मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

दिल्ली में 9.4 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज

दिल्ली में 9.4 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज 

अकांशु उपाध्याय          नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को न्यूनतम तापमान 9.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में रही। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, सफदरजंग वेधशाला में मंगलवार को न्यूनतम तापमान सामान्य से दो डिग्री अधिक 9.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। हवा में आर्द्रता का स्तर 90 प्रतिशत दर्ज किया गया। मौसम वैज्ञानिक ने दिन में आमतौर पर बादल छाने के साथ ही हल्की बारिश या बूंदाबांदी का पूर्वानुमान जताया है। वहीं, अधिकतम तापमान के 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, मंगलवार को वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में रही।

सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 258 दर्ज किया गया। दिल्ली में लगातार छह दिन तक वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में रहने के बाद बारिश होने के कारण सोमवार को यह ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई थी। शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है। वहीं, सोमवार को न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री अधिक 10.4 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री अधिक 22.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।

'कोवोवैक्स’ का आपात स्थिति में उपयोग, अनुमति 

अकांशु उपाध्याय      नई दिल्ली। केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ के कोविड-19 रोधी टीके ‘कोवोवैक्स’ और ‘बायोलॉजिकल ई’ कम्पनी के टीके ‘कोवोवैक्स’ को कुछ शर्तों के साथ आपात स्थिति में उपयोग की अनुमति दे दी है। साथ ही, कोविड-19 रोधी दवा ‘मोलनुपिराविर’ (गोली) के आपात स्थिति में नियंत्रित उपयोग को भी अनुमति मिल गई है।आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया था कि सीडीएससीओ की कोविड-19 संबंधी विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने ‘कोवोवैक्स’ और ‘कोर्बेवैक्स’ को कुछ शर्तों के साथ आपात स्थिति में उपयोग की अनुमति देने की सिफारिश की है। कोविड-19 रोधी दवा ‘मोलनुपिराविर’ (गोली) के आपात स्थिति में नियंत्रित उपयोग की भी सिफारिश की गई थी। आपात स्थिति में ‘मोलनुपिराविर’ का उपयोग कोविड-19 के वयस्क मरीजों पर ”एसपीओ2” 93 प्रतिशत के साथ किया जा सकेगा और उन मरीजों को यह दवा दी जा सकेगी, जिन्हें बीमारी से बहुत ज्यादा खतरा हो। सभी सिफारिशों को अंतिम मंजूरी के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) के पास भेजा गया था।

आपात स्थिति में टीके के उपयोग के लिए ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ (एसआईआई) के आवेदन की सोमवार को दूसरी बार समीक्षा करने वाली सीडीएससीओ की विशेषज्ञ समिति ने गहन अध्ययन के बाद ‘कोवोवैक्स’ के उपयोग की सिफारिश की थी। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा था, ”समिति ने इस बात पर गौर किया कि टीके का निर्माण नोवावैक्स की प्रौद्योगिकी के आधार पर किया गया है और यह सशर्त विपणन प्राधिकरण के लिए यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी द्वारा अनुमोदित है। साथ ही, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे आपात स्थिति में इस्तेमाल की भी मंजूरी दे दी है।” एसआईआई में सरकार और नियामक मामलों के निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने इसके संबंध में पहला आवेदन अक्टूबर में दिया था। डीसीजीआई कार्यालय ने 17 मई को एसआईआई को ‘कोवोवैक्स’ टीके के निर्माण और भंडारण की अनुमति दे दी थी। डीसीजीआई की मंजूरी के आधार पर ही अभी तक पुणे स्थित कम्पनी टीके की खुराक का निर्माण और भंडारण कर रही है।

अगस्त 2020 में, अमेरिका की टीका बनाने वाली कम्पनी ‘नोवावैक्स इंक’ ने एनवीएक्स-सीओवी2373 (कोविड-19 रोधी संभावित टीका) के विकास और व्यावसायीकरण के लिए एसआईआई के साथ एक लाइसेंस समझौते की घोषणा की थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 17 दिसंबर को ‘कोवोवैक्स’ टीके के आपात स्थिति में इस्तेमाल की अनुमति दे दी थी। वहीं, सीडीएससीओ ने कोविड-19 रोधी दवा ‘मोलनुपिराविर’ के आपात स्थिति में नियंत्रित उपयोग को भी स्वीकृति दी है। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने हाल ही में ‘मर्क’ कम्पनी की कोविड-19 रोधी ‘मोलनुपिराविर’ दवा को संक्रमण के उन मरीजों के इलाज के लिए अधिकृत कर दिया था, जिन्हें इस बीमारी से खतरा अधिक है। इससे पहले, नवंबर में ब्रिटेन ने ‘मर्क’ की दवा को सशर्त अधिकृत किया गया था, जो कोविड-19 के सफलतापूर्वक इलाज के लिए बनाई गई पहली गोली है। पृथक-वास में रहने वाले मामूली या हल्के लक्षण वाले मरीजों को इस गोली को पांच दिन तक दिन में दो बार लेना होगा।

रिमोट वर्किंग तकनीक बनाने में साझेदारी, परीक्षण

अकांशु उपाध्याय      नई दिल्ली। दूरसंचार परिचालक भारती एयरटेल और प्रमुख आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने रोबोटिक्स का इस्तेमाल करके 5जी आधारित रिमोट वर्किंग तकनीक बनाने के लिए साझेदारी की है। दोनों कंपनियां फिलहाल हरियाणा के मानेसर में एयरटेल की 5जी लैब में परीक्षण कर रही हैं। एक सूत्र ने बताया कि भारतीय कंपनियां 5जी के लिए देश में विकसित तकनीक को अपनाने पर विचार कर रही हैं। एयरटेल और टीसीएस ने 5जी का इस्तेमाल करके रिमोट रोबोटिक संचालन के लिए हाथ मिलाया है। उन्होंने एयरटेल की 5जी लैब में सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। सूत्र ने कहा कि ये समाधान खनन, तेल और गैस क्षेत्रों जैसे जोखिम की आशंका वाले वातावरण में रिमोट रोबोटिक संचालन को सक्षम करेंगे। एक बार 5जी का वाणिज्यिक परिचालन शुरू होने के बाद दोनों कंपनियों की दिलचस्पी इन समाधानों को औद्योगिक खंड में लाने की है। इस बारे में संपर्क करने पर टीसीएस ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, और भारती एयरटेल को भेजे गए एक ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला।

एयरटेल और टीसीएस ने जून में भारत में 5जी नेटवर्क समाधान लागू करने के लिए एक रणनीतिक साझेदारी का ऐलान किया था। टाटा समूह ने ओ-आरएएन (ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क) आधारित रेडियो और कोर एलिमेंट विकसित किया है, जबकि एयरटेल भारत में 5जी को लागू करने के तहत इस स्वदेशी समाधान का इस्तेमाल करेगी।

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