बुधवार, 26 मई 2021

विधानसभा: 5 राज्यों में अस्तित्व बचाने की चुनौती

हरिओम उपाध्याय   
नई दिल्ली। अगले साल पहले होने वाले चार राज्यों और उसके बाद दो राज्यों के विधानसभा चुनावों में पंजाब को छोड़कर पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और गुजरात व हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकारें हैं और कोरोना काल की विपत्ति से जूझते माहौल में भाजपा के सामने इन पांचों राज्यों को बचाने की चुनौती है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी यूपी विधानसभा चुनाव जीतने की अपनी रणनीति के तहत कुछ बडे कदम उठा सकती है।कोरोना के दूसरे आक्रमण से जूझते देश में अब भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है। 
भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सबसे बड़ी चिंता उत्तर प्रदेश को लेकर है। रविवार को भाजपा नेतृत्व की शीर्ष स्तर की लंबी बैठक के बाद बनी रणनीति के तहत उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में सत्ताकेंद्र को विकेंद्रित करने, संगठन को सरकार के समानांतर शक्ति संपन्न बनाने का फैसला किया गया है।यह जानकारी देने वाले सूत्रों का कहना है कि उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को एक बार फिर प्रदेश संगठन का अध्यक्ष बनाया जा सकता है और गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाकर अधिकार संपन्न किया जा सकता है। 
लेकिन इन दोनों मामलों में अंतिम फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप-मुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्य से चर्चा के बाद ही लिया जाएगा।उधर कांग्रेस के भीतर भी प्रदेश में किसी ऐसे चेहरे को आगे करने का दबाव बढ़ता जा रहा है, जो भाजपा के हिंदुत्व के ध्रुवीकरण को रोक सके और राजनीतिक विमर्श (नैरेटिव) बदल सके। इसके लिए पार्टी के कुछ बड़े नेताओं ने पिछले लोकसभा चुनाव में लखनऊ से राजनाथ सिंह के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार रहे कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम को प्रदेश संगठन या चुनाव प्रचार अभियान की कमान सौंपने का सुझाव पार्टी नेतृत्व को दिया है।

अगले साल पहले होने वाले चार राज्यों और उसके बाद दो राज्यों के विधानसभा चुनावों में पंजाब को छोड़कर पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और गुजरात व हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकारें हैं और कोरोना काल की विपत्ति से जूझते माहौल में भाजपा के सामने इन पांचों राज्यों को बचाने की चुनौती है। वहीं भाजपा विरोधी दल इस महामारी से उत्पन्न आपदा को राजनीतिक अवसर में बदलने की कोशिश में जुट गए हैं। क्योंकि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव वर्ष 2021 के आखिर नवंबर दिसंबर में होने हैं, इसलिए ज्यादा सरगर्मी अभी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और गोवा को लेकर है।

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