राणा ओबराय
चंडीगढ। जो किसान आंधी, तूफान और अंधेरी रातों को चीरते हुए धरती से अन्न पैदा करता है। वह किसान कभी खोफ के साये तले नही रह सकता। देश का इतिहास रहा है, जब-जब देश पर मुसीबत आती है। तब-तब किसान और जवान देश की रक्षा के लिए आगे आतेें है। ज्यादा समय हो गया है। किसान अपनी मांगों को मनवाने के हाड़तोड़ ठंड में शांतिपूर्ण तरीके से धरने पर बैठा है। यदि किसानों के रूप में अराजक तत्व आंदोलन में शामिल होकर गणतन्त्र दिवस के अवसर पर नँगा नाच करते हैं, तो उससे सारा किसान वर्ग दोषी नही हो जाता है। जिस तरह से दिल्ली प्रशासन ने संघर्षरत किसानों के धरना स्थल की बिजली पानी काट दिया और पुलिस के भारी बंदोबस्त से किसानों पर दबाव बना कर राकेश टिकैत को गिरफ्तार की योजना बनाई थी। उस योजना को राकेश टिकैत के बहे आंसुओं ने देश के किसानों की अंतरात्मा को चीर के रख दिया। यूपी हरियाणा पंजाब के किसानों ने रात को ही दिल्ली की तरफ वापसी कूच कर दिया। हरियाणा के कंडेला और अम्बाला क्षेत्र के किसानों ने राकेश टिकैत के नारे लगा कर कहा हम तुम्हारे साथ है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गणतन्त्र दिवस के मौके पर लालकिले के उपर उपद्रवियों द्वारा झंडा लहराने से जिस किसान आंदोलन को सरकार लगभग खत्म होना मान रही थी। उस आंदोलन को राकेश टिकैत की आंखों से निकले आंसुओ और उसकी अंतरात्मा की आवाज से रातोरात आंदोलन ने फिर से गति पकड़कर किसानों को एकजुट कर दिया।
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