रविवार, 8 मई 2022

आई लव माई मदर 'कविता'

आई लव माई मदर    'कविता'  

न तो मां का प्यार मिला,
न वो बाप के प्यार का फूल खिला।
लुट गई मेरी मिन्नतें,
फिर भी बच गई कुछ हसरतें।

बचपन में मर गई मेरी मां,
मर गया मेरा बाप।
मिटी हुईं हस्तियों में, 
आपो ही आप।

कड़ी धूप में तपता रहा हूं मैं,
बूंद-बूंद कर रिश्ता रहा हूं मैं।
ए दोस्त, कौन सा मौसम है ऐसा, 
जिससे बचता रहा हूं मैं।

अब कोई दोस्त बाकी नहीं रहा,
जो कुछ खाली था, वो भी नहीं बचा।

बस एक इस लिहाज से, 
फरिश्ता है।
मेरे जो दिल के पास है,
वो मेरी मां का रिश्ता है।

कृति- चंद्रमौलेश्वर शिवांशु 'निर्भयपुत्र'

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