गुरुवार, 3 मार्च 2022

दूसरे देशों के सामान का बाजार बनें भारत, अस्वीकार

दूसरे देशों के सामान का बाजार बनें भारत, अस्वीकार   

अकांशु उपाध्याय      

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में विनिर्माण उद्योग को प्रोत्साहित करने पर बल दिए जाने के महत्व को गुरुवार को रेखांकित करते हुए कहा, “यह भारत केवल दूसरे देशों के सामान का बाजार बन कर रह जाए, यह स्वीकार नहीं किया जा सकता। ” उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में अभी विनिर्माण कारोबार का योगदान कम है लेकिन संभावनाएं विशाल हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा और प्रतिभाशाली आबादी के जनसांख्यिकीय लाभांश, लोकतांत्रिक व्यवस्था, प्राकृतिक संसाधनों जैसे सकारात्मक कारकों के बल पर हमें दृढ़ संकल्प के साथ मेक इन इंडिया की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित होना चाहिए। नरेंद्र मोदी उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा बजट 2022-23 के प्रावधानों पर केंद्रित आन लाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। यह प्रधानमंत्री द्वारा संबोधित आठवां बजट-उपरांत वेबिनार है। इस संगोष्ठी का विषय था 'मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड' (दुनिया के लिए करें भारत में विनिर्माण)।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस बार के बजट में आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान हैं। उन्होंने कहा, “ यह स्वीकार्य नहीं है कि भारत जैसा देश केवल एक बाजार बनकर रह जाए। ” उन्होंने महामारी और अन्य अनिश्चितताओं के दौरान आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान की ओर इशारा करते हुए कहा कि इससे मेक इन इंडिया का महत्व और भी बढ़ गया है। प्रधानमंत्री ने कहा,“ युवा और प्रतिभाशाली आबादी के जनसांख्यिकीय लाभांश, लोकतांत्रिक व्यवस्था, प्राकृतिक संसाधनों जैसे सकारात्मक कारकों के बल पर हमें दृढ़ संकल्प के साथ मेक इन इंडिया की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित होना चाहिए। ”
उन्होंने जीरो डिफेक्ट-जीरो इफेक्ट (त्रुटि और प्रदूषण से मुक्त) विनिर्माण के अपने आह्वान का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “अगर हम राष्ट्रीय सुरक्षा के परिदृश्य में देखें तो आत्मनिर्भर भारत और भी महत्वपूर्ण है। ”
उन्होंने कहा कि भारत में विनिर्माण क्षेत्र का हिस्सा सकल घरेलू उत्पाद का 15 प्रतिशत है,लेकिन मेक इन इंडिया से पहले अनंत संभावनाएं हैं और हमें भारत में एक मजबूत विनिर्माण आधार बनाने के लिए पूरी ताकत से काम करना चाहिए। नरेंद्र मोदी ने सेमी-कंडक्टर और इलेक्ट्रिक वाहन जैसे क्षेत्रों में नई मांग और अवसरों का उदाहरण दिया, जहां निर्माताओं को विदेशी स्रोतों पर निर्भरता को दूर करने की भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी तरह, स्टील और चिकित्सा उपकरणों जैसे क्षेत्रों में भी स्वदेशी विनिर्माण के लिए ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने बाजार में उत्पाद की उपलब्धता और उसकी तुलना में भारत में बने उत्पाद की उपलब्धता के बीच अंतर के बारे में चर्चा की। उन्होंने अपनी निराशा को दोहराते हुए कहा कि भारत के विभिन्न त्योहारों के दौरान विदेशी प्रदाताओं द्वारा सामग्रियों की आपूर्ति की जाती है, जबकि वे स्थानीय निर्माताओं द्वारा आसानी से प्रदान की जा सकती हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि 'वोकल फॉर लोकल' का दायरा दिवाली पर 'दीया' खरीदने से कहीं आगे जाता है।

प्रधानमंत्री ने स्थानीय उत्पादों के लिए नए गंतव्य खोजने की आवश्यकता पर बल डाला। उन्होंने निजी क्षेत्र को अनुसंधान एवं विकास पर खर्च बढ़ाने और अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में विविधता लाने और अपग्रेड करने का आह्वान किया। 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित करने के बारे में, प्रधानमंत्री ने कहा, “ दुनिया में बाजरा की मांग बढ़ रही है। विश्व बाजारों का अध्ययन करके, हमें अपनी मिलों को अधिकतम उत्पादन और पैकेजिंग के लिए पहले से तैयार करना चाहिए उन्होंने कहा, “आपको वैश्विक मानकों को बनाए रखना होगा और आपको विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा में आगे भी निकलना होगा। 

उन्होंने कहा कि इस बजट में ऋण सुविधा और प्रौद्योगिकी उन्नयन के माध्यम से एमएसएमई को अत्यधिक महत्व दिया गया है। सरकार ने एमएसएमई के लिए 6,000 करोड़ रुपये के कार्यक्रम की भी घोषणा की है। बजट में बड़े उद्योगों और एमएसएमई के लिए किसानों के लिए नए रेलवे लॉजिस्टिक्स उत्पादों को विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। डाक और रेलवे नेटवर्क के एकीकरण से छोटे उद्यमों और दूरदराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी की समस्याओं का समाधान होगा। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए घोषित पीएम डिवाइन के मॉडल का उपयोग करके क्षेत्रीय विनिर्माण परिवेश को मजबूत किया जा सकता है। इसी तरह, विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम में सुधार से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

श्री मोदी ने सुधारों के प्रभाव के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि पीएलआई में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के लिए दिसंबर 2021 में 1 लाख करोड़ रुपये के उत्पादन का लक्ष्य हासिल किया गया है। कई अन्य पीएलआई योजनाएं कार्यान्वयन के महत्वपूर्ण चरणों में हैं।
प्रधानमंत्री ने 25 हजार अनुपालनों को हटाने और लाइसेंसों के स्वत: नवीनीकरण के बारे में चर्चा की, जिससे अनुपालन संबंधी बोझ में उल्लेखनीय कमी आई है। इसी तरह,डिजिटलीकरण नियामक ढांचे में गति और पारदर्शिता लाता है। उन्होंने कहा, ‘कॉमन स्पाइस फॉर्म से लेकर राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली से लेकर कंपनी स्थापित करने तक, अब आप हर कदम पर हमारे विकास के अनुकूल दृष्टिकोण को महसूस कर रहे हैं।

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