बुधवार, 23 जून 2021

जन स्वास्थ्य संबंधी उचित कदम उठाने की सलाह दी

अकांशु उपाध्याय            
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश में डेल्टा प्लस स्वरूप (वेरिएंट) के लगभग 40 मामले सामने आए हैं। इसे चिंताजनक स्वरूप (वीओसी) के रूप में वर्गीकृत किया है। मंत्रालय ने बताया कि डेल्टा के अलावा डेल्टा प्लस समेत डेल्टा के सभी उप-वंशों को वीओसी की श्रेणी में रखा गया है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘ भारत में अब तक 45,000 से अधिक नमूनों के अनुक्रमण के बाद डेल्टा प्लस स्वरूप एवाई 1 के करीब 40 मामले महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश में कहीं-कहीं सामने आए हैं और इसकी मौजूदगी में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं देखी गई है।
इन तीन राज्यों को सतर्कता बढ़ाने और जन स्वास्थ्य संबंधी उचित कदम उठाने की सलाह दी गई है। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) ने 11 जून को एवाई 1 संबंधी रिपोर्ट दी थी, जिसके बाद नमूनों के विश्लेषण से पता चला कि इस स्वरूप के संक्रमण का पहला मामला महाराष्ट्र से एकत्र किए गए नमूने में मिला। यह नमूना पांच अप्रैल को एकत्र किया गया था। बयान में बताया गया कि 18 जून तक दुनिया भर में एआई 1 स्वरूप के 205 अनुक्रमों का पता चला, जिनमें से 50 फीसद मामलों का पता अमेरिका और ब्रिटेन में चला।इंडियन सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम’  (आईएनएसएसीओजी) ने हाल में वायरस के इस स्वरूप (डेल्टा, बी.1.617.2) की पहचान की थी। यह स्वरूप दुनिया के नौ अन्य देशों में भी पाया गया है। आईएनएसएसीओजी राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का एक समूह है।
जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गठित किया है। आईएनएसएसीओजी वायरस के नए स्वरूपों तथा महामारी के साथ उनके संबंधों का पता लगा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर में वायरस के कई स्वरूप सामने आने के मद्देनजर उन्हें वीओसी (वेरिएंड ऑफ कंन्सर्न यानी चिंताजनक स्वरूप) और वीओआई (वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट यानी रुचि के स्वरूप) के रूप में वर्गीकरण किया है। बयान के अनुसार, डेल्टा स्वरूप के साथ साथ डेल्टा प्लस समेत डेल्टा वंश के सभी स्वरूपों को वीओसी में रखा गया है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘सभी डेल्टा उप-वंशों को वीओसी माना जाता है, हालांकि एवाई.1 के संबंध में अभी जांच की जा रही है। वर्तमान में, भारत में एवाई 1 के मामले कम हैं। एवाई.1 के ज्यादातर मामले यूरोप, एशिया और अमेरिका के नौ देशों में सामने आए हैं। गोवा सरकार ने महाराष्ट्र में कोविड-19 के डेल्टा प्लस स्वरूप के मामले सामने आने के मद्देनजर निकटवर्ती राज्य के साथ लगती सीमा पर सतर्कता बढ़ा दी है। राज्य के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि गोवा में कोविड-19 के डेल्टा स्वरूप के मामले सामने आए है।
लेकिन राज्य में ‘डेल्टा प्लस’ का अभी तक एक भी मामला सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि गोवा से सटे महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में डेल्टा प्लस स्वरूप के मामले सामने आए हैं, ऐसे में सीमा पर सतर्कता बढ़ा दी गई है। सावंत ने बताया कि गोवा में कोविड-19 के डेल्टा स्वरूप के 26 मामले सामने आए हैं, जो पुणे की प्रयोगशाला में भेजे गए नमूनों में पाए गए। उन्होंने कहा कि गोवा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पणजी के पास स्थित), उत्तरी गोवा जिला अस्पताल (मापुसा), दक्षिण गोवा जिला अस्पताल (मडगांव) और विक्टर अस्पताल (मडगांव) कोविड-19 रोगियों के नमूने एकत्र कर रहे हैं जिन्हें पुणे स्थित प्रयोगशाला में स्वरूप की जांच के लिए भेजा जाता है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने गोवा एवं महाराष्ट्र की सीमा के पास निजी प्रयोगशालाओं को अपने केंद्र स्थापित करने की अनुमति दी है। 
उन्होंने कहा, ‘‘यदि हमें कोई संदिग्ध (गोवा में प्रवेश करने वाला कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति) मिलता है, तो उसे पृथक-वास में रखा जाता है और राज्य में प्रवेश से पहले उसकी जांच की जाती है।
राज्य स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, गोवा में मंगलवार को संक्रमण के 303 नए मामले सामने आए और इसके साथ ही संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 1,64,957 हो गए तथा 11 और लोगों की मौत होने के बाद मृतक संख्या बढ़कर 3,008 हो गई। कर्नाटक में कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस स्वरूप का पहला मामला मैसुरू में सामने आया है। हालांकि संक्रमित व्यक्ति में रोग के कोई लक्षण नहीं हैं तथा उसके संपर्क में आया कोई भी व्यक्ति संक्रमित नहीं है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने बुधवार को यह जानकारी दी। सुधाकर ने संवाददाताओं से कहा, “मैसुरु में एक मरीज डेल्टा प्लस स्वरूप से संक्रमित है।
जिसे हमने अलग कर दिया है, लेकिन उसमें संक्रमण के कोई लक्षण नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा कि उसके संपर्क में आया कोई भी व्यक्ति संक्रमित नहीं है जो एक अच्छा संकेत है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नए स्वरूपों को लेकर सावधानीपूर्वक निगरानी कर रही है और राज्य में छह जीनोम प्रयोगशालाएं स्थापित करने का फैसला किया गया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में प्रतिदिन लगभग 1.5 लाख से दो लाख कोविड-19 जांच की जा रही है।

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