब पर उनको जल्द से जल्द काम करने की जरूरत है।

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