गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

वाह: पीएम मोदी की अदा का सबसे बड़ा प्रशंसक

अकांशु उपाध्याय  

नई दिल्ली। मैं प्रधानमंत्री मोदी की इस अदा का सबसे बड़ा प्रशंसक हूँ कि वह जो जीवन में गर्व और स्वाभिमान के नाम पर किए होते हैं। दमदार तर्क और ओजस्वी भाषण से जिनको जस्टीफाईड किए होते है।समय बदलने पर उसी की उससे अधिक तर्क और ओजस्वी भाषण से उसकी निंदा कर के लोगों को अपने तर्कों के साथ सहमत करा देते हैं, वाइस वरसा। मैं उनको उनकी इस कला के लिए साधूवाद देता हूँ। राज्यसभा में एक दिन पहले की "रुदाली" के बाद लोकसभा में कल देश के प्रधानमंत्री कानून व्यवस्था के अलंबरदार बन कर पंजाब में "जियो" के टाॅवरों के तोड़फोड़ पर उपदेश देते दिखे , बिफरे और नसीहत दी कि "मोबाईल टाॅवर तोड़ना कैसे किसान आंदोलन का हिस्सा हो सकता है ?" बहुत बढ़ियाँ , मोदी , बहुत बढ़ियाँ... मोदी जी वह इंसान हैं। जो इसी देश में हिंसा और अराजकता को बढ़ाते हुए "क्रिया की प्रतिक्रिया" सिद्धांत का प्रतिपादन किया और 3000 से अधिक लोग उनके इसी प्रतिपादन की भेंट चढ़ गये , वही मोदी जी मोबाईल टाॅवरों के क्षति होने पर उपदेश दे रहे हैं। हिंसा और अराजकता का समर्थन बिल्कुल नहीं पर यह कटु इतिहास है कि इस देश में हर आंदोलन में कुछ ना कुछ अराजकता और हिंसा ज़रूर हुई है और मोदी जी तो ऐसी देशव्यापी हिंसाओं के "रथ मैनेजर" रहे हैं , जो आंदोलन में जहाँ जहाँ से गुज़री दंगा और हिंसा फैलती गयी। अंबानी के मोबाईल टाॅवरों पर प्रवचन देने वाले ऐसे ही एक आंदोलन में उच्चतम न्यायालय , संसद और संविधान की निगरानी , शपथपत्र और वचन के बावजूद "बाबरी मस्जिद" शहीद करवा देने के ना सिर्फ भागीदार रहे हैं बल्कि सार्वजनिक रूप से गौर्वान्वित होते रहे हैं। हालाकि मोदी जी की इस बात से सहमत हूँ कि "टाॅवर" नहीं तोड़े जाने चाहिए पर प्रधानमंत्री मोदी जी को बाबरी मस्जिद के बारे में ऐसा कहते कभी नहीं सुना। यह देश अपने मुस्लिम नागरिकों का कर्ज़दार है जो संसद में देश के प्रधानमंत्री नरसिंहराव के बाबरी मस्जिद के पुनर्निमाण की घोषणा और वचन को त्याग कर भूल गया। और सरयू की धारा में डोलते पिलरों को एक औरत की देह की कुर्बानी पर खड़ा होता चुपचाप देख रहा है। प्रधानमंत्री जी की लोकसभा की नसीहत से समर्थन है पर उनसे ऐसे ही आंदोलन में शहीद हुई मस्जिद के लिए भी प्रवचन सुनना चाहता हूँ जिसके वह खुद भागीदार रहे हैं। बाकी कंगना राणावत जिस तरह से खुद को कभी भारत की अब तक की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री , और कभी ऐक्शन में टाॅमक्रूज़ से अपने को बेहतर बता रही हैं , मुझे लगता है कि यही सिलसिला चलता रहा तो कहीं वह खुद को "सनी लियोनी और मियां खलीफा" से बेहतर पोर्न कलाकार ना बता दें।

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