बुधवार, 25 अगस्त 2021

एचसी द्वारा 10 साल की सजा कई मामलों में सुनाई

अकांशु उपाध्याय                 
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया कि 10 साल की सजा भुगत चुके उम्र कैदियों और अन्य मामलों में सुनाई गई। अधिकतम सजा की आधी भुगत चुके दोषियों की जमानत याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट विचार कर सकता है। प्रदेश सरकार और हाई कोर्ट ने चेतावनी भी दी और कहा कि सार्वजनिक शांति और समाज की भलाई सुनिश्चित करने के लिए कुख्यात अपराधियों, बार-बार अपराध करने वालों, अपहरणकर्ताओं, नरसंहार से जुड़े अपराधों (तीन या तीन से ज्यादा हत्याएं), आदतन अपराधियों और उत्तर प्रदेश जेल स्थायी नीति के मुताबिक निषिद्ध वर्ग में आने वाले उम्र कैदियों को कोई जमानत प्रदान नहीं की जानी चाहिए।
प्रदेश सरकार और हाई कोर्ट रजिस्ट्री ने अपने सुझाव सुप्रीम कोर्ट के उस पूर्व आदेश के अनुपालन में दिए हैं जिसमें उनसे ऐसे दोषियों को खुद हाई कोर्ट द्वारा जमानत प्रदान करने के लिए विस्तृत मानक तैयार करने में मदद करने के लिए कहा था जिनकी अपीलें लंबे समय से लंबित हैं।
102 पेज के दस्तावेज में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ को हाई कोर्ट में आपराधिक अपीलों का तेजी से निस्तारण सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में अवगत कराया गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्वीकृत 160 पदों के मुकाबले वर्तमान में 93 जज हैं।

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