रविवार, 27 मार्च 2022

कार्यालय सभागार में बैठक व प्रशिक्षण का आयोजन

कार्यालय सभागार में बैठक व प्रशिक्षण का आयोजन   

पंकज कपूर           
चंपावत। 1 अप्रैल से 30 अप्रैल 2022 तक नेशनल डीवार्मिंग डे एवं एनीमिया मुक्त भारत अभियान कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु रविवार को जिलाधिकारी विनीत तोमर की अध्यक्षता में मुख्य शिक्षाधिकारी कार्यालय सभागार में बैठक व प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
इस दौरान जिलाधिकारी ने बताया कि इस कार्यक्रम के उद्देश्य के तहत राजकीय विद्यालयों/मान्यता प्राप्त विद्यालयों/आंगनबाड़ी केंद्रों में अध्ययनरत तथा नामांकित एवं विद्यालय नहीं जाने वाले बच्चों को एलबेंडाजोल टैबलेट खिलाई जानी हैं। साथ ही एनीमिया मुक्त भारत बनाए जाने का उद्देश हैं। चिकित्साधिकारी डॉ. श्वेता खर्कवाल ने बताया कि जिले में एक से 19 वर्ष तक के बच्चों को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के तहत 18 अप्रैल से 23 अप्रैल तक आशा व आगंनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा घर-घर जाकर पेट के कीड़े (कृमि) मारने की दवा एल्बेण्डाजाल खिलाने का अभियान चलाया जाएगा।
इसके साथ ही जनपद को अनीमिया मुक्त बनाने का उद्देश्य है। उन्होंने बताया कि हीमोग्लोबिन हमारे खून में पाया जाता हैं और हमारे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है। खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा का एक स्तर से कम हो जाना अनीमिया कहलाता है। जिसके लक्षण त्वचा, चेहरे, जीब व आंखों में लालीमां की कमी।काम करने में जल्दी थकावट हो जाना।सांस फूलना या घुटन होना होते हैं।
भोजन में आयरन की कमी होना, पेट मे कीड़े होना व पीने के पानी मे फ्लोरोसिस की मात्रा अधिक अनीमिया का कारण हो सकता हैं।उन्होंने बताया इस कार्यक्रम को पूरी तरह से सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग, बाल विकास एवं शिक्षा विभाग संयुक्त रूप से कार्य करगें।उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम जनपद के 4 ब्लाकों, 714 विद्यालयों व 397 आंगनबाड़ी केंद्रों में चलाया जाएगा।आई0एफ0ए व एल्बेलडाजोल की गोली सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी से निःशुल्क प्राप्त कर सकते हैं।
पेट के कीड़ों से बचाव के लिए एल्बेलडाजोल की एक गोली साल में दो बार जरूर लेनी चाहिए।उन्होंने बताया कि बच्चों में कृमि संक्रमण होने से कुपोषण और खून की कमी होने के साथ साथ थकावट होना, पढ़ाई में मन न लगना, जी मिचलाना, दस्त, पेट दर्द, कमजोरी, भूख न लगना जैसे लक्षण हो जाते हैं।
ज्यादा छोटे बच्चों को टेबलेट चूरा कर पानी के साथ खिलाया जाए। बड़े बच्चों को भी दवा चबा चबाकर ही खानी चाहिए। किसी भी तरह की बीमारी होने पर बच्चे को एल्बेण्डाजाल टेबलेट नहीं खिलानी है। यदि किसी भी तरह उल्टी या मिचली महसूस होती है तो खबराने की जरूरत नहीं। पेट में कीड़े ज्यादा होने पर दवा खाने के बाद सरदर्द, उल्टी, मिचली, थकान होना या चक्कर आना महसूस होना एक सामान्य प्रक्रिया है। दवा खाने के थोड़ी देर बाद सब सही हो जाता है।इसके अलावा फिर भी किसी अन्य तरह की बड़ी परेशानी हो तो चिकित्सक से सम्पर्क अवश्य करें।
इस दौरान अपरजिलाधिकारी शिवचरण द्विवेदी, मुख्य चिकिसाधिकारी के0के0अग्रवाल, मुख्य शिक्षाधिकारी बी0पी कुशवाहा, एसीएमओ डॉ इंदरजीत पांडेय, डॉ कुलदीप यादव, एमओआईसी, सीडीपीओ, आंगनबाड़ी कार्यकत्री, आशा कार्यकत्री समेत अन्य मौजूद रहे।

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