गुरुवार, 17 जून 2021

कार्यकर्ताओं को अगुवाई में 'जिल्लत' उठानी पड़ीं

राणा ओबराय              
चंडीगढ। 2014 विधानसभा चुनावों में हरियाणा में भाजपा पार्टी ने पूर्ण बहुमत हासिल किया था। मुख्यमंत्री मनोहरलाल व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला की जुगलबंदी से सरकार का ग्राफ दिन प्रतिदिन नीचे आता चला गया। उसका कारण था, प्रदेश में अफसरशाही का सरकार पर भारी पड़ना। जिसके कारण कार्यकर्ता उदास होते चले गए। हरियाणा में 4 विधायकों वाली भाजपा को प्रदेश में पूर्ण बहुमत वाली सरकार जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं के कारण ही मिली थी। फिर, उसी कार्यकर्ताओं को पहली बार बनी खट्टर सरकार व प्रदेशाध्यक्ष बराला की अगुवाई में जिल्लत उठानी पडी। उसका परिणाम यह निकला कि 2019 विधानसभा चुनावों में भाजपा की खट्टर सरकार 40 सीटों पर आकर अटक गयी। 
नतीजा यह निकला आज हरियाणा प्रदेश में मनोहरलाल खट्टर सरकार जेजेपी पार्टी की बैसाखी के सहारे चल रही है। धनखड़ ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष का पद संभालने के बाद शायद पहला बढ़िया कार्य यह किया है, कि संगठन में हर वर्ग के लोगो और ज़मीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को स्थान दिया है। धनखड़ ने प्रदेश में कमजोर होते संगठन के कारण को ढूंढ निकाला। यदि इसी तरह प्रदेशाध्यक्ष कार्यकर्ताओं को मान सम्मान देने व दिलाने के लिए कार्य करेंगे, तो हो सकता है। 2019 चुनाव में हुई खुद उनकी हार का दाग भी धूल जाएगा और 2024 में होने वाले विधानसभा चुनावों में हरियाणा में उनके नेतृत्व में भाजपा पार्ट की पूर्ण बहुमत से सरकार भी बन जाये।

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