रविवार, 4 जुलाई 2021

विश्व के लगभग सभी देश कोरोना का हल ढूंढने में जुटें

अकांंशु उपाध्याय           
नई दिल्ली। पूरी दुनिया को सोचने पर मजबूर कर देने वाले कोरोना वायरस की तीसरी लहर को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। भारत समेत दुनिया के लगभग सभी देश कोरोना का हल ढूंढने में जुटे हुए हैं। सावधानी, जानकारी और बचाव के साथ वैक्सीन के माध्यम से कोरोना का मुकाबला किया जा रहा है।
अगर बात करें कोरोना की तीसरी लहर की तो यह अक्टूबर-नवंबर के बीच जमकर कहर ढा सकती है। कोरोना महामारी से संबंधित सरकार के पैनल में शामिल वैज्ञानिक प्रो. मनिंद्र अग्रवाल ने इस बारे में सचेत करते हुए कहा कि अगर जरूरी सावधानियां नहीं बरतीं गईं तो अक्टूबर-नवंबर के बीच कोरोना की तीसरी लहर अपने पीक पर पहुंच सकती है।
सूत्र मॉडल पर काम कर रहे प्रो. मानिंद्र अग्रवाल का कहना है कि अगर कोई नया स्ट्रेन आता है तो तीसरी लहर के दौरान संक्रमण तेजी से बढा रहा है।
प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल ने एक ट्वीट में कहा कि हमने तीन सिनेरियो बनाए हैं। एक आशावादी है. इसमें हम मानते हैं कि अगस्त तक जीवन सामान्य हो जाता है और कोई नया म्यूटेंट नहीं होता है। दूसरा मध्यवर्ती है। इसमें हम मानते हैं कि आशावादी परिदृश्य धारणाओं के अलावा टीकाकरण 20% कम प्रभावी है।
तीसरा निराशावादी है। इसकी एक धारणा मध्यवर्ती एक से अलग है। 
अगस्त में एक नया म 25% अधिक संक्रामक म्यूटेंट फैलता है (यह डेल्टा प्लस नहीं है जो डेल्टा वेरिएंट से अधिका संक्रामक है)। प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि यदि कोई तेजी से फैलने वाला म्यूटेंट नहीं है, तो तीसरी लहर एक कमजोर होगी और यदि ऐसा म्यूटेंट है, तो तीसरी लहर पहले की तुलना में ज्यादा होगी।
प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल ने कहा कि निराशावादी परिदृश्य के मामले में तीसरी लहर में देश में रोजाना 1,50,000 से 2,00,000 के बीच मामले बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा मई के पूर्वार्ध में दूसरी लहर के चरम के समय आए मामलों से आधा है। जब अस्पतालों में मरीजों की बाढ़ आ गयी थी और हजारों लोगों की मृत्यु हो गई।

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