जेरूसलम। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है, कि वह ईरान के साथ किसी परमाणु समझौते पर भरोसा नहीं करने जा रहे हैं। नेतन्याहू ने चेतावनी दी कि वह ईरान के नेतृत्व को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए ‘हर चीज’ करेंगे। इजरायली पीएम ने यह बयान ऐसे समय पर दिया है। जब उन्होंने रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, सेना प्रमुख और खुफिया एजेंसी मोसाद के प्रमुखों के साथ अमेरिका के बाइडेन प्रशासन के ईरान के साथ परमाणु समझौते पर चर्चा करने के प्रस्ताव पर बैठक किया है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा, ‘इजरायल ईरान के अतिवादी प्रशासन के साथ समझौते पर भरोसा नहीं कर रहा है। हमने पहले ही उत्तर कोरिया के साथ इस तरह के समझौते को बेकार होते देखा है। समझौते के साथ या समझौते के बिना हम यह सुनिश्चित करेंगे कि (ईरान) परमाणु हथियारों के साथ लैस न हो जाए।’ उधर, ईरान ने अपने परमाणु प्रतिष्ठानों के अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण पर रोक लगाना आधिकारिक रूप से शुरू कर दिया है। ईरान के इस कदम का उद्देश्य यूरोपीय देशों और अमेरिका (बाइडन प्रशासन) पर आर्थिक प्रतिबंध हटाने तथा 2015 के परमाणु समझौते को बहाल करने के लिए दबाव बनाना है। सरकारी टीवी पर प्रसारित खबर में कहा गया है कि ईरान ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के निरीक्षकों के साथ सहयोग घटाने की अपनी धमकी के बाद ठोस कदम उठाये हैं। ईरान ने कहा है कि उसकी योजना ‘अतिरिक्त प्रोटोकॉल’ के क्रियान्वयन को रोकना है। जो ऐतिहासिक परमाणु समझौते के तहत तेहरान और आईएईए के बीच हुआ था। यह प्रावधान संयुक्त राष्ट्र के निरीक्षकों को ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों और परमाणु कार्यक्रमों का मुआयना करने की कहीं अधिक शक्तियां प्रदान करता है। हालांकि, यह अस्पष्ट है कि इस पहुंच को सीमित कैसे किया जाएगा। वहीं, ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने कहा है कि आईएईए को परमाणु स्थलों पर निगरानी कैमरों की तस्वीरें प्राप्त करने से रोक दिया जाएगा। ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने इन कैमरों की तस्वीरों या फुटेज को तीन महीने तक अपने पास रखने और उसके बाद आईएईए को तभी सौंपने का वादा किया है। जब वह प्रतिबंधों में ढील देगा। गौरतलब है, कि करीब तीन साल पहले अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था और ईरान पर नये सिरे से प्रतिबंध लगा दिये थे। जिससे इस खाड़ी देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी। बाइडन प्रशासन पर दबाव बढ़ाने के लिए ईरान ने 2015 के प्रतिबंधों का क्रमिक रूप से उल्लंघन करने की घोषणा की है। ईरान अपनी इस मांग पर अडिग है, कि वह ट्रंप द्वारा लगाये गये प्रतिबंधों से कम किसी भी चीज पर राजी नहीं होगा। बाइडन प्रशासन 2015 के परमाणु समझौते को इसके क्रियान्वयन की पटरी पर वापस लाना चाहता है। लेकिन तेहरान से इसे अपेक्षा के अनुरूप प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। ईरान के सख्त रुख ने आगे की राह कठिन कर दी है।
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