मंगलवार, 26 जनवरी 2021

संविधान: 72 वें गणतंत्र दिवस का आयोजन संपन्न

हरिओम उपाध्याय  

नई दिल्ली। इस बार हमने अपना 72वांं गणतंत्र दिवस मनाया हैं। साल 1950 से प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को हम अपना गणतंत्र दिवस पूरे आयोजित कार्यक्रम जैसे परेड, झांकी और रंगारंग कार्यक्रम के साथ मनाते रहे हैं। लेकिन इस वर्ष करोना महामारी जिससे पूरा विश्व ग्रसित रहा। पिछले लगभग 10 महीनों से पूरा विश्व थम-सा गया था। जिंदगी रुक सी गई थी। अब वैक्सीन आने के बाद इस बीमारी से काफी हद तक  लड़ने में कई देश कोशिश कर रहे हैं। हमारा देश की भी स्वदेशी वैक्सीन काफी सफल हो रही हैं। परंतु इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह को हर प्रदेश करोना प्रोटोकॉल को लागू करते हुए मनाएंगे।

संविधान का इतिहास:- 1950 से पूर्व 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता था ।15 अगस्त 1947 को भारत के स्वतंत्र हो जाने के बाद इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा ।भारत के स्वतंत्र हो जाने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई और उसने अपना कार्य आरंभ कर दिया संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे ।इसमें प्रमुख डॉक्टर भीमरावअंबेडकर ,जवाहरलाल नेहरू ,डॉ राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल ,मौलाना अब्दुल कलाम आजाद आदि सभा के प्रमुख थे ।संविधान निर्माण में 22 समितियां थी जिसमें प्रमुख प्रारूप समिति थी ।इस समिति का कार्य संपूर्ण संविधान लिखना था ।प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर थे।प्रारूप समिति और उसमें विशेष रूप से डॉक्टर अंबेडकर जी ने भारतीय संविधान का निर्माण किया और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद को 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान सौंप दिया इसलिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाता है।114दिन की संविधान सभा की बैठक हुई इसमें प्रेस और जनता को भाग लेना की स्वतंत्रता थी काफी बदलाव और सुधारों के बाद 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर हो गए। उसके 2 दिन बाद 26 जनवरी को पूरे देश में संविधान लागू हो गया।

इतिहास राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का:- इस झंडे को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था ।1951 में पहली बार भारतीय मानक ब्यूरो ने राष्ट्रीय ध्वज के लिए कुछ नियम तय किए, 1968 में तिरंगा निर्माण के मानक तय किए गए यह नियम अत्यंत खड़े थे ।केवल खादी या हाथ से कथा गया कपड़ा ही झंडा बनाने के लिए उपयोग किया जाता था ।26 जनवरी 2002 में  इस नियम में संशोधन किया गया इस नियम में हर नागरिक को अपने घर, कार्यालयों, फैक्ट्री आदि जगह पर तिरंगा फहराने की स्वतंत्रता दी गई। इसमें दिन की भी कोई रुकावट नहीं थी। प्रत्येक नागरिक को किसी भी दिन तिरंगा फहराने की छूट मिल गई।

गणतंत्र दिवस की परेड और झांकियां:- गणतंत्र दिवस का प्रमुख आकर्षण परेड और झांकियां होती हैं ।राष्ट्रपति के ध्वजारोहण करने के बाद 21 तोपों की सलामी दी जाती है। तीनों सेना , अर्धसैनिक बल और विभिन्न प्रदेशों से आए हुए झांकियां आकर्षक का केंद्र होती हैं। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने राजपथ पर प्रथम गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल हुए थे।

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