शनिवार, 20 नवंबर 2021

किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेना चाहिए

किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेना चाहिए
हरिओम उपाध्याय     
लखनऊ। आंदोलन के बाद तीन विवादित कृषि कानूनों की वापसी की केन्द्र सरकार की घोषणा का वह स्वागत करती हैं। फिलहाल इसे चुनावी स्वार्थ व मजबूरी का फैसला बताकर बीजेपी सरकार की नीयत पर भी शक किया जा रहा है और इसलिए केन्द्र सरकार को इसको लेकर कुछ ठोस फैसले करने की जरूरत है।   
उन्होंने लिखा है कि केन्द्र सरकार को किसानों की उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए नया कानून बनाना चाहिए और किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेना चाहिए।  
मायावती ने लिखा है कि देश की आन, बान व शान से जुड़े अति गम्भीर मामलों को छोड़कर आंदोलन कर रहे किसानों पर दर्ज सभी मुकदमों की जल्द से जल्द वापस लेना चाहिए और इसके लिए केन्द्र सरकार को पहल करनी चाहिए।

3 कैबिनेट मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दिया
नरेश राघानी         
राजस्थान। आज शाम करीब पांच बजे अशोक गहलोत कैबिनेट की बैठक होने वाली है। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में सभी मंत्री इस्तीफा दे सकते हैं। पहले ही तीन कैबिनेट मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। इसकी जानकारी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन की ओर से दी गई है। 
इन तीन मंत्रियों में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा, स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा और राजस्व मंत्री हरीश चौधरी शामिल हैं।

कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा 
अकांशु उपाध्याय          
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा की। पृष्ठभूमि में शनिवार को आरोप लगाया कि सिर्फ भाजपा की सरकार में कैबिनेट की मंजूरी के बिना कानून बनाए और निरस्त किए जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि संसद के आगामी सत्र में इसके लिए समुचित विधायी उपाय किए जाएंगे।
चिदंबरम ने ट्वीट किया, ”गृह मंत्री ने प्रधानमंत्री की घोषणा को एक राजनेता की तरह उठाया गया कदम बताकर सराहना की। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री को किसानों की बहुत फिक्र है। रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों के कल्याण को ध्यान में रखकर फैसला किया है।
उन्होंने सवाल किया, ” पिछले 15 महीनों में ये योग्य नेता और उनकी अच्छी सलाह कहां थी? क्या आप लोगों ने इसका संज्ञान लिया कि प्रधानमंत्री ने कैबिनेट की बैठक के बिना ही यह घोषणा की?” पूर्व गृह मंत्री ने आरोप लगाया कि यह सिर्फ भाजपा के शासन में होता है कि कानून कैबिनेट की मंजूरी के बगैर बनाए और निरस्त किए जाते हैं।

किसानों की मांग को मान लेना चाहिए: वरुण
अकांशु उपाध्याय        
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद वरुण गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाने से संबंधित किसानों की दूसरी मांग को मान लेना चाहिए। शनिवार को गांधी ने प्रधानमंत्री की ओर से किये गए कृषि कानून वापस लेने की घोषणा का स्वागत करते हुए अपने पत्र में लिखा है कि किसानों की दूसरी मांग को स्वीकार करने से किसानों को एक बहुत बड़ा आर्थिक सुरक्षा चक्र मिल जायेगा।
उन्होंने लखीमपुर खीरी घटना की निष्पक्ष जांच कराने और इसमें घटना के आरोपित एक केन्द्रीय मंत्री पर सख्त कार्यवाही करने की मांग की । गांधी ने पत्र में लिखा है कि देश के किसानों ने भीषण बारिश, तूफान और विपरीत मौसम का सामना करते हुए आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से जारी रखा। इसके लिए किसानों को बधाई दी जानी चाहिए।
उन्होंने लिखा कि अगर कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला उचित समय पर कर लिया जाता तो उन 700 किसानों की जान बचाई जा सकती थी जिन्होंने इस आंदोलन की राह में अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
भाजपा सांसद ने किसान आंदोलन में मारे गए सभी 700 किसानों के लिए एक-एक करोड़ रुपए का मुआवजा दिए जाने की भी मांग की है जिससे पीड़ित परिवार आसानी से अपना जीवन गुजार सकें। उल्लेखनीय है कि किसान आंदोलन और किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए इस मुद्दे पर  गांधी पूर्व में कई बार अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर होकर बोलते रहे हैं।

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