पीक को लेकर अनुमान लगाना मुश्किल, वजह- आंकड़ों की तस्वीर सही नहीं
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, पीक के लिए जो नया मॉडल अपनाया गया है, उस पर भी अधिक भरोसा नहीं किया जा सकता। पिछले महीने भी यह मॉडल फेल हो चुका है। एक्सपर्ट कह रहे हैं कि यह आंकड़े कम करके बताए जा रहे हैं। न तो टेस्टिंग बढ़ाई है और न ही मौतों की सही तस्वीर सामने आ रही है। वहीं, देशभर में श्मशान घाटों की तस्वीरें कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। इससे पीक को लेकर सारे असेसमेंट जटिल होते जा रहे हैं।
नया पूवार्नुमान अन्य वैज्ञानिकों के पूवार्नुमानों से मेल खाता है, जिसमें 15 मई के आसपास दूसरा पीक आने की बात कही जा रही है। यह पूवार्नुमान बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि बीते 24 घंटे में देश में 4.12 लाख नए केस सामने आए। इस दौरान 3,980 मौतें हुईं। इन स्थितियों के बीच भी प्रधानमंत्री मोदी ने साफ किया है कि वे नेशनल लॉकडाउन नहीं लगाना चाहते। हालांकि, ज्यादातर राज्यों में आंशिक या पूर्ण लॉकडाउन पहले से लागू है। कई राज्यों ने अपनी सीमाओं को सील कर रखा है।
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