सोमवार, 6 सितंबर 2021

तीनों कानून का कई महीनों से पुरजोर विरोध किया

अकांशु उपाध्याय                
नई दिल्ली। आज देश में किसान, सरकार द्वारा लाये गये तीनों कृषि कानून का कई महीनों से पुरजोर विरोध कर रहे हैं और उनकी मांग तीनों कृषि कानून वापसी की। सरकार द्वारा अभी तक नहीं सुनी गयी है। किसानों के साथ पूरे देश को खड़ा होना चाहिए। इसका असर सिर्फ किसानों पर ही नहीं होगा, बल्कि महंगाई के रूप में पूरे देश की जनता को भुगतना पड़ेगा। ये तीन कृषि कानून आने के बाद कॉरपोरेट जगत की बड़ी बड़ी कंपनिया किसानों पर हावी हो जायेंगी।एकबात का हमेशा ध्यान रखना यदि आपको शुरू में कोई ऑफर पर ऑफर और वढ़ा लाभ दे रहा है तो समझ लेना कि वो आगे आपके पॉकिट पर हमेशा के लिए डाका डालने की तैयारी कर रहा है और आप पर हावी होने वाला है। इसलिए किसी ने सही कहा है कि लालच वुरी वला है।आप इस उदाहरण से समझ सकते हैं।
जैसा कि आपने देखा कि प्राइवेट सेक्टर में ज्यो टेलीकोम कम्पनी आयी उसने अपने ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए ज्यों के फ्री ऑफर चलाये और एक साल तक सबको फ्री कॉलिंग,फ्री नेट चलवाकर लत लगादी। और एयरटेल,वोडा, आईडिया जैसी तमाम कंपनियों ने अपने सभी रिचार्ज प्लानो को सस्ता कर दिया। फिर यहां से हौता है खेल शुरू सभी टेलिकॉम कंपनियों ने एक साल वाद धीरे-धीरे आपकी जेब पर डाका डालना शुरू कर दिया और लगातार रिचार्ज प्लानो में बढ़ोतरी की जा रही है और तो और जैसे ही आपका रिचार्ज खत्म आउटगोइंग और इनकमिंग बंद।अब हर माह आउटगोइंग और इनकमिंग वेलिडिटी रिचार्ज कराना आपकी मजबूरी बन गया। पहले ऐसा नहीं होता था के आपके फोन में रिचार्ज खत्म हो जाने पर आउटगोइंग और इनकमिंग कॉल बंद कर दी जाये। आपकी सिम में अगर दस रुपए हैं तो उनसे बात होती थी पर अब ऐसा नहीं है।
बगेर वेलिडिटी प्लान के आउटगोइंग और इनकमिंग कॉल बंद।जब इन टेलीकॉम कंपनियों द्वारा आउटगोइंग और इनकमिंग का नियम लाया गया तब शुरू में आउटगोइंग और इनकमिंग कॉल को खोलने के लिए प्रति माह 9 रुपए का वेलिडिटी टेरिफ रिचार्ज था,फिर 24 रुपए का हुआ, फिर 35 का हुआ, फिर 48 का हुआ और अब 79 का है आगे पता नहीं और कितना बड़े।आप देख सकते हैं कि किस प्रकार से टेलीकॉम कंपनियों द्वारा जनता का आर्थिक शोषण हो रहा है।सिर्फ टेलीकॉम सेक्टर में ही नहीं हर सेक्टर में आपको लूटा जा रहा है। सरकार ने भी कमी नहीं की है पहले आपको गैस कनेक्शन फ्री दिये फिर गैस के दाम बढ़ा कर आपसे वसूल लिए और अभी तक वसूले जा रहे हैं, कुछ साल पहले आपको रसोई गैस सिलेंडर 450 के लगभग मिलता था और अब 900 रुपए दोगुना रेट है, पैट्रोल, डीजल दो-तीन साल पहले के मुकाबले देढ़ गुना हैं। आज हर चीज के रेट दोगुने हैं। ज़्यादातर देश के औद्योगिक क्षेत्र पर कारपोरेट की बड़ी बड़ी कंपनियों का कब्जा हो गया है, रेलवे, एयरपोर्ट,वेंक सब कुछ बेंचा जा रहा है, देश को निजीकरण की और लेकर जाया जा रहा है।अब जो कृषि बची थी उसको भी कृषि कानून लाकर किसान और किसान की जमीन को बड़े बड़े उद्योगपति को सोंपने की तैयारी की जा रही है।काँट्रेक्ट फार्मिंग कानून के जरिए कम्पनियां किसान की जमीन के साथ अनुबंध करेंगी, शुरू में वो कंपनियां किसान को लुभाने के लिए अच्छा मुनाफा देंगी फिर धीरे धीरे किसान की जमीन का 10 या 20 साल का अनुबंध कराकर किसान की जमीन पर किसान को ही मजदूर बनाकर किसान से ही फसल उगाकर अपने रेट पर आनाज लेंगी,धीरे धीरे सारी मंडियां खत्म हो जायेंगी फिर एक बड़ा बजार लगेगा कारपोरेट जगत का,वहां सरकारी मंडियां नहीं होंगी वल्कि कॉरपोरेट जगत की मंडियां होंगी, जहां रेट सरकारी नहीं होगा वल्कि खरीदने के लिए कॉरपोरेट्स जगत अपना रेट खुद फिक्स करेंगे वो रेट ऐसे निकालेंगे जब खरीदने का समय होगा तब अनाज का रेट कम और हां मेंने सुना है आडानी के बड़े बड़े गुदाम पहले ही बन गये है तो आप खुद समझ सकते हैं फसल के समय अनाज के रेट डाउन करके सस्ते दामों पर खरीद कर कॉरपोरेट्स जगत अपने बड़े बड़े गुदामो में स्टोक करेगा और फिर उसी अनाज को बाद में दोगुना रेट कर बेचेगा ये होती है कारपोरेट्स की पॉलिसी। पहले लुभाओ फिर लूटो, समझें जैसे टेलीकॉम कंपनियों का उदाहरण मेंने दिया ठीक बेसे ही कृषि और किसानों की स्थिति हो जायेगी।वेसे भी आप देख रहे हैं देश की आर्थिक स्थिति क्या है और महंगाई किस सीमा पर है खाने के सामान पर भी दोगुने रेट,सरसो का तेल 200 रुपए किलो,आंटा,दाल, चावल सबके रेट आसमान छू रहे हैं अब बताइए गरीब वेचारा पेट भरने कहां जाये।उसकी खाने की थाली को भी नहीं छोड़ा।अगर आपका परिवार 5 लोगों का है तो आपसे प्रतिदिन पिछले कुछ सालों के मुकाबले लगभग 200 रुपए प्रतिदिन ज्यादा खर्च बढ़ गया है,तो अब बताइए प्रति माह कितने रुपए आपके पाॅकिट से ज्यादा जा रहे हैं? आपको महीने में पांच या दस किलो अनाज फ्री देकर कितना लिया जा रहा है कभी ये सोचा आपने? मंहगाई,बेरोजगारी,भुखमरी, स्वास्थ्य अव्यावस्था, आर्थिक संकट कैसे दौर में आ खड़ा हुआ है हमारा देश आप समझ सकते हैं।धन्यवाद।

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