शनिवार, 15 मई 2021

मंगल पर सूक्ष्म जीवन तो नहीं हो गया संक्रमित ?

कविता गर्ग   
मंगल ग्रह पर इंसानी बस्ती बसाने की तैयारी चल रही है। इसी बीच वहां सतह और उसके नीचे सूक्ष्मजीवन और उसके संकेतों की खोज जारी है। जब से मंगल ग्रह को इंसान ने धरती पर से ध्यान से देखना शुरु किया है तभी से वहां जीवन की संभावनाओं कई अटकलें लग रही हैं और 30 ज्यादा अभियानों के मंगल और उसके पास पहुंचने के बाद भी इसे खारिज नहीं किया जा सका है। लेकिन यह भी संभव है जीवन के संकेतों की तलाश में वहां सूक्ष्मजीवन पृथ्वी से पहुच कर संक्रमित कर चुका हो।
तेजी से बढ़ी संक्रमण की संभावना

पिछले कुछ सालों में मंगल अभियानों की संख्या में बहुत तेजी आई है। हाल ही में मंगल पर प्रोब, रोवर और ऑर्बिटर की संख्या बढ़ गई है। जहां यूएई और चीन के यान अब भी मंगल के चक्कर लगा रहे हैं। अमेरिका के नासा के बहुत से रोवर मंगल पर घूम रहे हैं। अब एक अनुवांशिकीविद का कहना है कि इस बात की संभावना है कि कुछ सूक्ष्मजीवी पृथ्वी से मंगल पर पहुंच गए होंगे।

हो सकती है बड़ी समस्या

अगर ऐसा वाकई हो गया है तो यह वैज्ञानिकों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या हो सकता है। यह उन आंकड़ों में गड़बड़ी कर सकता है जो मंगल पर जीवन की तलाश के लिए जमा किए जा रहे हैं। इससे मंगल ग्रह पर जीवन या जीवन के संकेत खोजने के पर सवाल पैदा कर सकता है जो बहुत से अभियानों को प्रमुख उद्देश्य है।
आसानी से खारिज नहीं किए जा सकते ये सवाल

मंगल ग्रह पर इस तरह के गंभीर सवालों को खारिज करना आसान नहीं है। मिडिया के मुताबिक अमेरिका के कोर्नेल यूनिवर्सिटी में वेइल कॉर्नेल मेडिसिन में जैवभौतिकी, फिजियोलॉजी और जीनोमिक्स के प्रोफेसर क्रिस्टोफर मेसन का कहना है कि वैज्ञानिकों का दूसरे ग्रह पर जीवन की खोज करते समय यह सुनिश्चित करना होगा कि वह वाकई उसी ग्रह का जीवन है ना कि पृथ्वी में पले बढ़े संक्रमण के कारण जीवन।

मंगल यात्रियों के लिए भी हो सकती समस्या

इस संक्रमण से केवल शोध में ही समस्या होगी ऐसा नहीं है बल्कि मंगल पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को भी समस्या हो सकती है। भविष्य में ये सूक्ष्मजीवी उनके स्वास्थ्य के साथ ही उनकी सहायता के लिए गए उपकरणओं के लिए भी समस्या बन सकते हैं। मेसन को संदेह है कि हो सकता है कि मंगल पर मानव डीएनए भी 1971 और उसके बाद पहुंच गया हो। 1971 में मंगल ग्रह पर सोवियत संघ के दो अन्वेषण यान मंगल की सतह पर उतरे थे।

यह तय करना जरूरी

मेसन का कहना है कि मंगल पर धूल की वैश्विक आंधी से इन यानों से डीएनए मंगल की सतह तक पहुंच गए हों। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जो जीवन हम पता लगा रहे हैं वह पृथ्वी से ही आया जीवन ना हो। ऐसा होने पर यह तय करना आसान नहीं होगा कि जो संकेत मिले हैं वे मंगल के मूल जीवन के ही संकेत हैं या नहीं।
नासा यह प्रयास करता है अभी वैसे तो नासा यह सुनिश्चित करता है कि उसके अंतरिक्ष यान, लैंडर, और रोवर पूरी तरह से विसंक्रमित हों। इसके लिए वह इन्हें खास तरह के कमरों में विकसित करता है जिससे किसी भी तरह का संक्रमण और अशुद्धता किसी नाजुक उपकरण में गड़बड़ी ना पैदा कर दे जिससे वहां से संकेत आने में किसी तरह की कोई समस्या हो। इसके लिए नासा ISO-5 जैसे कठोर प्रोटोकॉल का पालन करता है।

मेसन का दावा है कि यह असंभव है कि मंगल के अभियानों में जो भी यान आदि गए हैं वे सौ प्रतिशत ही सूक्ष्मजीवन से मुक्त हों। नासा के इन सफाई कमरों में भी सूक्ष्मजीवन के प्रमाण पाए गए हैं। वे विकिरण रोधी होने के साथ ठंडे वातावरण में भी पनप सकते हैं। ऐसे में मंगल पर एक मजबूत किस्म के सूक्ष्मजीव पहुंचे हों इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।

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