सोमवार, 13 दिसंबर 2021

गौ माताओं को पत्थरों के भीतर दफनाया, चिंता

गौ माताओं को पत्थरों के भीतर दफनाया, चिंता
संदीप मिश्र      
लखनऊ। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने बांदा जनपद में गौ माताओं को मिट्टी और बड़े पत्थरों के भीतर जिंदा दफनाए जाने पर गहरी चिंता जताते हुए केंद्र की मोदी एवं उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर अपना निशाना साधा है।
सोमवार को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने ट्विटर हैंडल पर प्रदेश के जनपद बांदा में गौ माताओं को जिंदा दफनाने के मामले को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के ऊपर निशाना साधते हुए कहा है कि आपकी सरकार में सैकड़ों गायों को जिंदा दफन कर दिया गया है और प्रशासन की क्रूरता के चलते गौमाताएं असमय मौत का शिकार हुई है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव ने गौ माताओं की मौत को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी सवाल किया है। उन्होंने ट्वीट के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा है कि आज सोमवार को आप उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं। क्या इस दौरान आप गौशालाओं की दुर्दशा पर उत्तर प्रदेश सरकार से कोई जवाबदेही मांगेंगे। 
दरअसल, कुछ दिनों पहले बांदा जनपद में गायों को मिटटी और बडे पत्थरों के भीतर दफनाने का मामला सामने आया था। इसके बाद गायों की हत्या और शवों को अवैध रूप से दफनाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। राज्य में लगातार कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा योगी सरकार के ऊपर अपना निशाना साध रही है और राज्य में अगले साल होने वाले चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव केंद्र की नरेंद्र मोदी एवं उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ के ऊपर काफी आक्रामक हैं।

पीएम से माफी की मांग, 'सीएए' कानून वापस लें
अकांशु उपाध्याय      
नई दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एक सदस्य ने सरकार से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को वापस लिये जाने की मांग करते हुए इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माफी की मांग की। बसपा के कुंवर दानिश अली ने शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में तीन कृषि कानूनों को वापस लिया है और इनके खिलाफ प्रदर्शन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिये जाने का लिखित आश्वासन दिया है।
इसी तरह सीएए को भी वापस लिया जाना चाहिए जिसके खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग समेत देशभर में शांतिपूवर्क आंदोलन हुए थे। दानिश अली ने कहा कि सरकार से मांग है कि वक्त रहते सीएए को वापस लिया जाए और दोबारा लोगों को आंदोलन के लिए मजबूर नहीं किया जाए।
सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान लोगों पर दर्ज मुकदमों को वापस लिये जाने और प्रधानमंत्री मोदी से इस मामले में माफी की मांग की। भाजपा के राजीव प्रताप रूड़ी ने बिहार के ‘पिछड़ेपन’ के विषय को शून्यकाल में उठाते हुए कहा कि राज्य में बाढ़ के कारण कई किलोमीटर सड़क टूट जाती हैं और राज्य सरकार ने केंद्र से आरसीसी की सड़कें बनाने की मांग की है ताकि उनका लंबे समय तक रखरखाव हो।
उन्होंने कहा कि लेकिन यह मांग केंद्र सरकार के मानकों के अनुरूप नहीं है और इसी कारण से सड़कों के निर्माण पर लागत को लेकर केंद्र तथा बिहार सरकार के बीच असमंजस की स्थिति है। रूड़ी ने कहा कि बिहार की उपेक्षा रोकनी होगी। पूरे देश के विकास का सवाल है और बिहार के पिछड़ने से देश कैसे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र को मानक बदलना होगा।
भाजपा के पी पी चौधरी ने पश्चिम राजस्थान के मथानिया में एक मेगा फूड पार्क स्थापित किये जाने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इसके लिए 50 करोड़ रुपये की सहायता का प्रस्ताव दिया है लेकिन राज्य सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही।
शिवसेना के कृपाल बालाजी और विनायक राउत ने महाराष्ट्र में बेमौसम वर्षा के कारण खेती को हुए नुकसान की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए दावा किया कि केंद्र के अनेक दल खेती को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए राज्य में गये लेकिन अभी तक कोई मदद नहीं दी गयी। उन्होंने केंद्र सरकार से महाराष्ट्र के संकटग्रस्त किसानों को जल्द से जल्द मदद दिये जाने की मांग की। भाजपा के रामचरण बोहरा ने जयपुर और वड़ोदरा के बीच एक विमान सेवा शुरू करने की मांग की।

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड पर निशाना साधा: राहुल

अकांशु उपाध्याय     नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 10वीं कक्षा की परीक्षा के अंग्रेजी विषय के प्रश्नपत्र के कुछ अंशों को लेकर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) पर सोमवार को निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह युवाओं की नैतिक शक्ति तथा भविष्य को कुचलने की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की साजिश है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि सीबीएसई के ज्यादातर प्रश्नपत्र अब तक बहुत कठिन रहे हैं और अंग्रेजी के प्रश्नपत्र में गद्यांश पूरी तरह खराब है। यह युवाओं की नैतिक शक्ति और भविष्य को कुचलने का आरएसएस-भाजपा का षड्यंत्र है। उन्होंने कहा कि ‘बच्चों, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करो। कड़ी मेहनत का फल मिलता है। कट्टरता से कुछ हासिल नहीं होता। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी यह विषय सोमवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान उठाया। 

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 10वीं कक्षा के अंग्रेजी के प्रश्नपत्र के अंशों में ‘लैंगिक रूढ़िवादिता’ को कथित तौर पर बढ़ावा दिए जाने और ”प्रतिगामी धारणाओं” का समर्थन करने संबंधी आरोपों के बाद विवाद खड़ा हो गया है। इसके चलते बोर्ड ने रविवार को इस मामले को विषय के विशेषज्ञों के पास भेज दिया। गत शनिवार को आयोजित 10वीं की परीक्षा में प्रश्नपत्र में कथित तौर पर ‘महिलाओं की मुक्ति ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया’ और ‘अपने पति के तौर-तरीके को स्वीकार करके ही एक मां अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है’ जैसे वाक्यों के उपयोग को लेकर आपत्ति जतायी गई है।

पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रहीं सरकार: मलिक

कविता गर्ग     मुंबई/ लखनऊ। महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी राकांपा का यह विचार है कि उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला करने के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों के वोट का बंटवारा न हो। मलिक ने संवाददाताओं से कहा कि राकांपा गोवा विधानसभा चुनाव के लिए भी कांग्रेस के साथ बातचीत और भाजपा विरोधी पार्टियों के बीच एकता की वकालत कर रही है ‘लेकिन अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली’ है। उत्तर प्रदेश और गोवा दोनों ही राज्यों में अभी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार है।

यहां अगले साल चुनाव होने वाले हैं। राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मलिक ने कहा कि हमें उस पार्टी का समर्थन करना चाहिए। जो उत्तर प्रदेश में पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रही है। यह हमारा विचार है कि गैर भाजपाई दलों के बीच मतों का विभाजन नहीं होना चाहिए। राकांपा नेता ने कहा कि अखिलेश यादव नीत उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा (समाजवादी पार्टी) के साथ भी उनकी पार्टी यही चर्चा कर रही है।

मलिक की पार्टी महाराष्ट्र में शिव सेना और कांग्रेस के साथ सत्ता साझा करती है। मलिक ने कहा कि गोवा के लिए वरिष्ठ राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल ने पड़ोसी राज्य के कांग्रेस प्रभारी दिनेश गुंडू राव के साथ समान विचारधारा वाले दलों के बीच एकता बनाने पर चर्चा की ‘लेकिन अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई’ है।

देशहित में 'राजनीति' का अंत होना चाहिए: सीएम

नरेश राघानी          जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की सोच है कि हिन्दू धर्म के मूल स्वरूप को बिगाड़कर हिन्दुत्ववाद के नाम पर भाजपा-आरएसएस द्वारा की जा रही नफरत एवं हिंसा की राजनीति का देशहित में अंत होना चाहिए। गहलोत ने राहुल गांधी के कांग्रेस की महंगाई हटाओं रैली में हिन्दू और हिन्दुत्ववादी पर दिए बयान के चर्चा में आने के बाद सोशल मीडिया के जरिए यह बात कही। उन्होंने कहा कि हिन्दू एवं छद्म हिन्दुत्ववादी में वही अंतर है जो गांधीजी एवं गोडसे में था। असल मायने में हिन्दू सत्य, अहिंसा एवं सद्भाव में विश्वास रखता है।

कट्टरता एवं चरमवाद किसी भी धर्म में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि सत्य, अहिंसा, प्यार, भाईचारा एवं सहिष्णुता को मानने वाला व्यक्ति हिन्दू है। हिन्दू किसी से नफरत नहीं करते एवं सभी धर्मों का सम्मान करते हैं जबकि छद्म हिन्दुत्ववादी हिंसा, असहिष्णुता एवं घृणा फैलाने में भरोसा रखते हैं। उल्लेखनीय है कि गांधी के बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा सतीश पूनियां ने राहुल गांधी को हिन्दु, हिन्दुत्ववाद एवं राष्ट्रवाद के खिलाफ बताया। उधर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्वीट कर गांधी के बयान पर सवाल उठाये।

आंदोलन की राह पर चलने का फैसला लिया, कृषि

सत्येंद्र पंवार    मेरठ। नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों की ओर से तकरीबन 1 साल तक चलाए गए आंदोलन के बाद अब जाट समाज की ओर से केंद्रीय स्तर पर जाटों को आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर आंदोलन की राह पर चलने का फैसला लिया गया है। आंदोलन के लिए 22 जनपदों के जाट समाज के प्रतिनिधियों ने जाट समाज की महासभा में शामिल होकर इसका खाका तैयार कर लिया है। पहले क्रांतिधरा मेरठ की धरती से अब जाट आरक्षण का मुद्दा गरमाने की तैयारियां शुरू कर दी गई है। उम्मीद की जा रही है कि अगर यह जाट आरक्षण का मामला चुनाव से पहले जोर पकड़ गया तो भाजपा के लिए बड़ी सिरदर्दी पैदा करेगा। 

उल्लेखनीय कि केंद्र में आरक्षण की मांग जाट समाज की ओर से पिछले कई सालों से की जा रही हैं। जाट आरक्षण को लेकर समाज के लोगों की ओर से मेरठ में कई बड़े कार्यक्रम आयोजित किये चुके हैं। मेरठ जाट आरक्षण आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा है। अब एक बार फिर से जाट आरक्षण का मामला यहीं से गर्माने की तैयारी शुरू की जा चुकी है। रविवार को महानगर में आयोजित की गई जाट महापंचायत में प्रदेश भर के 22 जिलों के जाट आरक्षण आंदोलन से जुड़े पदाधिकारी शामिल हुए। जिन्होंने एक सुर में कहा कि चुनाव से पहले भाजपा की केंद्र सरकार को आरक्षण देना होगा। अगर सरकार ऐसा नहीं करती तो जाट सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। जाट आरक्षण आंदोलन के संरक्षक मेजर जनरल एसएस अहलावत ने कहा. कि केंद्र में जाटों का आरक्षण राजनीतिक कमजोरी के कारण खत्म कर दिया गया है। आरक्षण संघर्ष समिति ने आरोप लगाए कि इस आंदोलन में विभिन्न घ्प्रांतों में 18 युवाओं की हत्याएं अब तक हो चुकी हैं। वहीं इससे पूर्व इस आंदोलन में पूर्ववर्ती सरकार के समय 3 जाट युवक शहादत दे चुके हैं। इतना सब कुछ होने के बाद भी केंद्र सरकार नहीं जागी है।

प्रश्नपत्र में आए 'गद्यांश' को महिला विरोधी बताया

अकांशु उपाध्याय       नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की परीक्षा के एक प्रश्नपत्र में आए गद्यांश को महिला विरोधी बताते हुए बोर्ड और शिक्षा मंत्रालय से इस प्रश्नपत्र को तत्काल वापस लेने और इस विषय पर माफी की मांग सोमवार को लोकसभा में की। सोनिया गांधी ने शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए कहा कि मैं सरकार का ध्यान गत 11 दिसंबर को सीबीएसई की दसवीं कक्षा की परीक्षा के एक प्रश्नपत्र में आए एक अप्रिय और प्रतिगामी सोच वाले अपठित गद्यांश को लेकर देशभर में उपजे आक्रोश की ओर दिलाना चाहती हूं।

उन्होंने गद्यांश का उल्लेख करते हुए अंग्रेजी में उसके दो वाक्यों को भी उद्धृत किया जिनमें लिखा है कि महिलाओं को स्वतंत्रता मिलना अनेक तरह की सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं का प्रमुख कारण है।और पत्नियां अपने पतियों की बात नहीं सुनती हैं जिसके कारण बच्चे और नौकर अनुशासनहीन होते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि पूरे गद्यांश में इसी तरह के निंदनीय विचार हैं और नीचे पूछे गए प्रश्न भी उतने ही संवेदनाहीन हैं। उन्होंने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह शिक्षा के मानकों और परीक्षण में खराब स्तर को दर्शाता है और सशक्त तथा प्रगतिशील समाज के खिलाफ है। सोनिया गांधी ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय और सीबीएसई को इस मामले में माफी मांगनी चाहिए और उक्त प्रश्नपत्र को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि संपूर्ण समीक्षा की जाए ताकि भविष्य में ऐसा कभी नहीं हो। कांग्रेस अध्यक्ष ने शिक्षा मंत्रालय से पाठ्यक्रम में लैंगिक समानता के मानकों की भी समीक्षा करने की मांग की। इसके बाद कांग्रेस सदस्यों ने सदन में सरकार से इस विषय पर जवाब की मांग की, हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि वह कोई नई परंपरा शुरू नहीं कर सकते।

राज्यसभा के 12 सदस्यों ने परिसर में धरना दिया

अकांशु उपाध्याय      नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के दौरान उच्च सदन में ‘अशोभनीय आचरण’ को लेकर शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए गए राज्यसभा के 12 सांसदों ने अपने खिलाफ की गई कार्रवाई के विरोध में सोमवार को संसद परिसर में धरना दिया। राज्यसभा में 12 सदस्यों के निलंबन के मुद्दे पर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच गतिरोध कायम रहा। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सोमवार को उच्च सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद 12 बजकर करीब पांच मिनट पर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगितगत 29 नवंबर को हुए निलंबन के बाद से इस कार्रवाई के विरोध में रोजाना संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन कर रहे 12 निलंबित विपक्षी सांसदों ने आज भी बापू की प्रतिमा के सामने धरना जारी रखा।

इन विपक्षी सांसदों का कहना है कि जब तक निलंबन रद्द नहीं होगा, तब तक वे संसद की कार्यवाही के दौरान सुबह से शाम तक महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरने पर बैठेंगे। निलंबित सांसदों में शामिल कांग्रेस नेता रिपुन बोरा ने कहा कि ‘हम निलंबन रद्द होने तक अपना धरना जारी रखेंगे। निलंबन असंवैधानिक और नियमों के विरूद्ध है।

यह रद्द होना चाहिए।” पिछले 29 नवंबर को आरंभ हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था। जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।

'न्याय के कटघरे’ में लाने तक मुआवजा लेने से इनकार 

श्री राम 

कोहिमा। नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग गांव में सेना की कथित गोलीबारी में मारे गए 14 निवासियों के परिवार वालों ने घटना में शामिल सुरक्षा कर्मियों को ‘न्याय के कटघरे’ में लाने तक कोई भी सरकारी मुआवजा लेने से इनकार कर दिया है। ओटिंग ग्राम परिषद ने एक बयान में कहा कि पांच दिसंबर को जब स्थानीय लोग गोलीबारी और उसके बाद हुई झड़प में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था कर रहे थे, तब राज्य के मंत्री पी पाइवांग कोन्याक और जिले के उपायुक्त ने 18 लाख 30 हजार रुपये दिए।

बयान में कहा गया कि पहले उन्हें लगा कि यह मंत्री ने सद्भावना के तौर पर दिए हैं, लेकिन बाद में पता चला कि यह मारे गए और घायलों के परिवारों के लिए राज्य सरकार की ओर से अनुग्रह राशि की एक किस्त थी। बयान में कहा गया कि ओटिंग ग्राम परिषद और पीड़ित परिवार, भारतीय सशस्त्र बल के 21वें पैरा कमांडो के दोषियों को नागरिक संहिता के तहत न्याय के कटघरे में लाने और पूरे पूर्वात्तर क्षेत्र से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) को हटाने तक इसे स्वीकार नहीं करेंगे।

इस बयान को रविवार को जारी किए गया, जिस पर ग्राम परिषद के अध्यक्ष लोंगवांग कोन्याक, अंग (राजा) तहवांग, उप अंग चिंगवांग और मोंगनेई और न्यानेई के गांव बुराह (गांव के मुखिया) के हस्ताक्षार थे। पुलिस के अनुसार, जिले में चार से पांच दिसंबर के दौरान एक असफल उग्रवाद विरोधी अभियान और जवाबी हिंसा में कम से कम 14 नागरिक की मौत हो गई और एक सैनिक की जान चली गई थी।

12 सदस्यों का निलंबन रद्द करने की मांग, मुद्दा उठाया

अकांशु उपाध्याय      नई दिल्ली। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को भी धरने पर बैठ गए। उन्होनें कहा कि सदन के 12 विपक्षी सदस्यों का निलंबन रद्द करने की मांग जारी रहेगी। खड़गे बोले जो लोग धरने पर बैठे हैं आज भी हम उनका मुद्दा उठाएंगे। 10 बजे विपक्षी पार्टी के सभी नेता मिलेंगे और उसके बाद हम आगे की रणनीति तय करेंगे। 

राज्यसभा सांसदों का निलंबन वापस होना चाहिए। खड़ने ने कहा कि सदन चलता रहता है और पीएम आते नहीं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन  छुट्टी वाले दिन करना चाहिए था।

युवाओं को सरकारी नौकरी का मौका, भर्ती जारी 

पंकज कपूर      देहरादून। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने युवाओं को सरकारी नौकरी करने का एक और मौका दिया है। आयोग ने पूर्व में 224 पदों पर भर्ती जारी करने के बाद अब इस भर्ती में 94 रिक्त पदों को और सम्मिलित कर 318 पदों पर भर्ती की विज्ञप्ति जारी की है। इसके साथ आयोग ने उत्तराखंड सम्मिलित राज्य सिविल-प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा-2021 के लिए फिर से आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस हेतु आयोग की आधिकारिक वेबसाइट के जरिए 28 दिसंबर 2021 तक ऑनलाइन आवेदन किए जा सकते हैं। शैक्षणिक योग्यता संबंधी अधिक जानकारी के लिए अभ्यर्थी जारी आधिकारिक नोटिफिकेशन को देख सकते हैं।

इन विभिन्न पदों पर आवेदन करने वाले अभ्यर्थी के पास किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री होनी चाहिए। आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की उम्र 21 से 42 वर्ष के बीच होनी चाहिए। वहीं अधिकतम उम्र सीमा में राज्य के एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को पांच वर्ष की छूट दी गई है। इन विभिन्न पदों पर अभ्यर्थियों का चयन प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के आधार पर किया जाएगा। प्रारंभिक परीक्षा में सफल अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा के लिए योग्य होंगे।

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