रविवार, 8 अगस्त 2021

निर्माण हटाने के आदेश को लेकर दुविधा बरकरार

राणा ओबराय                       
चंडीगढ। अरावली वन क्षेत्र व पंजाब भू संरक्षण अधिनियम 1900 के एरिया से अवैध निर्माण हटाए जाने के आदेश को लेकर दुविधा बरकरार है। स्थानीय नगर निगम प्रशासन के पास अरावली में बने निर्माणकर्ताओं ने सीएलयू (चेंज लैड यूज)और एनओसी के लिए आवेदन किया हुआ है। वहीं कुछ निर्माणकर्ताओं ने एनओसी व सीएलयू ली हुई है। लेकिन वे फॉरेस्ट एरिया में हैं, ऐसे निर्माण को कैसे तोड़ा जाए।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार की तरफ से वकील ने कहा कि फॉरेस्ट एरिया से अवैध निर्माण हटाए जाने के मामले में अभी कुछ वक्त और चाहिए। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 20 अगस्त को अगली सुनवाई की जाएगी। अब देखने वाली बात ये है कि 20 अगस्त को हरियाणा सरकार इन अवैध बैंक्विट हॉल, फॉर्महाउस के बारे में सुप्रीम कोर्ट में क्या कहती है। क्योंकि अभी भी हरियाणा सरकार का रुख साफ नहीं हो पाया है। सूत्रों की मानें तो सरकार पंजाब भू संरक्षण अधिनियम 1900 की धारा 4 और 5 में संशोधन बिल को फिर से ला सकती है। अगर ये बिल फिर से आ गया तो सभी निर्माण फॉरेस्ट एरिया से बच जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने खोरी मामले को लेकर आदेश जारी किया था कि अरावली वन क्षेत्र से हर तरह का निर्माण हटाया जाए। निर्माण हटाने के लिए 23 अगस्त तक का समय दिया गया था। लेकिन जिला प्रशासन, नगर निगम व वन विभाग अभी तक नोटिस देने व ड्रोन सर्वे कराने का ही काम कर रहा है क्योंकि अरावली में 150 से ज्यादा फॉर्महाउस, बैंक्विट हॉल बने हुए है। इनमें से कई ने एनओसी व सीएलयू ली हुई है या सीएलयू व एनओसी के लिए आवेदन किया हुआ है। अब प्रशासन इस कैटेगरी को लेकर असमंजस में है कि इनका क्या करना है। इसका लेकर सरकार को अपना पक्ष शुक्रवार को रखना था।
वहीं वन विभाग ने अवैध रूप से निर्माण करने वाले 130 फॉर्म हाउस,बैंक्विट हॉल, शिक्षण संस्थान, गोशाला आदि को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है लेकिन अभी तक सभी के जवाब नहीं आए हैं। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा सरकार के वकील ने 10 दिन का वक्त और मांगा है ताकि वह फैसला ले सकें कि इनका करना क्या है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त को अगली सुनवाई की तारीख तय की है। हरियाणा सरकार ने साल 2019 में पंजाब भू संरक्षण अधिनियम 1900 में संशोधन का बिल विधानसभा में पास किया था। उस वक्त लोगों ने इसका विरोध किया था। सदन में भी काफी विरोध हुआ, लेकिन पास कर दिया गया। इस बिल में अरावली वन क्षेत्र को वन के दायरे से बाहर निकालने का प्रावधान है। जिसका लोगों ने विरोध किया। लेकिन ये बिल अभी भी पूरी तरह से पास नहीं हुआ। सूत्रों की मानें तो इन 10 दिनों में सरकार इस बिल को फिर से लागू करवाने पर विचार कर सकती है। अगर ये बिल पास हुआ तो फिर अरावली के सभी निर्माण बच सकते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you, for a message universal express.

यूपी: गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदला

यूपी: गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदला  संदीप मिश्र  लखनऊ। यूपी में गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदल गया है। कक्षा एक से लेकर आठ तक के स्कू...