शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020

कोरोना तो झांकी है, पिक्चर अभी बाकी है

वाशिंगटन डीसी। जन स्‍वास्‍थ्‍य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को रेखांकित कर अब तक की सबसे चिंताजनक तस्‍वीर पेश करती लान्सेट काउंटडाउन की पांचवीं वार्षिक रिपोर्ट के प्रमुख रुझान बेहद बुरी स्थिति की तरफ इशारा करते हैं। स्‍वास्‍थ्‍य एवं जलवायु परिवर्तन के बीच सम्‍बन्‍धों पर आधारित 40 से ज्‍यादा संकेतकों पर पड़ताल करती यह रिपोर्ट चिंताजनक तथ्य सामने रखती है।..
कोविड के इस प्रकोप के दौरान हम बस भविष्य की सम्भावनाओं एक झलक भर देख रहे हैं। और अगर अभी भी जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ सही नीतिगत फैसले नहीं लिए गए तो यह संभावनाएं भयावह हक़ीक़त की शक्ल ले लेंगी क्योंकि दुनिया का कोई भी देश जलवायु परिवर्तन के कारण सेहत को होने वाले नुकसान से अछूता नहीं रह सकता। यह कहना है आज जारी हुई लान्सेट की काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट रिपोर्ट 2020 रिपोर्ट का। रिपोर्ट का दावा है कि दुनिया में कहीं भी स्वास्थ्य सेवाओं का तंत्र ऐसे किसी हालात के लिये पूरी तरह से तैयार नहीं है।...
वैसे भी बढ़ती गर्मी की वजह से पूरी दुनिया में मृत्‍यु दर में तेजी से इजाफा हो रहा है। साथ ही यह तपिश करोड़ों लोगों की रोजीरोटी के लिये भी खतरा बन रही है। लेकिन जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 महामारी के संकट से एक साथ निपटकर करोड़ों लोगों की जिंदगी और सेहत को बचाया जा सकता है।
रिपोर्ट के लेखक कहते हैं कि कोविड-19 महामारी से हुए नुकसान की भरपाई की प्रक्रिया हमें जलवायु परिवर्तन पर काम करने का एक सुनहरा मौका भी देती है। संकट में तब्दील हो रहे हालात में साथ मिलकर काम करने से जन स्वास्थ्य में सुधार करने, एक सतत अर्थव्यवस्था का निर्माण करने और पर्यावरण की सुरक्षा करने का मौका मिल रहा है।...
लान्सेट काउंटडाउन के अधिशासी निदेशक इयान हैमिल्टन ने कहा "कोविड-19 महामारी ने हमें दिखाया है कि जब वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य को खतरा पैदा होता है तो हमारी अर्थव्यवस्थाएं और जीवन जीने का तरीका बिल्कुल ठहर सकता है। जलवायु परिवर्तन की वजह से इंसान के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले खतरे कई गुना बढ़ गए हैं और जब तक हम अपना तौर-तरीका नहीं बदलते, तब तक भविष्य में हमारी स्वास्थ्य सेवा व्यवस्थाओं पर जोर पड़ने का खतरा बना रहेगा। इस साल अमेरिका के जंगलों में लगी विध्वंसकारी आग और कैरेबियन तथा पेसिफिक में चक्रवाती तूफान की घटनाएं कोविड-19 महामारी के साथ-साथ हुई हैं। इससे यह दुखद एहसास बिल्कुल साफ हुआ है कि दुनिया एक वक्त में सिर्फ एक संकट से निपटने जैसी आरामदायक स्थिति में नहीं है।"
काउंटडाउन रिपोर्ट में सामने आए नए तथ्यों से जाहिर होता है कि गर्मी के कारण अधिक उम्र के लोगों की मौत की घटनाओं में 54% का इजाफा हुआ है। इसके अलावा वर्ष 2019 में 65 साल से अधिक उम्र के लोगों पर हीटवेव एक्सपोजर के रिकॉर्ड 2.9 अरब अतिरिक्त दिन दर्ज किए गए हैं। यह आंकड़ा पूर्व में दर्ज किए गए सर्वाधिक आंकड़े का लगभग दो गुना है।
हालांकि लान्सेट की यह रिपोर्ट तैयार करने में मदद करने वाले 120 शीर्ष स्वास्थ्य तथा जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञों और डॉक्टरों का यह भी कहना है कि अगर हमने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए फौरन कदम उठाए और वैश्विक तापमान में बढ़ोत्‍तरी को 2 डिग्री सेल्सियस से काफी नीचे रखने के अपने संकल्पों को पूरा करने की योजनाओं पर अमल किया तो हम  न सिर्फ इन खतरों को कम कर सकते हैं बल्कि स्वास्थ्य तथा अर्थव्यवस्था संबंधी फायदे भी उठा सकते हैं। साथ ही साथ इससे भविष्य में होने वाली महामारियों के खतरे को भी कम किया जा सकता है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारकों से प्राणिजन्य महामारी (जानवरों से इंसानों में प्रवेश करने वाली संक्रामक बीमारियों के कारण उत्पन्न होने वाली महामारी का खतरा) का खतरा भी बढ़ सकता है।...

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