शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022

आवारा पशुओं के भटकने पर रोक, विधेयक पारित

आवारा पशुओं के भटकने पर रोक, विधेयक पारित

इकबाल अंसारी           

गांधीनगर। गुजरात के शहरी क्षेत्रों में सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर आवारा पशुओं के भटकने पर रोक लगाने के उद्देश्य से, राज्य विधानसभा ने शुक्रवार को एक विधेयक पारित किया। इससे पशुपालकों का शहरों तथा नगरों में ऐसे जानवरों को रखने के लिए लाइसेंस प्राप्त करना और मवेशियों पर टैग लगाना अनिवार्य हो गया है और ऐसा न करने पर उन्हें कारावास की सजा भी हो सकती है।गुजरात विधानसभा में बृहस्पतिवार को शाम करीब छह बजे इस विधेयक पर बहस शुरू हुई थी, जो सात घंटे तक चली। बहस के बाद देर रात सदन में विधेयक को पारित किया गया।

विपक्षी दल कांग्रेस ने ‘गुजरात मवेशी नियंत्रण (पालना और आवाजाही) शहरी क्षेत्र में विधेयक’ का जोरदार विरोध किया और इस तरह का ‘‘काला कानून’’ लाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी। शहरी विकास राज्य मंत्री विनोद मोरडिया ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि शहरी क्षेत्रों में गाय, भैंस, बैल और बकरियों जैसे मवेशियों को रखने की प्रथा शहरवासियों के लिए परेशानी का सबब बन रही है, क्योंकि पशुपालक अपने जानवरों को इधर-उधर सड़कों तथा सार्वजनिक स्थानों पर घूमने के लिए छोड़ देते हैं।

मोरडिया ने कहा कि इस कानून के तहत, पशुपालकों को अपने मवेशियों को शहरी क्षेत्रों में रखने के लिए एक सक्षम प्राधिकारी से लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता होगी, जिसमें आठ शहर अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, वडोदरा, गांधीनगर, जूनागढ़, भावनगर तथा जमानगर और 156 नगर शामिल हैं। लाइसेंस के बिना किसी भी व्यक्ति को मवेशी रखने की अनुमति नहीं होगी। मंत्री ने कहा कि लाइसेंस प्राप्त करने के 15 दिनों के भीतर, मालिक को अपने मवेशियों को चिह्नित करवाना (टैग लगाना)होगा और मवेशियों को सड़कों या शहर के किसी अन्य स्थान पर जाने से रोकना होगा।

ऐसा ना करने पर उन्हें एक साल तक की जेल की सजा या 10,000 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि चिह्नित मवेशियों के पकड़े जाने पर, मालिक को पहली बार 5,000 रुपये, दूसरी बार 10,000 रुपये और तीसरी पर उस पर 15,000 रुपये का जुर्माना लगाने के साथ-साथ उसके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की जाएगी। वहीं, बिना चिह्नित मवेशियों के पकड़े जाने पर अधिकारियों द्वारा उन्हें स्थायी पशु ‘शेड’ में स्थानांतरित कर दिया जाएगा और 50,000 रुपये का जुर्माना वसूलने के बाद ही वापस किया जाएगा।

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