गुरुवार, 28 अप्रैल 2022

धरती के महान सपूत लचित की 400वीं जयंती

धरती के महान सपूत लचित की 400वीं जयंती 

इकबाल अंसारी  
दिसपुर। पीएम मोदी आज असम के दौरे पर हैं। असम के दीफू में पीएम मोदी ने कहा कि ये सुखद संयोग है कि आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब हम इस धरती के महान सपूत लचित बोरफुकान की 400वीं जयंती भी मना रहे हैं। उनका जीवन राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रशक्ति की प्रेरणा है। कार्बी आंगलोंग से देश के इस महान नायक को मैं नमन करता हूं।
पीएम ने आगे कहा कि डबल इंजन की सरकार, जहां भी हो वहां सबका साथ, सबका विकास एवं सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना से काम करती है। आज ये संकल्प कार्बी आंगलोंग की इस धरती पर फिर सशक्त हुआ है। असम की स्थाई शांति और तेज़ विकास के लिए जो समझौता हुआ था, उसको ज़मीन पर उतारने का काम तेज़ी से चल रहा है। आज असम में भी 2600 से अधिक अमृत सरोवर बनाने का काम शुरू हो रहा है। सरोवरों का निर्माण पूरी तरह से जनभागीदारी पर आधारित है। ऐसे सरोवरों की तो जनजातीय समाज में एक समृद्ध परंपरा रही है। इससे गांवों में पानी के भंडार तो बनेंगे ही, इसके साथ-साथ ये कमाई के भी स्रोत बनेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि 2014 के बाद से नॉर्थ ईस्ट में मुश्किलें कम हो रही हैं, लोगों का विकास हो रहा है। आज जब कोई असम के जनजातीय क्षेत्रों में आता है, नॉर्थ ईस्ट के दूसरे राज्यों में जाता है, तो हालात को बदलते देखकर उसे भी अच्छा लगता है। असम के अलावा त्रिपुरा में भी NLFT ने शांति के पथ पर कदम बढ़ाए।करीब ढाई दशक से जो ब्रू-रियांग से जुड़ी समस्या चल रही थी, उसको भी हल किया गया है।
पिछले वर्ष सितंबर में कार्बी आंगलोंग के अनेक संगठन शांति और विकास के संकल्प से जुड़े।2020 में बोडो समझौते ने स्थाई शांति के नए द्वार खोले। लंबे समय तक नॉर्थ ईस्ट के अनेक राज्यों में रहा है, लेकिन बीते 8 सालों के दौरान स्थाई शांति और बेहतर कानून व्यवस्था लागू होने के कारण हमने AFSPA को नॉर्थ ईस्ट के कई क्षेत्रों से हटा दिया है।
सबका साथ, सबका विकास की भावना के साथ आज सीमा से जुड़े मामलों का समाधान खोजा जा रहा है। असम और मेघालय के बीच बनी सहमति दूसरे मामलों को भी प्रोत्साहित करेगी। इससे इस पूरे क्षेत्र के विकास की आकांक्षाओं को बल मिलेगा।
जनजातीय समाज की संस्कृति, यहां की भाषा, खान-पान, कला, हस्तशिल्प, ये सभी हिंदुस्तान की समृद्ध धरोहर है। असम तो इस मामले में और भी समृद्ध है। यही सांस्कृतिक धरोहर भारत को जोड़ती है, एक भारत श्रेष्ठ भारत के भाव को मज़बूती देती है।
उन्होंने आगे कहा कि आजादी के इस अमृतकाल में कार्बी आंगलोंग भी शांति और विकास के नए भविष्य की तरफ बढ़ रहा है। अब यहां से हमें पीछे मुड़कर नहीं देखना है। आने वाले कुछ वर्षों में हमें मिलकर उस विकास की भरपाई करनी है, जो बीते दशकों में हम नहीं कर पाए।

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