रविवार, 21 नवंबर 2021

'यूएनसीएलओएस' गलत तरीके से परिभाषित

'यूएनसीएलओएस' गलत तरीके से परिभाषित 
अकांशु उपाध्याय     
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के विध्वंसक युद्धपोत ‘विशाखापट्टनम’ को रविवार को यहां सेवा में शामिल किए जाने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्चस्ववादी प्रवृत्तियों वाले ‘कुछ गैर-जिम्मेदार देश’ अपने संकीर्ण पक्षपातपूर्ण हितों के कारण समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) को गलत तरीके से परिभाषित कर रहे हैं।
सिंह ने कहा कि यह चिंता की बात है कि यूएनसीएलओएस की परिभाषा की मनमानी व्याख्या कर कुछ देशों द्वारा इसे लगातार कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अपना आधिपत्य जमाने और संकीर्ण पक्षपाती हितों वाले कुछ गैर-जिम्मेदार देश अंतरराष्ट्रीय कानूनों की गलत व्याख्या कर रहे हैं। छिप कर वार करने में सक्षम, स्वदेशी निर्देशित मिसाइल विध्वंसक पोत ‘विशाखापट्टनम’ कई मिसाइल और पन्नडुब्बी रोधी रॉकेट से लैस है।
इसे नौसेना के शीर्ष कमांडरों की मौजूदगी में सेवा में शामिल किया गया। अधिकारियों ने बताया कि ‘विशाखापट्टनम’ सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, मध्यम और छोटी दूरी की बंदूकें, पनडुब्बी रोधी रॉकेट और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और संचार प्रणालियों सहित घातक हथियारों और सेंसर से लैस है।

डीजल खंड में वापसी की संभावना से इनकार किया
अकांशु उपाध्याय    
नई दिल्ली। मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) ने डीजल खंड में वापसी की संभावना से इनकार किया है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि 2023 में उत्सर्जन मानकों के अगले चरण की शुरुआत के साथ ऐसे वाहनों की बिक्री में और कमी आएगी। देश की सबसे बड़ी कार कंपनी का मानना ​​है कि उत्सर्जन मानकों के अगले चरण से डीजल वाहनों की लागत बढ़ जाएगी, जिससे बाजार में उनकी बिक्री और घटेगी।

इसी कारण से पिछले कुछ साल के दौरान पेट्रोल कारों की ओर स्थानांतरण देखा जा रहा है। मारुति सुजुकी इंडिया के मुख्य तकनीकी अधिकारी सी वी रमन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”हम डीजल क्षेत्र में नहीं जा रहे हैं। हमने पहले संकेत दिया था कि हम इसका अध्ययन करेंगे और ग्राहकों की मांग होगी तो हम वापसी कर सकते हैं। लेकिन हम इसमें लौटने नहीं जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि आगे सख्त उत्सर्जन नियम लागू होने जा रहे हैं। यह एक प्रमुख वजह है कि कंपनी डीजल कारों से ‘बचना’ चाह रही है। उन्होंने कहा, ”2023 में उत्सर्जन मानदंडों का नया चरण आएगा जिससे लागत बढ़ने की संभावना है। इसलिए हम मानते हैं कि डीजल वाहनों के प्रतिशत में और कमी आ सकती है। हम प्रतिस्पर्धा के बारे में नहीं जानते हैं, लेकिन मारुति का इसमें भाग लेने का कोई इरादा नहीं है।”

उद्योग के अनुमान के अनुसार, डीजल वाहनों की हिस्सेदारी वर्तमान में कुल यात्री वाहन (पीवी) की बिक्री में 17 प्रतिशत से भी कम है। यह 2013-14 की तुलना में भारी गिरावट है, जब कुल बिक्री में डीजल कारों की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत थी। एक अप्रैल, 2020 से भारत चरण-छह (बीएस-छह) उत्सर्जन दौर की शुरुआत के साथ देश में कई वाहन विनिर्माताओं ने अपने संबंधित पोर्टफोलियो में डीजल मॉडलों को कम कर दिया है।

मारुति ने तो भारत चरण-छह मानक लागू होने के साथ अपने पोर्टफोलियो में डीजल मॉडल को बंद कर दिया था। कंपनी की संपूर्ण मॉडल श्रृंखला में अभी बीएस-छह अनुपालन वाले एक लीटर, 1.2 लीटर और 1.5 लीटर वाले पेट्रोल मॉडल हैं। इसके अलावा कंपनी अपने सात मॉडलों में सीएनजी संस्करण की भी पेशकश करती है।

रमन ने कहा कि कंपनी ईंधन दक्षता के मामले में अपने मौजूदा पेट्रोल पावरट्रेन को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगी और आगे चलकर अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को मजबूत करने के लिए नए इंजनों पर गौर कर सकती है। रमन ने कहा, ”हम कहते रहे हैं कि अपने मौजूदा पावरट्रेन में सुधार करेंगे। सेलेरियो में नया के10-सी इंजन इस सुधार का एक उदाहरण है। इसी तरह 1.2 लीटर के इंजन में भी कुछ बदलाव हुआ है।

रिटायर्ड कर्मचारियों को 4 महीने की बकाया पेंशन

अकांशु उपाध्याय          नई दिल्ली। केंद्र सरकार के सेवानिवृत कर्मचारियों के लिए गुड न्यूज़ है। सरकार इन कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दे सकती है। जानकारी के अनुसार नवंबर महीने की पेंशन के साथ में रिटायर्ड कर्मचारियों को 4 महीने की बकाया पेंशन मिलेगी और साथ में बढ़ी महंगाई राहत का लाभ भी मिलेगा।

केंद्र सरकार ने 1 जुलाई से डीए और डीआर को बढ़ा दिया है। सरकार ने इसको बढ़कर 31 फीसदी कर दिया है। वह जुलाई, अगस्त, सितंबर और अक्टूबर महीने का पैसा कर्मचारियों को नवंबर की पेंशन के साथ मिल सकता है। जल्दी ही इसका अधिकारिक ऐलान भी हो सकता है।

सभी सामान पर जीएसटी को बढ़ाया: सरकार
अकांशु उपाध्याय          नई दिल्ली। 2022 में आम जनता को मंहगाई बहुत भारी पड़ने वाली है। जनवरी से ही लोगों को कपड़े और जूते-चप्पल खरीदने के लिए पहले से अधिक रुपये खर्च करने होंगे। केंद्र सरकार ने इन सभी सामान पर जीएसटी को बढ़ा दिया है।
 पहले कपड़े और जूते संबंधित सामानों पर 5 फीसदी की दर से जीएसटी लगाती थी, लेकिन अब इसको बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है। जीएसटी की नई दरें जनवरी 2022 से लागू हो जाएंगी। अब किसी भी कीमत के फैब्रिक पर 12 फीसदी की दर से ही जीएसटी लगेगा।


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