बुधवार, 11 अगस्त 2021

16 साल करने पर जोर नहीं देने का फैसला किया

अकांशु उपाध्याय        

नई दिल्ली। संसद की एक प्रमुख समिति ने पीओसीएसओ कानून के तहत गंभीर मामलों में शामिल किशोरों के लिए उम्र सीमा 18 साल से कम करके 16 साल करने पर जोर नहीं देने का फैसला किया है। इससे पहले सरकार ने कहा कि इस आयु वर्ग के किशोरों द्वारा किये जाने वाले जघन्य अपराधों से निपटने के लिए मौजूदा कानून पर्याप्त हैं।

राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की एक टिप्पणी पर सरकार की प्रतिक्रिया आई। समिति ने कहा था कि ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण’ (पीओसीएसओ) कानून के तहत बड़ी संख्या में ऐसे मामले हैं। जहां किशोरों की आयु कानून लागू होने के लिहाज से तय आयु सीमा से कम रही है।

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