सोमवार, 22 मार्च 2021

क्रान्तिकारी वैचारिक सम्मलेन का हुआ आयोजन

अश्वनी उपाध्याय         

गाजियाबाद। जनपद में आज सोमवार को “क्रान्तिकारी वैचारिक सम्मलेन” का आयोजन किया गया। अंशु ठाकुर के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता समाजवादी पार्टी के वरिष्ट नेता राम दुलार यादव रहे। कार्यक्रम में वीरेन्द्र यादव एडवोकेट जिला महासचिव समाजवादी पार्टी जनपद, अवनीश नागर, संजीव भाटी, मनोज पण्डित, बिन्दू राय राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय महिला उत्थान संस्था, देवराज, रवीन्द्र यादव, विकास सिंह, अनिल मिश्र ने विचार व्यक्त किये। सम्मलेन में आये हुए गणमान्य विद्वानों, नवजवान साथियों ने शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण किया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता राम दुलार यादव ने कहा कि “शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव ने देश को ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्ति दिलाने के लिए हँसते-हँसते फांसी के फन्दे को चूम कर शहीद हो गये। आज देश में उनके चित्र और मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर उनको स्मरण कर लेते है। लेकिन देश, समाज, व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के बारे में उनके समाजवादी विचार पर एक कदम भी चलना नहीं चाहते”। शहीदे आजम भगत सिंह ने कहा है कि “भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति हमारी पहली लड़ाई है, लेकिन मानव द्वारा मानव के शोषण, विषमता, अन्याय, अत्याचार, रूढ़िवाद, भ्रम, पाखण्ड के विरुद्ध हमारी अन्तिम लड़ाई है”। क्रान्तिकारी दल का मानना था कि सामाजिक स्वतंत्रता, आर्थिक स्वतंत्रता के बिना पूर्ण स्वतंत्रता असंभव है। उनकी डायरी में लिखा यह कथन कि “कोई आदमी इतना धनवान न हो जो जब चाहे किसी को खरीद ले, तथा कोई भी इतना गरीब न हो कि अपने को बेचने पर किसी व्यक्ति के सामने मजबूर हो”। शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव का मानना था कि क्रान्ति सडी-गली व्यवस्था के परिवर्तन का नाम है जो विचार की सान पर तेज होती है। यादव ने कहा कि जिन मूल्यों के लिए स्वतंत्रता सेनानियों, क्रांतिकारियों ने त्याग और बलिदान दिया। आज देश में भय और नफ़रत का वातावरण बनाया जा रहा है। वर्तमान केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार उन मूल्यों की रक्षा करने में अक्षम सिद्ध हो रही है। राजनीति में धार्मिक पाखण्ड और जातिवाद बढ़ता जा रहा है। सामन्तवादी और अराजक ताकतें बाहुबल और धनबल से लोकतंत्र को कमजोर कर रही है। भारत 2014 में लोकतंत्र मापदंड में 27वें स्थान पर था। आज 53वें स्थान पर पहुँच गया है, विदेशी सर्वेक्षण में हमारा आर्थिक और राजनैतिक अवमूल्यन ही हुआ है। हम न पूर्ण लोकतंत्र रहे, न पूर्ण विकाशशील देश, आज नवजवानों, छात्रों तथा देश के बुद्धिजीवी गणमान्य लोगों की जिम्मेदारी है कि देश में समता, समानता, न्याय और बंधुत्व के लिए आवाज उठाने तथा सामाजिक और राजनैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए संघर्ष के लिए तैयार रहेंगें, तभी हम देश पर अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले महान पुरुषों के स्मरण के अधिकारी होंगें। अंशु ठाकुर ने कहा कि नौजवान साथियों इस सम्मेलन में आकर आप लोगों ने क्रान्तिकारी विचार रखे तथा शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में जाना। हमें इस अवसर पर संकल्प लेना है कि क्रांति की ज्वाला को हम जलाये रखते हुए जातिवाद, शोषण और पाखण्ड से देश को मुक्त कराने के लिए सदैव कार्य करते रहेंगें। किसानों के समर्थन में भी वक्ताओं ने विचार व्यक्त करते हुए सरकार से मांग की, कि उनकी मांग जल्द से जल्द मानें, अहंकार का परित्याग कर तीनों कृषि कानूनों को वापस सरकार ले। वैचारिक सम्मलेन में प्रमुख राम दुलार यादव, अंशु ठाकुर, वीरेन्द्र यादव एडवोकेट, मनोज पण्डित, विक्की सिंह, उपेन्द्र यादव, कृष्णानन्द यादव, मोहम्मद वाशीम, अभिशेष यादव, अखिलेश कुमार शुक्ला, गौरव चौधरी, प्रवीन भाटी, संजीव भाटी, सर्वेश यादव, गुड्डू यादव, उपेन्द्र गुप्ता, सुरेन्द्र यादव, अवधेश यादव, विकास यादव, कुनाल, अंकुर शर्मा, बिन्दू राय, रेनूपुरी, गौरव तिवारी, विकास, धर्मेन्द्र, कुलदीप, देव यादव, विकास साह, अवनीश नगर, शैलेन्द्र विष्ट, ध्रुव तिवारी, देव राज, शिव, विनोद, अजय यादव, राम प्रसाद आदि शामिल रहे।

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