बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

'सीएफआई' की भूमिका, जानकारी देने का निर्देश

'सीएफआई' की भूमिका, जानकारी देने का निर्देश     

इकबाल अंसारी      
बेंगलुरु। हिजाब मामले की सुनवाई कर रहे कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य सरकार को कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) की भूमिका के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया। उल्लेखनीय है कि एक जनवरी को उडुपी के एक कॉलेज की छह छात्राएं तटीय शहर में सीएफआई द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में शामिल हुई थी।
इसका आयोजन कॉलेज प्रशासन द्वारा उन्हें कक्षाओं में हिजाब पहन कर प्रवेश करने देने से मना किये जाने के खिलाफ किया गया था। सरकारी पीयू कॉलेज फॉर गर्ल्स का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एस.एस. नगानंद, इसके प्राचार्य और एक शिक्षक ने बुधवार को उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ से कहा कि हिजाब विवाद सीएफआई से जुड़ी कुछ छात्राओं द्वारा शुरू किया गया था।
इस पर मुख्य न्यायाधीश रीतुराज अवस्थी ने जानना चाहा कि सीएफआई क्या है और इसकी क्या भूमिका थी। पूर्ण पीठ में मुख्य न्यायाधीश अवस्थी, न्यायमूर्ति जे एम खाजी और न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित शामिल हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि संगठन राज्य में प्रदर्शनों का समन्वय एवं आयोजन कर रहा था।
उन्होंने कहा, ”यह एक स्वैच्छिक संगठन है, जो अपना प्रसार कर रहा है और छात्राओं (कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति देने की मांग कर रही) के पक्ष में समर्थन जुटा रहा है। एक अन्य वकील ने कहा कि सीएफआई एक कट्टरपंथी संगठन है, जिसे महाविद्यालयों से मान्यता प्राप्त नहीं है। मुख्य न्यायाधीश अवस्थी ने जानना चाहा कि क्या इस बात से राज्य सरकार अवगत है।
इस पर नगानंद ने कहा कि खुफिया ब्यूरो यह जानता है। इसके बाद, मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार को महाधिवक्ता प्रभुलिंग के. नवदगी के मार्फत इसका पता लगाने का निर्देश दिया। जब नवदगी ने कहा कि कुछ सूचना है, तब मुख्य न्यायाधीश ने हैरानी जताई कि कैसे अचानक इस संगठन का नाम सामने आया है। नगानंद ने अदालत को बताया कि कुछ शिक्षकों को सीएफआई ने धमकी दी थी।
उन्होंने कहा, ”शिक्षक शिकायत दर्ज कराने से डर रहे थे लेकिन अब उन्होंने पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई है।  जब न्यायामूर्ति दीक्षित ने पूछा कि शिक्षकों को धमकी कब दी गई थी, नगानंद ने कहा कि दो दिन पहले। इस पर नाखुशी जाहिर करते हुए न्यायमूर्ति दीक्षित ने महाधिवक्ता से कहा कि उन्हें अदालत को बताना चाहिए था। महाधिवक्ता ने अपने जवाब में कहा कि वह घटना से अवगत नहीं थे। नगानंद ने यह भी कहा कि गर्ल्स कॉलेज में पोशाक से जुड़ा नियम 2004 से लागू है और अब तक जारी रहा है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you, for a message universal express.

पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया

पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया  अखिलेश पांडेय  वारसॉ। अक्सर लोग अपने प्यार का इजहार किसी खास जगह पर करने का सोचते हैं। ताकि वो पल ज...