मंगलवार, 1 मार्च 2022

'महाशिवरात्रि' पर्व पर मंदिरो में भीड़, रुद्राभिषेक

'महाशिवरात्रि' पर्व पर मंदिरो में भीड़, रुद्राभिषेक         

सुशील केसरवानी       
कौशाम्बी। महाशिवरात्रि पर्व की महिमा अपरंपार है और महाशिवरात्रि पर्व पर प्रत्येक शिव मंदिरों में भक्तों ने पूजा-अर्चना एवं जलाभिषेक किया है। महाशिवरात्रि के पर्व पर भक्तों ने शिव मंदिरों में पूजा-अर्चना एवं जलाभिषेक कर देश के कल्याण की कामना की है। 
जिले के गंगा नदी के किनारे पल्हना घाट स्थित पंचमुखी महादेव और कड़ा स्थिति कालेश्वर महादेव मंदिर में मुगल आक्रांताओ द्वारा खंडित शिवलिंग की पूजा बड़ी श्रद्धा भक्ति के साथ भक्तों द्वारा लगातार की जाती है। महाशिवरात्रि के पर्व पर दोनों मंदिरों में महिला पुरुष भक्तों की भारी भीड़ पूजन में लगी रही सुबह से ही मंदिर में भक्तों द्वारा भगवान शिव का जलाभिषेक किया गया है और पूजन सामग्री समर्पित कर हवन यज्ञ पूजन भक्तों द्वारा किया गया है।
चायल तहसील क्षेत्र के गंगा नदी के किनारे पल्हाना घाट स्थित पंचमुखी शिवलिंग मंदिर की महिमा अपरंपार है।पूरे वर्ष यहां शिव भक्तों का मेला लगा रहता है। गंगा स्नान करने पहुंचने वाले भक्त बिना शिव मंदिर में दर्शन पूजन के वापस नहीं लौटते हैं। गंगा नदी किनारे 50 फीट ऊंचे एक टीले में स्थापित पंचमुखी शिवलिंग को मुगल आक्रांताओं ने मंदिर के सोने-चांदी के खजाने को लूटने के बाद पंचमुखी शिवलिंग को खंडित कर दिया था। मुगल आक्रांताओ द्वारा पंचमुखी शिवलिंग को खंडित किया जाने के बाद भी खंडित शिवलिंग की पूजा भक्तों द्वारा की जाती है।
मान्यता है कि पंचमुखी महादेव भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। बताया जाता है कि पंचमुखी महादेव शिव मंदिर की स्थापना हजारों वर्ष पूर्व भक्तों ने की थी। इस मंदिर में प्रतिदिन भक्तों की भीड़ लगती है। महाशिवरात्रि के महापर्व पर भक्तों ने दूध जल शहद से पंचमुखी महादेव को जलाभिषेक कराया और बेलपत्थर, धतूरा, भांग, पुष्प, बैर, आम का बौर, मदार का फूल, चना, जौ की बाली आदि सामग्री भोलेनाथ को अर्पित कर पूजा-अर्चना की और देश के कल्याण की कामना भक्तों ने भोलेनाथ से की।
सिराथू तहसील के कड़ा कस्बे के गंगा तट पर कालेश्वर महादेव शिव मंदिर में भी महाशिवरात्रि के पर्व पर भक्तों की भारी भीड़ लगी रही। इस मंदिर को भी मुगल आक्रांताओं ने खंडित कर दिया है। बताया जाता है कि महाभारत काल में धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने अज्ञातवास काल में स्थापित कर शिव स्तुति की थी। मध्य काल में मुस्लिम आक्रांताओं ने मंदिर की धन सम्पदा लूटने के चलते शिव लिंग पर आक्रमण कर उसे खंडित कर दिया। जिसके बाद से कालेश्वर महादेव के इस मंदिर मे खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है। महा शिवरात्री के मौके पर मंगलवार को शिवभक्तों ने गंगा स्नान कर अपने मनोरथ के अनुसार भगवान शंकर को जल, दूध, शहद आदि के अभिषेक कर पूजा की। देर रात्रि भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह कराया जाएगा। महाशिवरात्रि के दिन सैकड़ों की संख्या में भक्त महिला पुरुष शिव के मंदिर में आकार दर्शन करते हैं।

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