बरेली। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को विधानसभा 2022 का सेमीफाइनल मान रही भाजपा को अपने ही गढ़ में बड़ा झटका लगा है। 60 में 26 सीटों को सपा समर्थित प्रत्याशियों ने जीतने का दावा किया है। जबकि सत्ताधारी समर्थित प्रत्याशी दहाई का आंकड़ा नहीं छू सके हैं। ऐसे में इस चुनाव ने विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी में जुटे मौजूदा सांसद और विधायकों की जमीनी तैयारी की हकीकत, उनकी लोकप्रियता किस स्तर तक है, इसकी स्थिति साफ कर दी है। जबकि भाजपा हाईकमान ने विधायकों को स्पष्ट रूप से कहा था कि हर हाल में जिपं सदस्य की सीट जिताना है। लेकिन विधायक कोई कमाल नहीं कर सके। सपा जिलाध्यक्ष अगम मौर्य का कहना है कि 2015 के चुनाव में सपा 21 सीटें जीती थीं। 2021 के चुनाव में जनता का भरपूर समर्थन मिला है। उन्होंने 32 से 35 सीटों पर चुनाव जीतने का दावा किया है। इधर पंचायत चुनाव में भाजपा के सांसद से लेकर विधायक व पूर्व मंत्री ने बेटा-बेटी, भतीजे, दामाद, पत्नी और खास रिश्तेदार को चुनाव मैदान में उतारा था। पार्टी हाईकमान ने भी सांसद, विधायक और संगठन के पदाधिकारियों को अधिकृत प्रत्याशियों को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी थी, ताकि पंचायत चुनाव में मिली जीत-हार से दिग्गजों के वर्तमान जनाधार, उनकी लोकप्रियता क्षेत्र में घट रही या बढ़ रही है, इसका पता चल सके।
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