शनिवार, 22 जनवरी 2022

'मुसलमानों' से कहो, मदन भैया जीत रहा हैं

'मुसलमानों' से कहो, मदन भैया जीत रहा हैं        
इकबाल अंसारी    
गाजियाबाद। जब गीदड़ का समय खराब आता हैं तो वह गांव की ओर भागता है। क्योंकि वह उसके जीवन का खराब समय होता है। वह जंगल को छोड़कर घनी बसावत में चला जाता है। जहां उसके प्राणों पर संकट का भय बना रहता है, और यह बात बिल्कुल सत्य है। समय किसका, कब खराब शुरू हो जाए? यह समय के अलावा और कोई नहीं जानता है।
बात कर रहे है विधानसभा चुनाव की, यहां लोनी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी व निवर्तमान विधायक नंदकिशोर, एक बैठक में अपने साथियों को निर्देशित कर रहे हैं कि मुसलमानों में यह प्रचार करो कि मदन भैया जीत रहे हैं। विडियों का केवल इतना ही भाग संपादित किया गया है। इस बात के कहने का प्रयोजन स्पष्ट नहीं हो पाता है। किंतु इस विडियों से पहला संदेश जनता मे दर्शाता हैं कि नंदकिशोर एक सफल रणनीतीज्ञ नहीं है, गुप्त मंत्रणा और योजनाओं का सावर्जनिक होना, कमजोर दूर दृष्टिकोण का वाहक हैं। या द्वंद से पहले ही मदन के सामने घुटने टेक दिए हैं। स्वयं का प्रचार छोड़ कर विपक्ष के प्रचार करने का क्या कारण ?
यदि इसे रणनीति कहा जाता हैं तो रणनीतिकारो का इससे ज्यादा परिहास नहीं हो सकता हैं।
दूसरा संदेश भी जनता मे जरुर गया है कि रंजीता धामा के चुनाव समर मे ताल ठोकने के बाद भाजपा की कैडर वोट दो हिस्सों में बट गई हैं। भाजपा के कैडर बोर्ड के बंटवारे से कहीं नंदकिशोर गुर्जर बौखलाहट में तो नहीं आ गए हैं। लेकिन एक सामान्य व्यक्ति, सामान्य स्थिति में एक बैठक में अपने साथी-सहयोगियों को दिशा-निर्देश जारी कर रहा है और चुनावी रणनीति तैयार कर रहा हैं। ऐसी स्थिति में किसी को बौखलाहट से परिभाषित करना न्याय उचित नहीं होगा। किंतु इससे यह साफ हो गया है कि लोनी विधानसभा क्षेत्र भाजपा के खाते से खिसक गया हैं।
रही बात रालोद व सपा के संयुक्त प्रत्याशी पूर्व विधायक मदन भैया की, क्षेत्र में एक लहर हैं, जिसे किसी खास प्रचार की भी जरूरत नहीं है। जीत का सेहरा उस सिर पर सजने के लिए उतावला हैं।

भारत मुक्ति मोर्चा से गठबंधन का ऐलान: औवेसी 

संदीप मिश्र       लखनऊ। उत्तर प्रदेश में तारीखों के नजदीक आते ही सियासी गलियारो में चुनावी बयार कुछ अलग ढंग से बहने लगी है। पार्टियां सत्ता में आने के लिए बड़े से बड़ा ऐलान करने से नहीं चूक रही हैं। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को बाबू सिंह कुशवाहा की पार्टी और भारत मुक्ति मोर्चा के साथ गठबंधन का ऐलान किया है। गठबंधन की घोषणा के वक्त ओवैसी ने कुछ ऐसा फॉर्मूला निकाला, जिसके बारे में शायद इससे पहले आपने कभी नहीं सुना होगा। ओवैसी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बाबू सिंह कुशवाहा और भारत मुक्ति मोर्चा के साथ गठबंधन का एलान करते हुए कहा कि, अगर गठबंधन सत्ता में आता है तो राज्य मे 2 मुख्यमंत्री होंगे। इन दो मुख्यमंत्री में से एक ओबीसी समुदाय से और दूसरा दलित समुदाय से होगा। मुस्लिम समुदाय की बात करने वाले ओवैसी ने यहां 3 डिप्टी सीएम का फॉर्मूला भी निकाल लिया है। उन्होंने कहा कि राज्य में 3 डिप्टी सीएम होंगे, जो मुस्लिम समुदाय से होंगे।

इससे पहले गुर्जर के सपा का दामन थामने के बाद ओवैसी ने उनकी पुरानी तस्वीरों के बहाने अखिलेश पर करारा तंज कसा है। ओवैसी ने ट्वीट कर लिखा, “एसपी एक वाशिंग मशीन है जिसमें संघी सेक्युलर बन जाते हैं। मरहूम कल्याण सिंह, हिंदू युवा वाहिनी के सुनील, स्वामी प्रसाद और अब ये। उम्मीद है के मुस्लिम एसपी नेता इनकी गुल-पोशी करेंगे और इनके ‘सामाजिक न्याय’ के लिए अपनी ‘जवानी क़ुर्बान’ करेंगे। बाक़ी बी-टीम का ठप्पा तो सिर्फ़ हम पर लगेगा। मुखिया गुर्जर कुछ दिन पहले तक यूपी में कमल के फूल की खुशबू को बिखर रहे थे, लेकिन इस बार चुनाव में दोबारा साइकिल की सवारी करेंगे।

बीते कुछ दिनों से ओवैसी लगातार गाहे-बगाहे अखिलेश को निशाने पर लेते रहे हैं। इसकी वजह है यूपी के मुसलमान यूपी में मुसलमान कुल आबादी का 20 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश विधानसभा की 403 सीटों में से 107 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता हार और जीत तय करने की ताकत रखते हैं।

18वीं विधानसभा गठन के लिए तैयारी: बसपा

संदीप मिश्र         लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 18वीं विधानसभा के गठन के लिए बहुजन समाज पार्टी की भी जोरदार तैयारी है। पार्टी की प्रमुख उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को दूसरे चरण के 51 प्रत्याशियों की सूची जारी की। बसपा सुप्रीमो मायावती ने ‘हर पोलिंग में जिताना है’ सत्ता में आना है’ नारे के साथ शनिवार को 51 बसपा प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी की। मायावती ने बसपा के राज्य मुख्यालय में सूची जारी करने के दौरान बसपा के सभी नेता तथा कार्यकर्ताओं से कोविड गाइडलाइन का पालन कर प्रचार करने की अपील भी की। बसपा प्रमुख मायावती ने दूसरे चरण की 55 में से 51 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। बचे हुए 4 उम्मीदवारों के नाम भी जल्द घोषित किए जाएंगे।

मायावती ने कहा कि हमने कार्यकर्ताओं से कहा है कि कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए चुनाव प्रचार करें। मुझे पूरी उम्मीद है कि कोरोना के विकट समय में भी कार्यकर्ता अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए काम करेंगे। इससे पहले 15 जनवरी को मायावती ने पहले चरण के उम्मीदवारों के नाम घोषित किए थे। हालांकि, मायावती ने ये नहीं बताया कि इस बार चुनाव में बसपा किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी लोग 2022 में बसपा सरकार बनाने के लिए मेहनत करें। उन्होंने कार्यकर्ताओं को नया नारा भी दिया। कहा- हर पोलिंग बूथ को जिताना है, बसपा को सत्ता में लाना है।

जदयू पार्टी ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की 

अविनाश श्रीवास्तव            पटना। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार की सियासत से बड़ी खबर सामने आ रही है। जनता दल यूनाइटेड ने उत्तर प्रदेश में अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने शनिवार को दिल्ली में 26 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है। इसके साथ ही यह तय हो गया है कि यूपी में बिहार का एनडीए गठबंधन नहीं चल पाएगा।

इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ मैदान में जेडीयू के नेता उतरेंगे और योगी को टक्कर देने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी यूपी का दौरा करेंगे। यूपी में चुनावी रैलियों को नीतीश कुमार संबोधित करेंगे और पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार भी करेंगे। जेडीयू के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि चरणवार उम्मीदवारों की सूची जारी हुई। सूची में जिन इलाकों में पहले फेज और दूसरे फेज में पार्टी चुनाव लड़ाना चाहती है वहां के उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की गई है।

बता दें कि केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और धर्मेंद्र प्रधान से गठबंधन के लिए बात की, लेकिन बात नहीं बनी। नतीजा ये रहा कि जेडीयू को अब अकेले ही चुनावी मैदान में उतरना पड़ रहा है। पार्टी ने 51 प्रत्याशियों की सूची भी तैयार कर ली है। आज 26 सीटों की पहली सूची जारी हुई है। जल्द ही दूसरी सूची भी जारी करेंगे।

चुनाव: कार्यकाल के दौरान 24 विधायकों ने बदला दल

मोहम्मद रियाज 

पणजी। गोवा में 14 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिये मतदान होना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘मौजूदा विधानसभा (2017-2022) के पांच साल के कार्यकाल के दौरान लगभग 24 विधायकों ने दल बदला। जो सदन में विधायकों की कुल संख्या का 60 प्रतिशत हिस्सा है। भारत में इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। इससे जनादेश के घोर अनादर की बात बिल्कुल साफ नजर आती है और अनियंत्रित लालच नैतिक दृष्टिकोण व अनुशासन पर भारी पड़ता दिखाई देता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 24 विधायकों की सूची में विश्वजीत राणे, सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोपटे के नाम शामिल नहीं हैं, जिन्होंने 2017 में कांग्रेस विधायकों के रूप में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वे सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो गए थे और उसके टिकट पर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस के 10 विधायक 2019 में पार्टी का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। इनमें नेता प्रतिपक्ष चंद्रकांत कावलेकर भी शामिल थे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में जाने वाले कांग्रेस के अन्य विधायकों में जेनिफर मोनसेरेट (तालिगाओ), फ्रांसिस्को सिल्वरिया (सेंट आंद्रे), फिलिप नेरी रोड्रिग्स (वेलिम), विल्फ्रेड नाजरेथ मेनिनो डी’सा (नुवेम), क्लैफसियो डायस (कनकोलिम), एंटोनियो कारानो फर्नांडीस (सेंट क्रूज़), नीलकंठ हलर्नकर (टिविम), इसिडोर फर्नांडीस (कैनकोना), अतानासियो मोनसेरेट (जिन्होंने मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद 2019 में पणजी उपचुनाव जीता था) शामिल हैं।

महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के विधायक दीपक पौस्कर (संवोर्डेम) और मनोहर अजगांवकर (पेरनेम) भी इसी अवधि के दौरान भाजपा में शामिल हो गए थे। सालिगांव से गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के विधायक जयेश सालगांवकर भी भाजपा में शामिल हो गए थे। हाल में गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री तथा पोंडा से कांग्रेस विधायक रवि नाइक सत्तारूढ़ भगवा पार्टी में शामिल हुए। एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता लुइजिन्हो फलेरियो (नावेलिम) ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का दामन थामा और वह 14 फरवरी के विधानसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।साल 2017 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के टिकट पर जीतने वाले पूर्व मुख्यमंत्री चर्चिल अलेमाओ ने भी हाल में टीएमसी का रुख किया। साल 2017 के चुनावों में, कांग्रेस 40 सदस्यीय सदन में 17 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन सरकार नहीं बना सकी, क्योंकि 13 सीटें जीतने वाली भाजपा ने कुछ निर्दलीय विधायकों और क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली थी।

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर ने सरकार पर लगाएं आरोप

अविनाश श्रीवास्तव        

रांची। राज्य में नियुक्तियों को लेकर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर खूब आरोप लगाए हैं। उन्होंने नियुक्ति नियमावलियों में बदलाव को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, कि वर्तमान जेएमएम-कांग्रेस सरकार ने राज्य में नियुक्तियों से संबंधित पूर्व में जारी किए गए विज्ञापनों, जिनके संबंध में चयन की प्रक्रिया पूरी भी कर ली गई थी, उसे रद्द कर दिया है। अब नए सिरे से नई नियमावली बनाकर विज्ञापन जारी किया गया है। जिसमें उम्र सीमा से संबंधित कट ऑफ डेट को भी बदल दिया गया है। जिसकी वजह से लाखों अभ्यर्थी परीक्षा देने से वंचित हो रहे हैं। रघुवर दास ने कहा कि हमारी सरकार के दौरान अधिक से अधिक युवा अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल करने के उद्देश्य से 2010, 2016 को कट ऑफ डेट निर्धारित किया गया था, उसी कट ऑफ डेट के आधार पर 2019 तक विज्ञापन निकाले गए थे, जिसमें कई अभ्यर्थी शामिल हुए और सफल भी हुए। लेकिन अब राज्य की हेमंत सरकार ने इसे बदलकर 2021 कर दिया है। जिससे भारी संख्या में अभ्यर्थियों चयन प्रक्रिया से बाहर हो गए हैं।

रघुवर दास ने झामुमो-कांग्रेस की सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, कि नौजवानों को नौकरी देने का वादा कर सत्ता में आए, लेकिन अब नौकरियां देना तोे दूर, उन्हें चयन प्रक्रिया से ही बाहर कर दिया गया है। ताकि अपने मन मुताबिक और अपने फायदे के हिसाब से नियुक्तियां की जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य में  अब लोगों के बीच ये आम धारणा बन गई है, कि राज्य का पूरा तंत्र भ्रष्टाचार, लेनदेन और मनचाही नियुक्तियों को बेचने का काम कर रहे हैं। जबकि हमारी सरकार ने स्थानीय नीति में स्थानीय अभ्यर्थियों को प्राथमिकता देने का काम किया था। लेकिन अब राज्य सरकार ने उसे भी रद्द कर दिया है, इससे संबंधित अनेकों मामले न्यायालय में चल रहे हैं। 

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, कि राज्य सरकार ने सभी विज्ञापनों में ये भी स्पष्ट कर दिया है, कि सारी नियुक्तियां रमेश हांसदा के मामले में होने वाले निर्णय से प्रभावित होंगी। गौरतलब है, कि रमेश हांसदी के मामले में न्यायलय ने भी ये टिप्पणी की थी, कि राज्य के द्वारा बनाई गई नियमावली असंवैधानिक है। ऐसे में नियुक्तियों का विज्ञापन जारी कर और नियुक्तियों के लिए प्रक्रियाओं को आरंभ कर राज्य सरकार झारखंड के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है और उनकी आंखों में धूल झोंकने का कार्य कर रही है। न्यायालय द्वारा यदि नियमावली रद्द हो जाएगी, तो सारी नियुक्ति प्रक्रिया स्वतः ही निरस्त हो जाएगी। ऐसा लगता है कि राज्य सरकार की मंशा ही यही है कि नियुक्तियों के मामले को उलझा कर, लटका कर, भटका कर रखा जाए। युवा धोखे में रहे और झामुमो- कांग्रेस सरकार अपना लूटतंत्र चला कर अपना घर भरती रहे। रघुवर दास ने कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि यदि भाजपा की सरकार राज्य में आएगी तो सभी अभ्यर्थियों को, जो समय से परीक्षा नहीं होने के कारण वंचित रहे हैं, उनको उम्र सीमा का लाभ देते हुए उनको चयन प्रक्रिया में जरूर मौका दिया जाएगा।

जनसभाओं पर लगीं रोक को 1 हफ्ते और बढ़ाया

अकांशु उपाध्याय         नई दिल्ली। देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग रैलियों और जनसभाओं पर लगी रोक को एक हफ्ते और बढ़ा दिया है। रैलियों, रोड शो और जुलूस पर इस हफ्ते पाबंदी रहेगी। टीकाकरण और संक्रमण की स्थिति की समीक्षा के बाद ये फैसला किया गया है। केंद्रीय चुनाव आयोग के आदेश के मुताबिक रैलियों और जनसभाओं पर लगी रोक 31 जनवरी तक जारी रहेगी, लेकिन इसके साथ ही कुछ रियायत भी दी गई हैं। अब 5 लोगों की जगह 10 लोग डोर टू डोर कैंपेन में हिस्सा ले सकते हैं। कैंपेन करने के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। वहीं चुनावी सभाओं में अब 300 की जगह 500 लोग हिस्सा ले सकते हैं।

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए भौतिक रैलियों और रोड शो पर लगाया गया प्रतिबंध जारी रहना चाहिए या नहीं इसको लेकर निर्वाचन आयोग ने शनिवार को डिजिटल बैठकें कीं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि निर्वाचन आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, विशेषज्ञों, चुनाव वाले पांच राज्यों और संबंधित राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से परामर्श के बाद ये फैसला किया। पिछले हफ्ते केंद्रीय चुनाव आयोग ने रैलियों और जनसभाओं पर लगी रोक आज यानी 22 जनवरी तक के लिए आगे बढ़ा दी थी। आठ जनवरी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में चुनावों की तारीखों की घोषणा करते हुए निर्वाचन आयोग ने 15 जनवरी तक रैलियों, रोड और बाइक शो और इसी तरह के प्रचार कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।

आयोग ने 15 जनवरी को प्रतिबंध को 22 जनवरी तक बढ़ा दिया था। साथ ही उस वक्त ‘इनडोर’ यानी हॉल में अधिकतम 300 लोगों के साथ या हॉल की क्षमता के अनुरूप 50 फीसदी लोगों के साथ बैठक करने की छूट दी थी। एक बार फिर से इस हफ्ते के बाद कोरोना के हालात की समीक्षा की जाएगी, अगर हालात सुधरते हैं तो उसके मुताबिक फैसला लिया जाएगा. देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के तीन लाख 37 हजार 704 नए केस सामने आए हैं और 488 लोगों की मौत हो गई। वहीं, अबतक कोरोना के। वेरिएंट के 10 हजार 50 मामले सामने आ चुके हैं। देश में दैनिक पॉजिटिविटी रेट अब 17.22% है।

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