शुक्रवार, 28 मई 2021

संक्रमित गुमशुदा मौतों की संख्याओं की छानबीन

अकांशु उपाध्याय   

नई दिल्ली। कोरोना से जितने लोग संक्रमित हुए हैं, उनमें एक चौथाई की ही जांच हो पाई है। यही हाल कोरोना से होने वाली मौतों का भी है। अस्पतालों में मरने वालों का तो रिकॉर्ड है, लेकिन जो घर-गांव, सड़क और झोलाछाप नर्सिंगहोमों में मर गए, उनके बारे में कुछ पता नहीं। निजी अस्पतालों के रिकॉर्ड में भी घपला है। मौतों को कई-कई दिन के बाद पोर्टल पर अपलोड किया गया। उनमें बहुत सी मौतों के छिपा लेने का भी संदेह है।

हर तरफ आंकड़े दबाए जाने की खबरें छपने और बहस शुरू होने के बाद स्वास्थ्य विभाग भी कोरोना की गुमशुदा मौतों की संख्या पता करने की कोशिश में लग गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ताजा रिपोर्ट में कोरोना संक्रमितों और मौतों का आंकड़ा कम दर्ज किए जाने की बात कही गई है। पांच से नौ सितंबर 2020 में हुए सीरो सर्वे की रिपोर्ट में भी इसके संकेत मिले थे। नगर में 1442 लोगों के सैंपल की जांच की गई थी।इस दौरान 16 लोग कोरोना पॉजिटिव मिले। बाकी 1426 की रिपोर्ट निगेटिव थी। जब सीरो टेस्ट हुआ तो इनमें 23 फीसदी के शरीर में कोरोना की एंटी बॉडीज पाई गईं। इसका मतलब, ये लोग कोरोना से संक्रमित हुए और ठीक हो गए। हर संक्रमित सेे संक्रमण की एक चेन भी होगी, जिसकी जांच नहीं की गई।

अगर जांच होती संक्रमितों की संख्या तीन गुना से अधिक हो सकती थी। इसी तरह की स्थिति कोरोना से होने वाली मौतों की भी है।  बहुत से रोगी अस्पतालों में कोरोना से मरे, लेकिन रिकार्ड में आने से रह गए। निजी अस्पतालों ने धांधली की। शासन के निर्देश के बाद मौत का आंकड़ा उसी दिन अपडेट नहीं किया।

डाटा फीडिंग डेस्क होने के बाद भी देर की गई। संदेह है कि डाटा फीडिंग में भी आंकड़ों में खेल किया गया। इसके अलावा सबसे अधिक संख्या तो अस्पताल न पहुंच पाने वाले कोरोना रोगियों की है। माना जा रहा है कि अगर सब रिकार्ड हुआ होता तो आंकड़ा कुछ और ही होता। यही संदेह डब्ल्यूएचओ ने भी जाहिर किया है।

एक चौथाई संक्रमितों की हो पाई होगी जांच

स्वरूपनगर के रहने वाले और अमेरिका के इमरजेंसी सेवाओं के विशेषज्ञ डॉ. कृष्ण कुमार का कहना है कि कानपुर की आबादी अधिक है। एक चौथाई संक्रमितों की ही जांच हो पाई होगी। अगर सबकी होती तो आंकड़ा कुछ और होता। कोरोना संक्रमण की चेन बड़ी लंबी खिंचती चली जाती है। बहुत से लोग बिना लक्षण के होते हैं, वे खुद बिना इलाज ही ठीक हो जाते हैं लेकिन संक्रमण बहुत फैला देते हैं।

कोरोना काल में 13 हजार अंतिम संस्कार

जिले के श्मशान घाटों पर एक अप्रैल से पांच मई के बीच साढ़े 11 अंतिम संस्कार होने का अनुमान है। आम दिनों में रोजाना लगभग सौ के औसत से 35 दिनों में लगभग साढ़े तीन हजार अंतिम संस्कार होते थे। इसी तरह शहर के तीस कब्रिस्तानों में भी 35 दिनों में लगभग डेढ़ हजार जनाजों को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। आम दिनों में यह संख्या 10 से 12 के बीच होती थी। कोरोना काल में हुए अंतिम संस्कार और सुपुर्द-ए-खाक में संक्रमित मरीजों के अलावा अन्य बीमारियों से हुई मौतें भी शामिल है।

बर्रा के रहने वाले रवि श्रीवास्तव (54) की आरटीपीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसके बाद घर वाले अस्पतालों में लेकर भागते रहे। कोविड कमांड सेंटर से फोन करवाया गया, फिर भी बेड नहीं मिला। ऑक्सीजन लेवल गिरता गया। आखिर में मौत हो गई। इनका रिकार्ड कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों में नहीं है। मौत 17 अप्रैल को हुई थी।

सुजातगंज की रहने वाली 60 वर्षीय महिला और उनकी 23 साल की बेटी की कोरोना से मौत हुई। पहले उन्हें आर्यनगर स्थित निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था। पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद सरकारी अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए घरवाले कोशिश करते रहे। इस बीच, मौत हो गई। इनकी मौत भी कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों में दर्ज नहीं हुई।

कोरोना रोगियों की कुछ मौतें छूट गई थीं। तीन बार विशेष अभियान चलाकर छूटी हुई मौतों को आंकड़े में शामिल किया गया। इसी वजह से कभी-कभी एक दिन में बहुत अधिक मौतें अपलोड हो गईं। अब भी पता किया जा रहा है कि अगर किसी की मौत कोरोना से हुई है तो उसे आंकड़ों में जोड़ा जाएगा।

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