शनिवार, 13 नवंबर 2021

गांजा तस्कर को 20 साल कैद की सजा सुनाई

गांजा तस्कर को 20 साल कैद की सजा सुनाई

हरिओम उपाध्याय 
जांजगीर। राज्य में गांजा तस्करी का मामला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। जांजगीर में एनडीपीएस कोर्ट ने एक गांजा तस्कर शहबाज अहमद शेख को 20 साल कैद की सजा सुनाई है। साथ ही 2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। शहबाज और उसके साथी अजय सिंह बघेल को करीब 2 साल पहले 220 किलो गांजा की तस्करी करते पकड़ा गया था। हालांकि बाद में अजय सिंह को जमानत मिल गई थी, इसके बाद से ही वह फरार है। मामले की सुनवाई विशेष जज सुरेश जून की कोर्ट में हुई।
विशेष लोक अभियोजक शशि कला जांगड़े ने बताया कि पामगढ़ थाना पुलिस 5 जनवरी 2020 को चेकिंग कर रही थी। इसी दौरान शिवरीनारायण की ओर से एक सफेद रंग की स्कार्पियो आती दिखाई दी। उसे रोकने का प्रयास किया गया, लेकिन चालक तेज गति से चलाते हुए भागने लगा। इस पर पुलिस ने पीछा कर घेराबंदी कर उन्हें रोक लिया। पूछताछ में चालक ने अपना नाम MP निवासी शहबाज अहमद शेख और दूसरे ने अजय सिंह बघेल बताया।
गाड़ी से मादक पदार्थ की महक आने पर पुलिस ने चेक किया तो अंदर कई पैकेट में गांजा भरा मिला। इन पैकेटों को गाड़ी के पीछे और बीच के हिस्से में कंबल से ढंक कर छिपाया गया था। जांच के दौरान गांजा के 217 पैकेट बरामद हुए है। इसके अलावा गड़ी के तीन अलग-अलग नंबर की प्लेट भी मिला है। बरामद गांजे की कीमत करीब 13.36 लाख रुपए से ज्यादा बताई जा रही है। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है। इस बीच अजय सिंह ने हाईकोर्ट से जमानत ले ली। इसके बदा से फरार है।

18.14 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियां कुर्क की 
अकांशु उपाध्याय     
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बताया कि धनशोधन कानून के तहत यूनिटेक समूह की कथित बेनामी कंपनियों की 18.14 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों को कुर्क किया गया है। कुर्क की गई इन संपत्तियों में गुरुग्राम (हरियाणा) में बने मल्टीप्लेक्स, गुरुग्राम तथा उत्तर प्रदेश के लखनऊ में छह व्यावसायिक संपत्तियां तथा 24 बैंक खाते और सावधि जमा शामिल हैं। ईडी ने कहा की कुर्क की गई इन संपत्तियों का मूल्य 18.14 करोड़ रुपये है।
एजेंसी ने एक बयान में कहा, ”ये संपत्तियां ‘इनोवा फैसिलिटी मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड’ और ‘एफएनएम प्रॉपर्टी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड’ के नाम पर हैं, जो चंद्रा (यूनिटेक के प्रमोटर अजय चंद्रा और संजय चंद्रा) की बेनामी कंपनियां हैं।” आरोप हैं कि इन दो बेनामी संस्थाओं को चंद्रा अपने करीबियों के माध्यम से चला रहे थे। बेनामी लेनदेन एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें किसी संपत्ति(चल अथवा अचल) किसी व्यक्ति के नाम स्थानांतरित की जाती है अथवा ली जाती है,जबकि हकीकत में उसका मालिक कोई अन्य व्यक्ति होता है।
धनशोधन का यह मामला यूनिटेक समूह और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ घर खरीदारों द्वारा दर्ज कराए गए मामले पर आधारित है। ईडी ने इस साल की शुरुआत में यूनिटेक समूह और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ धन शोधन निषेध अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत एक अपराधिक मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मालिकों-संजय चंद्रा और अजय चंद्रा- ने अवैध रूप से 2,000 करोड़ से अधिक रुपये साइप्रस और केमैन द्वीप भेजे थे। इस मामले में अब तक कुल 690.66 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है। गत माह ईडी ने इस मामले में यूनिटेक के संस्थापक रमेश चंद्रा, उनकी बहू प्रीति चंद्रा और एक कंपनी के कार्यकारी अधिकारी को गिरफ्तार किया था।

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