नई दिल्ली। ना ही मीडिया के लिए अपने सबसे बड़े फाइनांसर के खिलाफ बोलना संभव है और ना ही सरकार को पैसे की बंदरबांट करने से रोका जा सकता है। बल्कि सरकारी योजनाओं की जानकारियां लोगो तक पहुचाने के नाम पर बाकायदा एक मंत्रालय है। जिससे मिलने वाले एडवरटाइजिंग बजट से चैनेलो की आमदनी होती है। किस चैनल पर विज्ञापन देने पर कितने पैसे लगेंगे ये चैनल की टीआरपी पर निर्भर है। मतलब जिसकी जितनी ज्यादा टीआरपी उतना ज्यादा विज्ञापन के रेट मिलेंगे। ये टीआरपी क्या है? टीआरपी याने टेलीविजन रेटिंग पॉइंट एक तरीका है ये पता करने का की कौनसा प्रोग्राम या चैनल कितने लोग देखते है। हर शुक्रवार को को इसके आंकड़े जारी होते है। जिसकी जितनी ज्यादा टीआरपी या साधारण शब्दो मे जितने ज्यादा दर्शक, उस चैनल को उतना ज्यादा पैसा उसके विज्ञापनदाताओं से मिलता है। तो ये सीधा चक्र है।
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