बुधवार, 11 मई 2022

एससी का आदेश, राजद्रोह कानून पर रोक

एससी का आदेश, राजद्रोह कानून पर रोक 

अकांशु उपाध्याय     
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजद्रोह कानून के मामलें पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आदेश दिया कि विवादास्पद राजद्रोह कानून पर रोक रहेगी। क्योंकि सरकार इसकी समीक्षा करेगी और जेल में बंद लोग जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। वहीं आदेश के तुरंत बाद, केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि वह “अदालत और इसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं”, लेकिन एक “लक्ष्मण रेखा” है जिसे पार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि “हमने अपनी स्थिति बहुत स्पष्ट कर दी है और अपने पीएम (प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी) के इरादे के बारे में अदालत को सूचित किया है हम अदालत और इसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं। लेकिन एक ‘लक्ष्मण रेखा’ है। जिसका सम्मान सभी अंगों द्वारा किया जाना चाहिए।
इसके अलावा केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम भारतीय संविधान के प्रावधानों के साथ-साथ मौजूदा कानूनों का भी सम्मान करें। बता दें कि अपनी सुनवाई में शीर्ष अदालत ने कहा है कि जो लोग इस कानून की धारा 124 A के तहत जेल में बंद हैं वे जमानत के लिए कोर्ट में जाएं। इससे पहले सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार पुलिस को देशद्रोह के प्रावधान के तहत संज्ञेय अपराध दर्ज करने से नहीं रोक सकती, लेकिन एक सक्षम अधिकारी (SP रैंक) की संस्तुति के बाद ही 124A के मामले दर्ज किए जाएं। ऐसा किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि लंबित राजद्रोह के मामलों की समीक्षा की जा सकती है।124 A के तहत दर्ज मामलों में जल्द से जल्द जमानत देने पर विचार किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को लेकर तीन अहम बातें कही। पहला फिलहाल कोई मुकदमा इस मामले में दर्ज नहीं होगा। दूसरा पेंडिंग मामलों में जो मुकदमे इस धारा के तहत दर्ज है उन्हे ठंडे बस्ते में रखा जाएगा। ये सारे आदेश तब तक लागू रहेंगे जब तक कोर्ट कोई अगला आदेश न दे या फिर सरकार इस पर कोई फैसला न ले ले। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला देते हुए राजद्रोह कानून के तहत कोई नया केस दर्ज करने पर रोक लगा दी। चीफ जस्टिस एनवी रमण की बेंच ने केंद्र सरकार को देशद्रोह कानून धारा 124A पर पुनर्विचार करने की इजाज़त देते हुए कहा कि इस प्रावधान का उपयोग तब तक करना उचित नहीं होगा। जब तक कि इस पुनर्विचार की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती।


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