बुधवार, 3 नवंबर 2021

पहाड़ी क्षेत्रों में ठंड का असर दिखने लगा

पहाड़ी क्षेत्रों में ठंड का असर दिखने लगा

दुष्यंत टीकम     रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब पारा गिरने लगा है। पहाड़ी क्षेत्रों में ठंड का असर दिखने लगा है। संभावना जताई जा रही है कि दिवाली के बाद प्रदेश में कड़ाके के ठंड पड़ सकती है। आपको बता दें कि मौसम विभाग ने 6 नवंबर तक बारिश के आसार जताया है। आज भी राजधानी रायपुर में बादल छाए रहे हैं। आउटर में कोहरा छाया रहा है। वहीं लोगों को गुलाबी ठंड का एहसास हो रहा है। प्रदेश के एक दो स्थानों में हल्की बूंदाबादी के आसार है। वहीं दीपावली त्यौहार के बाद प्रदेश में तापमान में अच्छी-खासी गिरावट होगी।

संयुक्त संचालक कोष व लेखा को नोटिस जारी 

दुष्यंत टीकम     बिलासपुर। पुलिस सहायक निरीक्षक को आदेश के बावजूद नया पे ग्रेड नहीं देने पर दायर अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने जगदलपुर के संयुक्त संचालक कोष व लेखा को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने कहा है। याचिकाकर्ता एएसआई गोमा मिश्रा दंतेवाड़ा एसपी कार्यालय मे पदस्थ हैं।

कि 2019 में उन्हें 4200 रुपये पे ग्रेड के अनुसार वेतन दिया जाना था लेकिन 2800 रुपये के पे ग्रेड पर दिया जा रहा है। जिले में पदस्थ उनके समतुल्य अन्य पुलिस अधिकारियों को 4200 रुपये के स्केल पर ही वेतन दिया जा रहा है लेकिन उसके साथ भेदभाव किया गया है। हाईकोर्ट ने प्रकरण की सुनवाई के बाद पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया कि उसके प्रकरण का 60 दिन के भीतर निराकरण करे।

इस पर संयुक्त संचालक ने नियमों का हवाला देते हुए नया वेतनमान देने से इंकार कर दिया। इसके बाद हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई।

हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल की मंजूरी देने से इनकार  

श्रीनगर। पाकिस्तान ने मंगलवार को ‘गो फर्स्ट’ की श्रीनगर-शारजाह उड़ान के लिए अपने हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया। इस उड़ान का उद्घाटन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले महीने घाटी की अपनी यात्रा के दौरान किया था। सरकारी अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान के इस इनकार के कारण उड़ान को एक लंबा रास्ता तय करना पड़ा और संयुक्त अरब अमीरात में अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए गुजरात से होकर गुजरना पड़ा।

‘गो फर्स्ट’, जिसे पहले गोएयर के नाम से जाना जाता था, ने 23 अक्टूबर से श्रीनगर और शारजाह के बीच सीधी उड़ानों की शुरुआत की थी। अधिकारियों के मुताबिक, 31 अक्टूबर तक गोएयर की श्रीनगर-शारजाह उड़ान पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से गुजर रही थी। उन्होंने कहा कि हालांकि, पाकिस्तान ने मंगलवार को उड़ान को अपने हवाई क्षेत्र से गुजरने की अनुमति नहीं दी, और इसलिए इस उड़ान को एक लंबा रास्ता तय करना पड़ा और गुजरात से होकर जाना पड़ा।

शिकायत के मामले में गूगल से जांच करने को कहा 

अकांशु उपाध्याय     नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने वेब यातायात को एक अन्य वेबसाइट पर भेजे जाने की शिकायत के मामले में गूगल से जांच करने को कहा है। अदालत ने कहा कि विज्ञापन ‘बोलने की आजादी’ का हिस्सा है। लेकिन यह किसी कंपनी स्वामी के ट्रेडमार्क के मूल्य पर नहीं किया जा सकता और यह भ्रामक इश्तहार के समान है। उच्च न्यायालय ने कहा कि विज्ञापन के माध्यम से राजस्व अर्जित करने वाली गूगल उसके विज्ञापनदाताओं की त्रुटियों के लिए उतनी ही जिम्मेदार है। जो अपने फायदे के लिए ट्रेडमार्क स्वामी की साख को भुना रहे हैं।

अदालत ने कहा कि गूगल की नीति के अनुसार वे कीवर्ड के रूप में ट्रेडमार्क के उपयोग की जांच करते हैं। लेकिन यह केवल यूरोपीय संघ तक सीमित है और भारत में इसका पालन नहीं किया जाता। उच्च न्यायालय ने गूगल इंडिया लिमिटेड और गूगल एलएलसी को वादी अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स लिमिटेड की किसी भी शिकायत की जांच करने का निर्देश दिया। कंपनी ने आरोप लगाया है कि कीवर्ड के रूप में उनके ट्रेडमार्क का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे वादी की वेबसाइट से विज्ञापनदाता की वेबसाइट पर ले जाया जाता है। न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव ने 137 पन्नों के आदेश में कहा, ”इस बारे में कोई विवाद नहीं हो सकता कि विज्ञापन बोलने की स्वतंत्रता का हिस्सा हैं। लेकिन निश्चित रूप से बोलने की आजादी किसी ट्रेडमार्क स्वामी के ट्रेडमार्क की कीमत पर नहीं हो सकती और यह भ्रामक विज्ञापन के समान है।”


कांग्रेसी नेताओं के ऐलनाबाद सीट को हराया

राणा ओबराय       चंडीगढ़। कांग्रेस गुटबाजी ऐलनाबाद विधानसभा उपचुनाव में देखने को साफ मिली। शैलजा गुट के छोड़ किसी भी बड़े कांग्रेस नेता ने कांग्रेस प्रत्याशी को जिताने के लिए कोई मेहनत नही करी, या यें कहे, कि कांग्रेसी नेताओं के अहम ने ही ऐलनाबाद सीट को हरा दिया। यदि कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ती तो भविष्य में होने वाले चुनाव के परिणाम कुछ औऱ ही होते। इसी गुटबाजी के बीच ऐलनाबाद उप चुनाव की हार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा के लिए बहुत बड़ा झटका है। क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी पवन बेनीवाल को सैलजा ने ही पार्टी जॉइन करवाकर टिकट दिलवाया था। अब उनके लिए चिंतन का समय है कि वह इन परिस्थितियों में कैसे पार्टी को मजबूत करेंगी। 
बरौदा उप चुनाव में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपना शो दिखाया और पार्टी की झोली में सीट डाल दी। ऐसा ही कुछ सैलजा यहां करना चहती थीं। लेकिन वह इसमें चूक गईं। सिरसा कुमारी सैलजा का अपने क्षेत्र है। सिरसा संसदीय सीट के प्रभुवाला उनका पैतृक गांव है। इस संसदीय सीट से वह सांसद रही हैं। सैलजा के पिता स्व. दलबीर केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। वह यहां से 1957 और 62 में जीतने के बाद उप सिचांई मंत्री रहे। 70 से 73 तक केंद्रीय पेट्रोलियम राज्यमंत्री बने। 1983 से 84 में कोयला मंत्री भी रहे। पार्टी संगठन में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हरियाणा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे। कुमारी सैलजा यहां से सांसद रही हैं। सैलजा 1991 और 1996 में यहां जीत चुकी हैं। वह भी केंद्र में नरसिम्हा राव सरकार में राज्य मंत्री रहीं। 2004 में उन्होंने यहां से जीत हासिल की थी। उस समय भी उन्हें केंद्र में मंत्री पद मिला। बाद में कुमारी सैलजा 2009 में अंबाला संसदीय सीट से चुनाव लड़कर केंद्रीय मंत्री बनीं। कांग्रेस की सबसे बड़ी कमाजोरी रही कि उसका अपना संगठन ही नहीं है। दोनों सीनियर नेताओं में कोई तालमेल नहीं है। सेलजा की संगठन पर कोई पकड़ नहीं है। जिनकी संगठन पर पकड़ है। उनके साथ सैलजा तालमेल नहीं बैठा पा रही हैं। इसलिए अहम की लड़ाई में कांग्रेस का बंटाधार हो रहा है। राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह का मानना है कि पंजाब की तरह हरियाणा में भी केंद्रीय नेतृत्व को कठोर और ठोस निर्णय लेना पड़ेगा। अन्यथा कांग्रेस के लिए आने वाले दिन संकटभरे हो सकते हैं। दयाल सिंह कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल और हरियाणा की राजनीतिक के अच्छे जानकार डॉ. रामजी लाल ने कहा कि कांग्रेस ने जिस तरह से ऐन मौके पर उम्मीदवर बदला, यह उनकी पहली हार थी। भाजपा से आए पवन बेनीवाल को टिकट देकर अपने कार्यकर्ताओं को निराश किया। इससे कहीं न कहीं भरत बेनीवाल का मनोबल टूटा। साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी अच्छा संदेश नहीं गया। 
पूरे चुनाव में कांग्रेस कार्यकर्ता निष्क्रिय रहे। इसलिए कांग्रेस अब इस स्थिति में है। बहरहाल कांग्रेस को अब चिंतन और मनन करने की जरूरत है। क्योंकि कांग्रेस न तो किसान आंदोलन को भुना पाई, न महंगाई को न ही लोगों के गुस्से को। यह पूरी तरह से कांग्रेस की विफलता है। और इसके लिए कुमारी सैलजा की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि जिम्मेदारी से भूपेंद्र हुड्डा भी मुक्त नहीं हो सके। क्योंकि वह न सिर्फ विपक्ष के नेता है। बल्कि खुद को जाट नेता के तौर पर स्थापित करते भी नजर आते हैं। ऐसी स्थिति में ऐलनाबाद सीट पर उनकी जातिगत पकड़ में कोई मजबूती नहीं दिखी।

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