बुधवार, 26 मई 2021

एक नई आफत 'संपादकीय'

एक नई आफत  'संपादकीय' 

देश में लगातार कोरोना वायरस संक्रमण फैल रहा है। जिससे प्रतिदिन लाखों लोग संक्रमित हो रहें हैं। हजारों लोगों की प्रतिदिन मौत भी हो रही है। सरकार की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। सरकार जो बात कह रही है, वह धरातल की वास्तविकता से इतर है। राज्य सरकारों के द्वारा बढ़ाई गई पाबंदियों के कारण गरीब व मजदूरो का जीवन बड़ा कठिन और दयनीय हो गया है। शायद सरकार इस बात से वाकिफ नहीं है। कई बार तो ऐसा लगता है कि सरकार को ऐसे वर्ग की चिंता ही नहीं है। 
हालांकि देश 'राम' के भरोसे ही चल रहा है। यह अलग बात है कि 'राम' के नाम पर ही देश में राजनीति हो रही है। निचले स्तर के व्यापारी और मजदूरों के जीवन में जो आर्थिक संकट उत्पन्न हुआ है। उसके कारण जीवन और भी अभावग्रस्त हो गया है। ब्लैक फंगस और यास जैसी समस्याऐं प्रतिदिन नए-नए रूप में 'नई आफत' बन रहें हैं।
सरकार की उदारता में किस प्रकार से टीका-करण किया जाए? यह तो "साहित्य" के विशेषज्ञ ही समझ सकते हैं। टीकाकरण की स्थिति और गति दोनों चिंताजनक है। सबसे अधिक चिंता का विषय कोरोना वायरस की तीसरी लहर है। जिससे देश का अल्प आयु वर्ग सर्वाधिक प्रभावित होने की प्रबल संभावना जताई जा रही है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार व केंद्र सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है। लेकिन वास्तविकता कुछ और है, और इसका परिणाम देश की जनता को भुगतना ही होगा। क्योंकि राजनीति और व्यवस्था प्रबंधन दोनों अलग-अलग चीजें हैं। जब तक इनको अलग-अलग दृष्टिकोण से नहीं देखा जाएगा, नहीं समझा जाएगा। तब तक महामारी पर नियंत्रण कर पाना दूर की कौड़ी है। ऐसी अवस्था में प्रत्येक नागरिक को अपने और अन्य नागरिकों के जीवन की रक्षा के लिए कोरोनारोधी नियमों को आत्मसात कर, नियमित उपयोग करना चाहिए।

साफ-सफाई रखें, बुलंद रखें इकबाल।
बदलते रहे मास्क और अपना रूमाल।

चंद्रमौलेश्वर शिवांशु 'निर्भयपुत्र'

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