सोमवार, 8 नवंबर 2021

26 मैचों में अजय रिकार्ड तक पहुंचने से रोका

26 मैचों में अजय रिकार्ड तक पहुंचने से रोका

मोहम्मद रियाज      लंदन। वेस्ट हैम ने लिवरपूल को 3-2 से हराकर उसे न सिर्फ 26 मैचों में अजय रहने के क्लब के रिकार्ड तक पहुंचने से रोका। बल्कि प्रीमियर लीग फुटबॉल प्रतियोगिता में शीर्ष तीन से भी बाहर कर दिया। लंदन स्टेडियम में रविवार को खेले गये इस मैच में वेस्ट हैम के दर्शकों का उत्साह देखते ही बनता था। उसकी इस जीत में लिवरपूल के गोलकीपर एलिसन बेकर का भी योगदान रहा। बेकर ने खेल के चौथे मिनट में पाब्लो फोरनैल्स के कार्नर को रोकने की कोशिश की लेकिन इस प्रयास में वह आत्मघाती गोल कर बैठे। ट्रेंट अलेक्सांद्र अर्नाल्ड ने 41वें मिनट में बराबरी का गोल दागा लेकिन फोरनैल्स ने 67वें और कुर्ट जोमा ने 74वें मिनट में गोल करके वेस्ट हैम को 3-1 से आगे कर दिया। लिवरपूल के लिये डियोक ओरिगी ने 83वें मिनट में गोल किया लेकिन इससे हार का अंतर ही कम हो पाया।


शतरंज प्रतियोगिता में 5वांं स्थान हासिल किया

रीगा। भारतीय स्टार द्रोणवल्लि हरिका ने फिडे महिला ग्रैंड स्विस शतरंज प्रतियोगिता के 11वें और आखिरी दौर में यूक्रेन की शीर्ष वरीयता प्राप्त मारिया मुजिचुक को ड्रा पर रोककर पांचवां स्थान हासिल किया और अगले महिला ग्रां प्री चक्र के लिये क्वालीफाई किया। हरिका चौथी वरीय खिलाड़ी के रूप में प्रतियोगिता में उतरी थी। उन्होंने मुजिचुक से 31 चाल के बाद अंक बांटे। उन्होंने टूर्नामेंट में कुल सात अंक हासिल किये और वह अजेय रही। हरिका यूक्रेन की खिलाड़ी के साथ संयुक्त तीसरे स्थान पर थी लेकिन टाई ब्रेक स्कोर के आधार पर उन्हें पांचवां स्थान मिला। इस बीच हाल में महिला ग्रैंडमास्टर बनने वाली 19 वर्षीय वनिका अग्रवाल ने तीन जीत, सात ड्रा और एक हार के साथ 6.5 अंक हासिल किये और वह 14वें स्थान पर रही। उन्होंने अपनी आखिरी बाजी ड्रा खेली। ओपन वर्ग में भारतीय ग्रैंडमास्टर निहाल सरीन 6.5 अंकों के साथ 18वें स्थान पर रहे।


बादशाह ज़फर को बंदरगाह पर रिसीव किया 

मोमिन मलिक    17 अक्टूबर 1858 को बाहदुर शाह ज़फर मकेंजी नाम के समुंद्री जहाज़ से रंगून पहुंचा दिए गये थे। शाही खानदान के 35 लोग उस जहाज़ में सवार थे। कैप्टेन नेल्सन डेविस रंगून का इंचार्ज था। उसने बादशाह और उनके लोगों को बंदरगाह पर रिसीव किया और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी हुकूमत के बादशाह को लेकर अपने घर पहुंचा। बहादुर शाह ज़फर कैदी होने के बाद भी बादशाह थे, इसलिए नेल्सन परेशान था। उसे ये ठीक नही लग रहा था कि बादशाह को किसी जेल ख़ाने में रखा जाये। इसलिए उसने अपना गैराज खाली करवाया और वहीं बादशाह को रखने का इंतज़ाम कराया।
बहादुर शाह ज़फर 17 अक्टूबर 1858 को इस गैराज में गए और 7 नवंबर 1862 को अपनी चार साल की गैराज की जिंदगी को मौत के हवाले कर के ही निकले, बहादुर शाह ज़फर ने अपनी मशहुर ग़ज़ल इसी गैराज में लिखा था। 7 नवंबर 1862 को बादशाह की खादमा परेशानी के हाल में नेल्सन के दरवाज़े पर दस्तक देती है। बर्मी खादिम आने की वजह पूछता है। खादमा बताती है बादशाह अपनी ज़िन्दगी के आखिरी सांस गिन रहा है गैराज की खिड़की खोलने की फरमाईश ले कर आई है। बर्मी ख़ादिम जवाब में कहता है। अभी साहब कुत्ते को कंघी कर रहे है, मै उन्हें डिस्टर्ब नही कर सकता। ख़ादमा जोर जोर से रोने लगती है। आवाज़ सुन कर नेल्सन बाहर आता है। ख़ादमा की फरमाइश सुन कर वो गैराज पहुँचता है। बादशाह के आखिरी आरामगाह में बदबू फैली हुई थी ,और मौत की ख़ामोशी थी। बादशाह का आधा कम्बल ज़मीन पर और आधा बिस्तर पर। नंगा सर तकिये पर था लेकिन गर्दन लुढ़की हुई थी, आँख को बहार को थे और सूखे होंटो पर मक्खी भिनभिना रही थी।  नेल्सन ने ज़िन्दगी में हजारो चेहरे देखे थे लेकिन इतनी बेचारगी किसी के चेहरे पर नही देखि थी। वो बादशाह का चेहरा नही बल्कि दुनिया के सबसे बड़े भिखारी का चेहरा था। उसके चेहरे पर एक ही फ़रमाइश थी। आज़ाद साँस की। हिंदुस्तान के आखिरी बादशाह की ज़िन्दगी खत्म हो चुकी थी। कफ़न दफ़न की तय्यारी होने लगी। शहजादा जवान बख़्त और हाफिज़ मोहम्मद इब्राहीम देहलवी ने गुसुल दिया। बादशाह के लिए रंगून में ज़मीन नही थी। सरकारी बंगले के पीछे खुदाई की गयी और बादशाह को खैरात में मिली मिटटी के निचे डाल दिया गया। उस्ताद हाफिज़ इब्राहीम देहलवी के आँखों को सामने 30 सितम्बर 1837 के मंज़र दौड़ने लगे। जब 62 साल की उम्र में बहादुर शाह ज़फर तख़्त नशीं हुआ था। वो वक़्त कुछ और था। ये वक़्त कुछ और था। इब्राहीम दहलवी सुरह तौबा की तिलावत करते है। नेल्सन क़बर को आखिरी सलामी पेश करता है और एक सूरज गुरूब हो जाता है।

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