बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

यूके हाईकोर्ट ने आपराधिक अवमानना की चेतावनी दीं

यूके हाईकोर्ट ने आपराधिक अवमानना की चेतावनी दीं  

पंकज कपूर         

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राजाजी टाइगर रिजर्व (आरटीआर) में रह रहे वनगूर्जरों के मामले में अदालत के आदेश का पालन नहीं करने के मामले में सरकार और देहरादून, हरिद्वार और पौड़ी जिलों के जिलाधिकारियों को एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है और आदेश का पालन नहीं करने की स्थिति में आपराधिक अवमानना की चेतावनी दी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की अदालत में दिल्ली की गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) थिंक एक्ट राइज फाउंडेशन व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। देहरादून, हरिद्वार व पौड़ी के अलावा अन्य जिलों के जिलाधिकारी वर्चुअली अदालत में पेश हुए।

याचिकाकर्ता अर्जुन कसाना की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार की ओर से 15 दिसंबर 2021 को जारी आदेश का पालन आज तक नहीं किया गया है। सरकार इस मामले में लापरवाही बरत रही है। दूसरी ओर सरकार के अधिवक्ता की ओर से आज इस मामले में अतिरिक्त समय की मांग की गयी। इसके बाद अदालत ने हरिद्वार, पौड़ी व देहरादून के जिलाधिकारियों को अदालत के आदेश का पालन करने के लिए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दे दिया और आदेश का पालन नहीं करने की स्थिति में स्वत: संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना की चेतावनी भी दी है।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 15 दिसंबर, 2021 को आदेश जारी कर सरकार को निर्देश दिये थे कि आरटीआर के अंतर्गत रह रहे 179 परिवारों के पुनर्वास के लिये दो महीने के अंदर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करें और एक साल के अंदर उस पर क्रियान्वयन करे। अदालत ने यह भी कहा कि डीपीआर में वनगूर्जरों के लिये सभी प्रकार की सुख सुविधायें सरकार जुटाये। इसके तहत सड़क, बिजली, पानी, सीवर, प्राथमिक स्वास्थ्य व शिक्षा सुविधा शामिल हो और उनके जानवरों के लिये भी अस्पताल व दूध एकत्रीकरण सेंटर भी स्थापित करें। अदालत ने सरकार को यह भी निर्देश दिये कि कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के सोना नदी के अंतर्गत रह रहे 24 वन गूर्जर परिवारों को पुनर्वास प्रक्रिया के तहत तीन माह के अंदर 10 लाख रुपये प्रति परिवार भुगतान करे। अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि इन दो मांगों पर यदि समय रहते अमल नहीं किया जाता है तो वह अवमानना याचिका दायर करने को स्वतंत्र हैं। यही नहीं अदालत ने सरकार को निर्देश दिये कि वह सोना नदी से पुनर्वासित 157 वनगूर्जर परिवारों को छह माह के अंदर भूमि का कब्जा प्रमाण पत्र उपलब्घ कराये। इसके अलावा अदालत ने आरटीआर के अंतर्गत रह रहे 179 वन गूर्जर परिवारों की मवेशियों के लिये खाना उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिये थे।

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