रविवार, 29 अगस्त 2021

एचसी में लंबित मामलों का बोझ 4 लाख से ऊपर

राम कुमार कुशवाहा      

भोपाल। मप्र हाईकोर्ट में लम्बित मामलों का बोझ चार लाख से ऊपर पहुंच गया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जून 2021 की समाप्ति तक हाईकोर्ट के समक्ष 397975 मामले लंबित थे। जुलाई-अगस्त के दौरान दौरान दायर नए मामलों को मिलाकर वर्तमान में लंबित मामलों की संख्या चार लाख पार कर गई है। हाईकोर्ट में कुल स्वीकृत पदों के मुकाबले वर्तमान न्यायाधीशों की संख्या आधी है। इसी वजह से न्याय-दान प्रक्रिया अपेक्षित गति नहीं पकड़ रही है। यही वजह है कि पुराने मामले निराकृत नहीं हो पाते और नए मामले दायर हो जाते हैं।

हाईकोर्ट में इतनी पेंडेंसी की प्रमुख वजह जजों की कमी को माना जा रहा है। बीते महीने ही छह नए जजों की नियुक्तिके बावजूद फिलहाल हाइकोर्ट की तीनों बेंच में स्वीकृत 53 पदों की तुलना में महज 28 जज कार्यरत हैं। दो और जज रिटायर होने हैं। इसके बाद जजों की संख्या महज 26 बचेगी, जो स्वीकृत पदों के आधे से भी कम है।

विधिवेत्ताओं के मुताबिक मार्च, 2020 से कोविड के खतरे के कारण हाईकोर्ट का कामकाज सीमित सुनवाई के जरिए हुआ। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सीमित संख्या में महत्वपूर्ण मामले सुने गए। पुराने मामले बहुत कम सुनवाई में आए। लिहाजा, लम्बित मामलों की संख्या में इजाफा होता चला गया।

हाईकोर्ट की तीनों खंडपीठों में 30 जून 2021 तक कुल 3 लाख 97 हजार 975 मामले लम्बित थे। जून 2021 में कुल 10282 मामले तीनों खंडपीठों में दायर किए गए। इसी दौरान हाईकोर्ट ने 9009 मामलों का निराकरण भी किया। इस लिहाज से देखा जाए, तो एक माह में करीब हजार मामले लम्बित रह गए। ये आंकड़े कोरोनाकाल के हैं, जब हाईकोर्ट में दायर व निराकृत होने वाले मामलों की संख्या अपेक्षाकृत बहुत कम थी। सामान्य दिनों में हर माह करीब पांच हजार मामलों का बोझ हाईकोर्ट पर बढ़ जाता है। आंकड़ों के अध्ययन से पता चलता है कि मप्र हाईकोर्ट में हर साल लम्बित आंकड़ों की संख्या 50 हजार से अधिक की दर से बढ़ रही है।

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