सोमवार, 2 मई 2022

हरियाणा-यूपी आवागमन, 22 किमी का चक्कर नहीं

हरियाणा-यूपी आवागमन, 22 किमी का चक्कर नहीं
विजय भाटी
गौतम बुध नगर। यूपी से हरियाणा आने-जाने वालों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। जल्द ही रोजाना सैकड़ों वाहनों को यूपी से हरियाणा और हरियाणा से यूपी (UP) जाने के लिए 22 किमी का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। आने वाले चंद रोज में यमुना एक्सप्रेसवे को ईस्टर्न पेरिफेरल से जोड़ने का काम शुरू हो जाएगा। इसके बाद वाहन यमुना एक्सप्रेसवे से उतरकर सीधे ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर चढ़ जाएंगे। सिरसा से होते हुए एक लम्बा चक्कर नहीं लगाना होगा। इतना ही नहीं हरियाणा वाले के लिए जेवर एयरपोर्ट तक आना भी आसाना हो जाएगा। क्योंकि यमुना एक्सप्रेसवे से एक एलिवेटेड सड़क जेवर एयरपोर्ट तक के लिए भी बनाई जानी है।
आगरा से होते हुए यूपी और हरियाणा के बीच रोजाना करीब 20 हजार वाहन रफ्तान भरते हैं। अभी आगरा की ओर से यमुना एक्सप्रेसवे होते हुए वाहनों को हरियाणा जाने के लिए जीरो प्वाइंट से वापस सिरसा लूप से ईस्टर्न पेरिफेरल पर जाना पड़ता है। इसी तरह हरियाणा से मालवाहक या सामान्य वाहन भी सिरसा उतरने के बाद परी चौक होते हुए जीरो प्वाइंट से आगरा जाने के लिए यमुना एक्सप्रेसवे पर चढ़ते हैं। जगनपुर-अफजलपुर गांव के पास इंटरचेंज बनाने का मकसद जेवर एयरपोर्ट आने वाले लोगों को भी फायदा पहुंचाना है। इस इंटरचेंज के बन जाने के बाद सबसे ज्यादा फायदा हरियाणा और वेस्ट यूपी के लोगों को होगा। वक्त और ईधन की बचत के साथ कर्मार्शियल वाहन भी इंटरचेंज का फायदा उठा सकेंगे। मई में शुरू होकर अगस्त 2022 में इंटरचेंज के बनकर तैयार होने की उम्मीद है। इसके बनने में करीब 76 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया और यमुना अथॉरिटी से जुड़े अफसरों की मानें तो यमुना एक्सप्रेसवे के नोएडा जीरो पाइंट से 9 किमी की दूरी पर जगनपुर-अफजलपुर गांव के पास दोनों यमुना एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे आपस में मिलते हैं। इसी जगह को इंटरचेंज बनाने के लिए चुना गया है। यहां पर चार रैंप बनाई जाएंगी। जिसमे से दो रैंप चढ़ने तो दो उतरने की होंगी। लेकिन किसानों के साथ चला जमीन विवाद पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद यह योजना लेट हो गई। लेकिन अब मामला कुछ बनता हुआ दिखा तो योजना ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है।
यूपी सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए किसानों की मांग थी कि जिस तरह से ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे बनाते वक्त 3500 हजार रुपये की रेट से मुआवजा दिया गया है तो इंटरचेंज बनाते वक्त हमे भी उसी रेट से मुआवजा दिया जाए। गौरतलब रहे इस मामले में यूपी सरकार हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में चली गई। लेकिन अब चर्चा है कि सरकार और किसानों के बीच में बातचीत काफी हद तक सुलझ गई है और जल्द ही काम शुरू हो सकता है।

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