शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

ब्रिटिश 'पीएम' बोरिस पर इस्तीफे का दवाब बढ़ा

ब्रिटिश 'पीएम' बोरिस पर इस्तीफे का दवाब बढ़ा     

सुनील श्रीवास्तव          लंदन। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को थामने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान आयोजित की गई शराब पार्टी के बाद विवादों के झमेले में फंसे ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के ऊपर अब इस्तीफा देने का दबाव बढ़ता जा रहा है। संसद में बे-मन के साथ माफी मांगने के बाद भी उनके ऊपर पड रहा इस्तीफे का दबाव कम नहीं हुआ है। जिसके चलते उनकी पार्टी के 10 में से 6 मतदाताओं ने प्रधानमंत्री के कामकाज करने के तरीके को खराब बताया है।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के ऊपर इस समय अपने पद से इस्तीफा देने का दबाव बढ़ता ही चला जा रहा है। देश के भीतर कोरोना वायरस के संक्रमण को थामने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान आयोजित की गई दारू पार्टी की वजह से प्रधानमंत्री विवादों के घेरे में आ गए थे। हालांकि मन नहीं होने के बावजूद प्रधानमंत्री की ओर से संसद के भीतर इस मामले को लेकर माफी मांग ली गई थी, लेकिन बताया जा रहा है कि इसके बावजूद भी उनके ऊपर इस्तीफे का दबाव लगातार बढ़ रहा है। बताया जा रहा है कि कंजरवेटिव पार्टी के 10 में से 6 सदस्य प्रधानमंत्री के कामकाज करने के तौर-तरीके को खराब मान रहे हैं। पता चल रहा है कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता घटकर अब केवल 36 प्रतिशत ही रह गई है। इन सबके बीच बोरिस जॉनसन की सरकार में भारतीय मूल के वित्त मंत्री ऋषि सुनक ब्रिटेन के भीतर प्रधानमंत्री पद के लिए पहली पसंद बनकर तेजी के साथ उभर रहे हैं। 

उनकी पार्टी की ओर से कराए गए सर्वे में 46 फ़ीसदी लोगों ने यह बात मानी है कि वित्तमंत्री ऋषि सुनक मौजूदा प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से बेहतर पीएम साबित हो सकते हैं। यदि ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री बनाया जाता है तो वर्ष 2024 की 2 मई को होने वाले आम चुनाव के दौरान उनकी पार्टी कंजरवेटिव पार्टी को बोरिस जॉनसन के प्रधानमंत्री रहने के मुकाबले ज्यादा सीटें हाथ लग सकती है। उधर जॉनसन द्वारा लॉकडाउन पार्टी की बात कबूल कर लेने के बाद स्वास्थ्य सचिव की ओर से अपना इस्तीफा दे दिया गया है।


एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम अधिग्रहण को मंजूरी दी
अखिलेश पांडेय      
नई दिल्ली/ बीजिंग/ मनीला। भारत और चीन सागर से लद्दाख तक आंखें दिखा रहे चीनी ड्रैगन को बड़ा झटका लगा है। फिलीपींस ने शुक्रवार को ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड से अपनी नौसेना के लिए एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है। यह प्रस्ताव डील करीब 37 करोड़ 40 लाख डॉलर की होगी अमेरिकी डॉलर का है।
इस संबंध में जल्‍द ही दोनों देशों के बीच समझौते पर हस्‍ताक्षर होगा। ड्रैगन की दादागिरी से जूझ रहे दक्षिण पूर्वी एशियाई देश फिलीपींस ने भारत के साथ दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक एंटी शिप क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की खरीद को मंजूरी दे दी। हैब्रह्मोस मिसाइल के लिए यह पहला विदेशी आर्डर है। फिलीपींस के राष्ट्रीय रक्षा विभाग द्वारा ब्रह्मोस के अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई है।बता दें कि इस हफ्ते 11 जनवरी को भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। मिसाइल भारत और रूस के बीच एक संयुक्त उद्यम है जहां डीआरडीओ भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है।
मिसाइल का परीक्षण आईएनएस विशाखापत्तनम से किया गया था जो हाल ही में शामिल भारतीय नौसेना का नवीनतम युद्धपोत है। ब्रह्मोस भारतीय नौसेना के युद्धपोतों की मुख्य हथियार प्रणाली है और इसे इसके लगभग सभी सतह प्लेटफार्मों पर तैनात किया गया है।इसका एक पानी के नीचे वाला संस्करण भी विकसित किया जा रहा है जिसका उपयोग न केवल भारत की पनडुब्बियों द्वारा किया जाएगा, बल्कि मित्र देशों को निर्यात के लिए भी पेश किया जाएगारोचक बात यह है, कि फिलीपींस अमेरिका का सहयोगी देश है। लेकिन चीन के खिलाफ सैन्‍य तैयारी के लिए उसने भारत-रूस द्वारा मिलकर बनाई गई ब्रह्मोस मिसाइल पर भरोसा जताया है। माना जा रहा है कि जल्‍द ही चीन का एक और पड़ोसी देश वियतनाम भी भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल का समझौता कर सकता है। दोनों ही देशों के बीच इस मिसाइल डील को लेकर बातचीत चल रही है। इंडोनेशिया सहित कई देशों और कई खाड़ी देशों ने मिसाइल खरीदने में रुचि दिखाई है।

मिशिगन झील के तट पर बनीं आकृतियों का खुलासा
सुनील श्रीवास्तव         
वाशिंगटन डीसी। मिशिगन झील के किनारे बनीं इन अजीबोगरीब संरचनाओं को लैंडस्केप और प्रकृति फोटोग्राफर जोशुआ नोविकी ने सबसे पहले अपने कैमरे में कैद की। जैसे ही उन्होंने इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया तो, देखते ही देखते फोटो वायरल हो गए। इन आश्चर्यजनक तस्वीरों को अब लोग एलियंस के साथ जोड़ रहे हैं, हालांकि इनके पीछे की सच्चाई कुछ और ही है। कई लोगों के मन में सवाल उठने लगे कि आखिर ये आकृतियां बनीं कैसे।
मिशिगन झील के तट पर बनीं आकृतियों को लेकर बड़ा खुलासा किया गया है। आपको बता दें कि इन संरचनाओं को किसी एलियंस या परग्रही ने नहीं बल्कि तेज हवाओं ने बनाया है। प्रकृति की कारीगरी का ये नायाब नमूना अपने आप में ही आश्चर्य है, लोगों को विश्वास नहीं हो पा रहा है कि हवाओं की मदद से ये संरचना बनी होगी। हालांकि कई लोगों ने मजाकिया लहजे में कहा के इसे एलियंस ने बनाया है।

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